संविधान दिवस कार्यक्रम को भाजपा का कार्यक्रम बनाकर बाबा साहब अम्बेडकर व संविधान का एक तरह से अपमान किया है : विद्रोही संविधान को लागू करने के चार दिन बाद ही आरएसएस के मुखपत्र आर्गेनाईजर में संविधान का विरोध करके इसे हिन्दुत्व विरोधी करार दिया था : विद्रोही 27 नवम्बर 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि हरियाणा में 26 नवम्बर को विभिन्न जिलों में मनाये गए संविधान दिवस सरकारी कार्यक्रम होते हुए भी कहीं भी किसी स्थान पर कांग्रेस-विपक्ष के विधायकों, सांसदों, नेताओं व कार्यकर्ताओं को आंमत्रित न करके संविधान दिवस कार्यक्रम को भाजपा का कार्यक्रम बनाकर बाबा साहब अम्बेडकर व संविधान का एक तरह से अपमान किया है। विद्रोही ने कहा कि इतिहास गवाह है कि भाजपा के वैचारिक पुरखे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने न केवल संविधान का विरोध किया था अपितु संविधान को लागू करने के चार दिन बाद ही आरएसएस के मुखपत्र आर्गेनाईजर में संविधान का विरोध करके इसे हिन्दुत्व विरोधी करार दिया था। आरएसएस के नेता संविधान व तिरंगे झंडे का लगातार विरोध करते रहे थे जिनके दस्तावेजी प्रमाण इतिहास मेें दर्ज है। आश्चर्य है कि जिस आरएसएस का आजादीे आंदोलन व संविधान निर्माण में पैसेभर का भी योगदान न हो, उनके वैचारिक वशंज भाजपाई आज संविधान पर उपदेश झाडकर अपने को संविधान का रक्षक बताकर देश को ठगने का पाप कर रहे है। विद्रोही ने कहा कि कटु सत्य यह है कि जब भी भाजपा-संघ संविधान को बदलने की राजनीतिक हैसियत में होंगे, वे संविधान को बदलकर भारत के धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी स्वरूप को बदलकर संघी हिन्दुत्व के फासीजम को देश पर थोपने में जरा भी नही हिचकिचाएंगे। धरातल की वास्तविकता यह है कि आज भी संविधान व भारत के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप के लिए भाजपा-संघ एक बहुत बडा खतरा है जिसे देश के जागरूक नागरिकों को नही भूलना चाहिए। हरियाणा में सत्ता बल पर संविधान दिवस जैसे पवित्र दिन को भाजपा ने एक पार्टी का कार्यक्रम बनाकर खुद ही साबित कर दिया कि उनका लोकतंत्र, लोकतांत्रिक परम्पराओं व संविधान के प्रति कितनी आस्था है। विद्रोही ने कहा कि दिल्ली में संविधान सदन में मनाये गए संविधान दिवस के अवसर अपने सम्बोधन में माननीय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी ने जिस तरह संविधान का निर्माण करवाने वाले व 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू करवाने वाले स्वतत्रंता सेनानी व भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी के नाम तक का उल्लेख अपने पूरेे भाषण मेें न करके जैसी क्षुद्र राजनीति की, उसकी राष्ट्रपति से आशा नही की जा सकती। वहीं राष्ट्रपति जी ने संविधान लागू होने के बाद 75 सालों में भारत ने अनेक उपलब्धिया प्राप्त की है, यह तो कहा लेकिन जब उपलब्धिया बताने का समय आया तो राष्ट्रपति के भाषण से यही ध्वनि निकली की कि मानो 2014 से पहले भारत की कोई उपलब्धि ही नही हो। विद्रोही ने कहा कि संविधान दिवस के अवसर पर भी भाजपा सरकार की क्षुद्र राजनीति ने भारत के लोकतंत्र, लोकतांत्रिक गरिमा व संविधान की प्रतिष्ठा गिराने का ही काम किया है जो बडीे चिंता का विषय है। Post navigation भारत का संविधान देश का सबसे पवित्र ग्रंथ : पंडित मोहन लाल बड़ौली पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जींद रैली में सरकारी अमले व धन का दुरुपयोग को लेकर याचिका दायर