-कमलेश भारतीय इन दिनों गेहूं की बुआई के लिए खाद के लिए किसानों को लम्बी लम्बी कतारों में लगने की खबरें आ रही हैं। पसीने छूट रहे हैं किसानों के खाद लेने के लिए। कितना बड़ा दुखांत है कि पहले खाद के लिए लम्बी लाइनें और फिर फसल बेचने के लिए खुले आसमान के नीचे सोना ! मैं पचृचीस साल पंजाब में अपने घर, अपने गांव में खेती से जुड़ा रहा, तब भी खाद के लिए कतारें लगती थीं और नवांशहर में नेहरू गेट से लेकर अनाज मंडी तक बैलगाड़ियों की कतारें ! यही नहीं आज भी शूगर मिल से गन्ने की पर्ची लेना किसी महाभारत जीतने से कम नहीं ! अब अगर अन्नदाता कतारों में ही लगा रहेगा तब अपना व परिवार का कितना भला कर सकेगा? मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘पूस की रात’ दिल के बहुत करीब है । कभी सोचा नेताओं ने ? इसी कारण हरियाणा में भाजपा को गांवों में विरोध का सामना करना पड़ा। यहां तक कि आज भी किसान नेता दर्शन पाल कह रहे हैं कि किसान आंदोलन ने तो भाजपा के खिलाफ माहौल बनाया था लेकिन कांग्रेस इसका लाभ न उठा सकी ! यह किसका दुर्भाग्य है -किसानों का या कांग्रेस का? दर्शन पाल ने कहा कि पंजाब में किसान आंदोलन का फायदा आम पार्टी ने उठाया जबकि हरियाणा में कांग्रेस इस मामले में बुरी तरह फेल रही । उन्होंने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों के अनेक राष्ट्रीय मुद्दों पर किसान संगठन एकजुट हैं । किसानों पर पराली जलाने के दर्ज किये गये केस भी रद्द करने की मांग उठाई है किसान संगठनों ने ! डीएपी खाद की आपूर्ति बढ़ाने की मांग के साथ साथ सभी बिक्री केन्द्रों पर स्टाॅक की जानकारी देने की मांग भी उठाई गयी ! किसान संगठन दस नवम्बर से किसान पंचायतें करेंगे । इस तरह खाद की कमी से किसान बुरी तरह परेशान हैं। ऐसे में तीसरी बार भाजपा सरकार बनने पर अभी तक भाजपा जश्न में डूबी है और अभी अपनी अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं इसके नेता । किसान की ओर या अनृय समस्याओं की ओर ध्यान देने की जरूरत है । कुंवर बेचैन की सुनो : इस तरह मिल कि मुलाकात अधूरी न रहेज़िंदगी देख कोई बात अधूरी न रहे !!-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी। 9416047075 Post navigation हेमामालिनी के गालों जैसी ही सड़कें क्यों? छठ पूजा पर समाजसेवी संस्थाओं का योगदान …… अंधेरे में रोशनी की किरण के जैसा