मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम के तहत गुरुकुल की प्राकृतिक खेती देखने पहुंचा अधिकारियों का दल

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 26 अक्तूबर : उत्तर प्रदेश का मेरठ, बागपत क्षेत्र एशिया में ‘चीनी का कटोरा’ नाम से प्रसिद्ध है, इसका कारण यह है कि यहां पर सबसे ज्यादा गन्ना उत्पादन होता है और उत्तर प्रदेश के इसी एरिया में सबसे अधिक चीनी की मीलें है। आज उत्तर प्रदेश के मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि उपनिदेशक बागपत के निर्देश पर रवि कुमार के नेतृत्व में 30 कृषि विशेषज्ञों का एक दल गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्राकृतिक कृषि फार्म पर पहुंचा और यहां पर जहरमुक्त प्राकृतिक खेती से लहलहाती फसलों का अवलोकन किया।

फार्म पर राजेश कुमार ने आए हुए सभी अतिथियों को प्राकृतिक खेती से उत्पादित घीया, तौरी, छप्पन कद्दू, जुगनी, लहसुन, बंदगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकली, पालक, सरसो, गाजर, मूली, शलजम और चुकन्दर आदि सब्जियों की फसलों के बारे मंे विस्तूत जानकारी दी वहीं फार्म पर खड़ी गन्ना सीओजी-85, सीओ-239, पीबी-95 की किस्म की फसलों को देख उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग के अधिकारी भी हैरत में पड़ गये क्योंकि ये गन्ने की वो किस्में है जिन्हें वर्तमान में किसानों ने बोना छोड़ दिया है क्योंकि इनमें नुकसान बहुत अधिक होता था मगर गुरुकुल के फार्म पर गन्ने की फसलें मजबूती के साथ खड़ी है और इन पर न कोई बीमारी आई और न ही किसी प्रकार का अन्य नुकसान हुआ। पैदावार की बात करें तो रासायनिक खेती से लगभग डेढ़ गुणा उत्पादन गन्ने की फसल में होता है। इसी प्रकार धान की सुगंधित तथा गैर सुगंधित किस्मों की फसलों की गुणवत्ता देखकर भी ये अतिथि बड़े प्रसन्न हुए। गुरुकुल में पहुंचने पर व्यवस्थापक रामनिवास आर्य ने सभी अधिकारियों का जोरदार स्वागत किया।

उत्तर प्रदेश से पधारे दल में रवि कुमार के अलावा बृजेश कुमार, रविन्द्र, अशोक कुमार, अमित, कुलदीप सचिन, योगेन्द्र, यशपाल, नरेन्द्र, विनीत, रमन, अरिहंत, अमित, उदित तोमर, सुरेशपाल पंवार, हरनाम सिंह, शौकीन, मोहनलाल, सतीश, मनोज, शैलेन्द्र, विपिन तोमर, अनिल कुमार, अंकित, कुशलवीर धामा, शहजाद और खुरशैद आदि शामिल रहे। सभी ने प्राकृतिक खेती के आचार्यश्री के मिशन की मुक्तकंठ से सराहना की और कहा कि उत्तर प्रदेश में भी वे प्रयास करेंगे कि किसान प्राकृतिक खेती को अपनाकर अपनी आय बढाएं।

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