वैश्विक व्यापार एवं समुद्री संसाधनों का अहम हिस्सा है इंडो- पैसिफिक : संयुक्त सचिव परमिता त्रिपाठी।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की समस्याओं का समाधान आपसी सहयोग एवं शांति में निहित : प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा।

कुवि के इंडो-पैसिफिक सेंटर एवं भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के इंडो-पैसिफिक डिवीजन के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का सफल समापन।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 15 अक्टूबर : भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के इंडो- पैसिफिक डिवीजन की संयुक्त सचिव परमिता त्रिपाठी ने कहा है कि इंडो-पैसिफिक आपसी सहयोग एवं विकसित विश्व व्यवस्था का प्रतीक है। इसके साथ ही वैश्विक व्यापार एवं समुद्री संसाधनों का इंडो-पैसिफिक अहम हिस्सा भी है। ये संसाधन न केवल इस क्षेत्र के देशों की आर्थिक सुरक्षा के लिए बल्कि समग्र रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे मंगलवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंडो-पैसिफिक स्टडीज व भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के इंडो-पैसिफिक डिवीजन के संयुक्त तत्वावधान में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास विषय पर आयोजित दो दिवसीय उच्च स्तरीय तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर बतौर मुख्यातिथि बोल रही थी। उन्होंने इस सम्मेलन के आयोजन के लिए कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा को बधाई दी तथा उनके दूरदर्शी प्रयास की सराहना करते हुए यह सम्मेलन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सकारात्मक भविष्य को आकार दे रहा है।

संयुक्त सचिव परमिता त्रिपाठी ने कहा कि इंडो पैसिफिक केवल एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं है, बल्कि सहयोग, सुरक्षा एवं आपसी संयोजन को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में सिंगापुर की शांगरीला वार्ता में इंडो-पैसिफिक को भारतीय और प्रशांत महासागर के बीच एक अहम कड़ी के रूप इसके व्यापक दृष्टिकोण को रेखांकित किया था। वहीं 2019 में बैंकॉक में पूर्वी-एशिया शिखर सम्मेलन में, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने समुद्री क्षेत्र के प्रबंधन, संरक्षण, सुरक्षा और विकास के लिए सहयोग को बढ़ावा देने के लिए इंडो- पैसिफिक महासागर पहल की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और क्षेत्रीय विवादों से लेकर जलवायु परिवर्तन और गैर-पारंपरिक खतरों जैसे अवैध मछली पकड़ने, तस्करी और समुद्री डकैती तक कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन सभी प्रकार की चुनौतियों एवं समस्याओं का समाधान पर विचार के लिए आयोजित यह सम्मेलन एक ऐसा मंच प्रदान कर रहा है जो न केवल इंडो-पैसिफिक के लिए प्रासंगिक हैं बल्कि इसमें वैश्विक कल्याण की भावना भी निहितार्थ हैं।

कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि वर्तमान में इंडो- पैसिफिक क्षेत्र में जो भी समस्याएं हैं, उनका समाधान आपसी सहयोग, शांति, स्थिरता और एक-दूसरे के प्रति सम्मान में निहित है। उन्होंने कहा कि वैश्विक जनकल्याण की भावना एवं निकट भविष्य की सभी समस्याओं का समाधान का सार वसुधैव कुटुंबकम में शामिल है। वसुधैव कुटुंबकम की भावना स्थिरता, समझ और शांति को पोषित कर विश्व को मानवता के जनकल्याण की ओर अग्रसर करती है। इस अवधारणा को अपनाकर हमें समावेशी एवं सामंजस्यपूर्ण विश्व के सपने को साकार करना होगा। उन्होंने संयुक्त सचिव परमिता त्रिपाठी का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि इंडो- पैसिफिक डिविजन विदेश मंत्रालय के सहयोग से इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सफल आयोजन केयू द्वारा किया गया।

मॉरिशस में भारत के पूर्व उच्चायुक्त अनूप मुदगिल ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि पिछले दस वर्षों से हर कोई महासागर के बारे में बात कर रहा है, जबकि 20 साल पहले कोई भी इस बारे में बात नहीं करता था। वर्तमान में मनुष्य अच्छा जीवन जीना चाहता हैं जोकि उस देश के आर्थिक विकास पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के लिए हमें ऊर्जा, खनिज, पानी के रूप में संसाधन की आवश्यकता होती है लेकिन धरती पर संसाधन सीमित हैं जबकि मनुष्य के सपने और उम्मीदें अंतहीन हैं। प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण जल, वायु, भूमि, जैव विविधता को काफी नुकसान हुआ है।
रेकम नुसंतारा फाउंडेशन, इंडोनेशिया से एनिस्या रोसडियाना ने इंडोनेशिया में महासागर विकास से संबंधी नीति के बारे में जानकारी दी। केयू इंडो-पैसिफिक सेंटर के निदेशक प्रो. वीएन अत्री ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए परिचय करवाया तथा धन्यवाद भी ज्ञापित किया। मंच का संचालन डॉ. प्रिया शर्मा ने किया।

इस मौके पर राजदूत संजय पांडा, पवन कुमार चौधरी, हरियाणा सरकार के विदेश सहयोग विभाग के लिए मुख्यमंत्री के सलाहकार, प्रोफेसर ए.डी.एन. बाजपेयी, कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़, संस्कृति विश्वविद्यालय, मथुरा यूपी के कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी, प्रो. एसके चहल, प्रो. ब्रजेश साहनी, प्रो. संजीव बंसल, प्रो. अशोक चौहान, प्रो. टीआर कुंडु, डॉ. जिम्मी शर्मा, डॉ. अर्चना, डॉ. हेमलता, डॉ. निधि बगरिया सहित विद्वतजन, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद थे।

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