इससे पूर्व शारदा रानी, कुमारी मेधवी और शकुंतला भगवाड़ीया तीन महिलाएं ही निर्वाचित हुई थीं निर्दलीय विधायक — हेमंत हरियाणा विधानसभा सदन में इस बार सबसे कम 3 निर्दलीय विधायक, 1967 और 1982 में जीते थे सर्वाधिक 16-16 विधायक चंडीगढ़ – हाल ही में 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए सम्पन्न हुए प्रदेश के 14 वें आम चुनाव के नतीजों में जहाँ प्रदेश में गत 10 वर्ष से सत्तासीन भाजपा ने इस बार अप्रत्याशित 48 सीटें जीत सबको हैरान करते हुए स्वयं अपने दम पर 90 सदस्यी राज्य विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल किया है, वहीं कांग्रेस को 37 सीटें प्राप्त हुई हैं. इनेलो को 2 सीटें एवं 3 निर्दलीय विधायक जीते हैं. बहरहाल, तीनो निर्दलीय विधायकों ने प्रदेश में बनने वाली भाजपा सरकार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है जिससे नए विधानसभा सदन में उसकी संख्या बढ़कर 48 से बढ़कर 51 हो गई है. इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार एवं राजनीतिक विश्लेषक हेमंत कुमार (9416887788) ने बताया कि 58 वर्ष पूर्व चूँकि 1 नवम्बर 1966 को तत्कालीन संयुक्त पंजाब से अलग कर बनाये गये हरियाणा प्रदेश की पहली विधानसभा के सदन को वर्ष 1962 आम चुनाव के बाद गठित पंजाब विधानसभा में हरियाणा क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले विधानसभा हलकों में से निर्वाचित विधायकों को शामिल करके ही बनाया गया था, अत: हरियाणा के पहले विधानसभा आम चुनाव वर्ष 1966 में नहीं बल्कि उसके अगले वर्ष फरवरी,1967 में कराए गए जिनसे हरियाणा प्रदेश की दूसरी विधानसभा गठित हुई. आगे इसी प्रकार ऐसा सिलसिला ही चलता रहा एवं इसलिए इस बार 15 वीं हरियाणा विधानसभा के लिए 15वें नहीं बल्कि 14वें आम चुनाव हुए हैं. बहरहाल, हेमंत ने आज तक हुए हरियाणा के सभी 14 विधानसभा आम चुनावो के आधिकारिक आंकड़ों का अध्ययन कर बताया कि ताज़ा विधानसभा आम चुनाव में हिसार वि.स. सीट से निर्दलीय के तौर निर्वाचित हुई सावित्री जिंदल हरियाणा विधानसभा के इतिहास में चौथी निर्दलीय महिला विधायक बनी है. इससे पूर्व वर्ष 1982 में हरियाणा वि.स. आम चुनाव में बल्लभगढ़ हलके से शारदा रानी, वर्ष 1987 आम चुनाव में झज्जर सीट से कुमारी मेधवी और वर्ष 2005 वि.स. चुनाव में बावल हलके से शकुंतला भगवाड़ीया ही निर्दलीय महिला विधायक रही हैं. उन्होंने आगे बताया कि वर्ष 1967 और वर्ष 1982 में हुए हरियाणा विधानसभा के आम चुनावों में सर्वाधिक 16-16 निर्दलीय विधायक विजयी हुए थे जबकि वर्ष 1968 चुनावों में केवल 6 निर्दलीय विधायक जीत कर प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे. वर्ष 1972 और 2000 विधानसभा आम चुनावों में 11-11 निर्दलीय विधायक चुने गए जबकि वर्ष 1977, 1987, 2009 और 2019 के विधानसभा आम चुनावों में 7-7 निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए . वर्ष 1991 और 2014 के चुनावों में 5-5 निर्दलीय विधायक सदन में पहुंचे हालांकि वर्ष 1996 और 2005 के विधानसभा चुनावों में 10-10 निर्दलीय विधायक बने. इस प्रकार अबकी बार वर्ष 2024 में प्रदेश के 58 वर्ष के इतिहास में सबसे कम 3 निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए हैं जिसमें हिसार हलके से सावित्री जिंदल के अलावा गन्नौर सीट से देवेन्द्र कादयान और बहादुरगढ़ हलके से राजेश जून शामिल हैं. हेमंत ने यह भी बताया कि वर्ष 1982, 2009 और 2019 हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में प्रदेश में नई सरकार के गठन में निर्दलीय विधायकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने बताया कि हालांकि निर्दलीय के रूप में चुनाव जीतकर विधायक बना व्यक्ति प्रदेश में बनी सरकार को बाहर से समर्थन दे सकता है परन्तु अगर वह औपचारिक रूप से सत्तारूढ़ राजनीतिक पार्टी या फिर सदन में किसी विपक्षी पार्टी में भी शामिल हो जाता है, तो दल बदल विरोधी कानून में उस निर्दलीय विधायक की विधानसभा सदस्यता समाप्त हो सकती है जैसे आज से बीस वर्ष पूर्व जून, 2004 में हरियाणा के 4 तत्कालीन निर्दलियों विधायकों- भीम सेन मेहता, जय प्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान के कथित रूप से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के कारण उन्हें तत्कालीन स्पीकर सतबीर कादयान द्वाव्रा तत्कालीन विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2006 में सही ठहराया था. Post navigation हरियाणा रिजल्ट पर कांग्रेस ही नहीं बीजेपी में भी खटपट, शक्ति प्रदर्शन कर रहे राव इंद्रजीत सिंह? कांग्रेस के घमंड को हरियाणा की जनता ने खत्म किया : पंडित मोहन लाल बड़ौली