कुछ नेताओं के खिलाफ हो सकती है कार्रवाई?

भारत सारथी कौशिक 

हरियाणा की अप्रत्याशित हार को लेकर कांग्रेस अब तक पचा नहीं सकी है। यही नहीं इसे लेकर शीर्ष स्तर पर मंथन चल रहा है और आने वाले समय में यदि कुछ नेताओं के खिलाफ ऐक्शन हो जाए तो कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी। सूत्रों के अनुसार गुरुवार को इस संबंध में दिल्ली में एक बैठक भी की गई। इस मीटिंग में कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद थे। इस बैठक में भुपेंदर सिंह हुड्डा भी मौजूद थे। उनके सामने ही राहुल गांधी ने कहा कि कुछ लोगों ने पार्टी की जगह निजी हितों को ज्यादा प्राथमिकता दी। यही नहीं हार के कारणों की पड़ताल के लिए कांग्रेस ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन का फैसला लिया है।माना जा रहा है कि राहुल गांधी की यह बात भुपेंदर सिंह हुड्डा को संदेश देने के लिए ही थी। खास बात यह है कि इस बैठक में भुपेंदर सिंह हुड्डा को तो हरियाणा से बुलाया गया था, लेकिन कुमारी शैलजा और रणदीप सुर्जेवाला नहीं थे। इससे साफ था कि राहुल गांधी सीधे हुड्डा को ही संदेश देना चाहते थे। इसी के चलते उन्होंने कुमारी शैलजा और सुर्जेवाला को बैठक में नहीं बुलाया। 

राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी जगह निजी हितों को ज्यादा प्राथमिकता दी गई। उदयभान भी इस दौरान थे। कई लोगों ने तो मंच तक शेयर नहीं कर रहे थे और भाजपा ने इसका पूरा फायदा उठाया। पार्टी सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी इस बात से बहुत नाराज हैं कि आखिर कैसे कांग्रेस ने जीती जिताई बाजी को हरा दिया। राहुल गांधी के इस रवैये से माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भुपेंदर सिंह हुड्डा जैसे बड़े नेताओं पर ही ऐक्शन हो सकता है। इसकी वजह यह है कि भुपेंदर सिंह हुड्डा अकेले ही पूरी कमान संभाले हुए थे। कुमारी शैलजा से उनके मतभेद साफ थे और मंच शेयर तक करने के लिए दोनों तैयार नहीं थे।

कहा जाता है कि हरियाणा चुनाव में हुड्डा ने अकेले ही 72 टिकट दिए थे। ऐसे में अब ऐसा नतीजा आना उनके लिए ही चिंता की बात है। दरअसल चर्चा तेज है कि हुड्डा ने कमलनाथ की तरह ही काम किया, जैसे मध्य प्रदेश में वही अकेले कमान संभाले हुए थे। उसी तरह हुड्डा ने भी किसी अन्य को मौका नहीं दिया और गुटबाजी साफ दिख रही थी। हार की यह भी एक वजह है। आने वाले दिनों में इसके चलते भुपेंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ कुछ ऐक्शन भी हो सकता है।

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