ताज़ा हरियाणा विधानसभा चुनाव में इनेलो को प्रदेश भर में 4.14 % जबकि जजपा को 0.90 % वोट मिले चंडीगढ़ – 15 वीं हरियाणा विधानसभा आम चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को प्रदेश की सभी 90 वि.स. सीटों पर करवाए गए मतदान में वोटों की गिनती अर्थात मतगणना का कार्य गत मंगलवार 8 अक्टूबर को संपन्न हुआ जिसमें भाजपा को 48 सीटों के साथ नई विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिल गया है जबकि कांग्रेस को 37 सीटें प्राप्त हुईं हैं. वही जहाँ तक प्रदेश के दो मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों – इनेलो ( इंडियन नेशनल लोक दल) और जजपा ( जननायक जनता पार्टी) का विषय है, उनमें से इनेलो को तो 2 सीटें मिली हैं जबकि जजपा एक सीट भी नहीं जीत पाई. वहीं 3 निर्दलीय विधायक जीते हैं. इनेलो और जजपा को प्रदेश भर में सम्मानजनक वोट शेयर भी प्राप्त नहीं हुआ. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट एवं चुनाव कानूनों के जानकार हेमंत कुमार ने भारतीय चुनाव आयोग के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद बताया कि ताजा 15 वीं हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों में इनेलो का प्रदेश भर में वोट शेयर 4.14 % जबकि जजपा का 0.90% रहा है. इनेलो को पूरे प्रदेश में 5 लाख 75 हज़ार 192 वोट जबकि जजपा को 1 लाख 25 हजार 22 वोट ही मिले हैं. 4 महीने पूर्व जून, 2024 में 18 वी लोकसभा आम चुनाव के परिणामों में हरियाणा में इनेलो का वोट शेयर 1.74 % जबकि जजपा का 0.87 % रहा था. बहरहाल, इस सबके बीच इनेलो और जजपा को क्षेत्रीय दल के तौर पर प्राप्त मान्यता पर सवाल उठ रहे हैं और ऐसा कहा जा रहा कि ताजा हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में खराब प्रदर्शन के कारण दोनों का हरियाणा में मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा चुनाव आयोग द्वारा छीना जा सकता है. इसी बीच हेमंत ने मौजूदा लागू कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए बताया कि चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आबंटन) आदेश, 1968, जैसा आज तक संशोधित है, के अनुसार किसी भी राजनीतिक पार्टी को मान्यता प्राप्त राज्ययी ( क्षेत्रीय) दल के रूप में दर्जा प्राप्त करने और कायम रखने के लिए प्रदेश के विधानसभा आम चुनाव में न्यूनतम 6 प्रतिशत वोट और कम से कम दो सीटें (अर्थात विधायक ) जीतना आवश्यक है अथवा विधानसभा की कुल सीटों की संख्या की न्यूनतम तीन प्रतिशत सीटें या तीन सीटें , जो भी अधिक हों , जीतनी जरूरी होती हैं. वही इसके एवज़ में प्रदेश में लोकसभा आम चुनाव में कम से कम 6 प्रतिशत वोट और न्यूनतम एक सीट (अर्थात सांसद ) जीतना आवश्यक है. इसके अलावा कोई सीट न जीतकर भी कोई पार्टी विधानसभा या लोकसभा आम चुनाव में कुल पड़े वैध वोटों का 8 प्रतिशत हासिल करने पर भी क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त हो सकती है या कायम रख सकती है. इनेलो को 26 वर्ष पूर्व 1998 में 12 वी लोकसभा आम चुनाव में हरियाणा में 4 लोकसभा सीटें जीतने के बाद क्षेत्रीय दल का दर्जा मिला था जो आज तक चल रहा है. बहरहाल साढ़े 5 वर्ष पूर्व मई, 2019 में 17 वीं लोकसभा आम चुनाव में हरियाणा में इनेलो को केवल 1.9 % वोट प्राप्त हुए थे जबकि किसी लोकसभा सीट पर उसकी जीत नहीं हुई. उसके बाद अक्तूबर, 2019 में हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में इनेलो को 2.44 % ही वोट मिले और उसके इकलौते विधायक अभय सिंह चौटाला ही ऐलनाबाद वि.स. सीट से विजयी हुए. अब ताजा हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में इनेलो को 4.14 % ही वोट मिले और उसके दो विधायक आदित्य चौटाला डबवाली वि.स. सीट और अर्जुन चौटाला रानियाँ वि.स. से विजयी हुए हैं. चूंकि हरियाणा में क्षेत्रीय दल इनेलो उपरोक्त सभी निर्धारित पैमानों पर हरियाणा में मई, 2019 में 17 वी लोकसभा आम चुनाव में, फिर अक्टूबर, 2019 में हरियाणा विधानसभा आम चुनाव और इस वर्ष पहले 18वीं लोकसभा आम चुनाव में और अब ताजा तौर पर 15 वी हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में असफल रहा है, इसलिए मौजूदा लागू आदेशानुसारउसका हरियाणा में मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा और आरक्षित चुनाव चिन्ह अर्थात चश्मा ( ऐनक) चुनाव आयोग द्वारा छीना जा सकता है. हेमंत ने यह भी बताया कि अगस्त 2016 में चुनाव आयोग द्वारा उक्त 1968 आदेश में संशोधन कर यह उल्लेख किया गया था कि अगर किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को एक आम चुनाव में न्यूनतम वोट/सीटें प्राप्त नहीं होती तो उसके मान्यता प्राप्त दर्जे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा परन्तु उससे अगले आम चुनाव में उसकी मान्यता उन चुनाव में उसके प्रदर्शन पर अर्थात उसके द्वारा न्यूनतम सीटें/वोट हासिल करने पर भी निर्भर होगी. यह अब इनेलो पर लागू नहीं होगा क्योंकि मई ,2019 और मई, 2024 में लगातार दो लोकसभा आम चुनावो और साथ साथ अक्तूबर, 2019 और अक्तूबर, 2024 में लगातार दो हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में इनेलो का चुनावी प्रदर्शन निर्धारित पैमानों के अनुरूप नहीं रहा. वही जहाँ तक जजपा के क्षेत्रीय दल के तौर पर मान्यता का विषय है, तो चूंकि उसे वर्ष 2019 में हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में 10 सीटें जीतने और करीब 15 % वोट शेयर प्राप्त करने कारण यह दर्जा दिया गया है, इसलिए ताजा अक्तूबर, 2024 में न्यूनतम 6 वोट प्रतिशत और कम से कम 2 सीटें न जीतने के बावजूद अगले हरियाणा विधानसभा आम चुनाव तक उसके क्षेत्रीय दल के तौर पर दर्जे और चाबी के आरक्षित चुनाव चिन्ह बारे कोई विवाद नहीं है. Post navigation हरियाणा में शानदार जीत के बाद राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिले मुख्यमंत्री नायब सैनी ताजा हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में कुल वोटों का अंतर रहा केवल 1.18 लाख