जुर्माना राशि को बिजली के बिलों में समायोजित करने के अदालत ने दिए आदेश

गुडग़ांव, 5 अक्टूबर (अशोक) : बिजली चोरी के मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज अभिषेक चौधरी की अदालत ने मामले को गलत करार देेते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि जमा कराई गई जुर्माना राशि उपभोक्ता के बिजली के बिलों में समायोजित की जाए। हालांकि अदालत ने जमा की गई जुर्माना राशि पर कोई ब्याज भी नहीं लगाया है और इस राशि को बिल में समायोजित करने केे आदेेश दिए हैं तो अब उपभोक्ता अदालत के आदेश को जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील के माध्यम से चुनौैती भी देेगा।

जिले के गांव तिघरा के उपभोक्ता रामवीर के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार 28 सितम्बर 2016 को उपभोक्ता का बिजली का मीटर उतारकर 4 अक्तूबर 2016 को बिजली निगम की लैबोरेट्री में चैक कराया था और उस पर आरोप लगाए गए थेे कि वह मीटर की सील टैंपर्ड कर बिजली की चोरी कर रहा था और उस पर 2 लाख 30 हजार 199 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया था। अधिवक्ता का कहना है कि 24 अक्तूबर 2016 को उपभोक्ता ने बिजली निगम के खिलाफ अदालत में केस दायर कर दिया था। अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए उपभोक्ता पर लगे बिजली चोरी के आरोप गलत करार देते हुए बिजली निगम को आदेश दिए कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई जुर्माना राशि को उपभोक्ता के बिजली बिलों में समायोजित किया जाए। उपभोक्ता अदालत के आदेश को जिला एवं सत्र न्यायालय में चुनौती देने की तैयारियों में जुट गया है ताकि उसे जुर्माना राशि पर ब्याज व जुर्माना राशि को बिजली के बिलों में समायोजित न कर उसे जुर्माना राशि का चैक दियचा जाए।

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