अहीरवाल से भाजपा सरकार द्वारा भेदभाव करने भी राव इन्द्रजीत सिंह ने भाजपा से बगावत क्यों नही की? विद्रोही  

वर्ष 2014 व 2019 हरियाणा विधानसभा चुनावों में अहीरवाल के एकतरफा समर्थन से मनोहरलाल खट्टर दो बार मुख्यमंत्री व भाजपा की सरकार दो बार उनके अनुसार बनी है, तब बदलेे में अहीरवाल को क्या मिला और नही मिला तो क्यों नही मिला? विद्रोही

10 सितम्बर 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने राव इन्द्रजीत सिंह से सवाल किया कि जब वर्ष 2014 व 2019 हरियाणा विधानसभा चुनावों में अहीरवाल के एकतरफा समर्थन से मनोहरलाल खट्टर दो बार मुख्यमंत्री व भाजपा की सरकार दो बार उनके अनुसार बनी है, तब बदलेे में अहीरवाल को क्या मिला और नही मिला तो क्यों नही मिला? इसका जवाब राव साहब अहीरवाल की जनता को दे। विद्रोही ने कहा कि वे लगातार दस सालों से कहते आ रहे है कि जिस अहीरवाल के बल पर भाजपा हरियाणा में दो बार सत्ता पर काबिज रही, उस अहीरवाल को बदले में ठेंगा क्यों मिला? अब भाजपा नेता व केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह भी सार्वजनिक रूप से कह रहे है कि अहीरवाल के एकतरफा समर्थन से भाजपा की दो बार हरियाणा में सरकार बनी। वहीं राव इन्द्रजीत सिंह ने एकबार फिर मुख्यमंत्री बनने की अपनी चाह को सार्वजनिक किया। सवाल उठता है कि राव साहब चुनावों के समय ही अहीरवाल का मुख्यमंत्री बनाने का मुद्दा क्यों उछालते है और जब अहीरवाल की जनता ने उनकी बात पर विश्वास करके दो बार भाजपा को सत्ता दी, फिर भी न तो अहीरवाल का मुख्यमंत्री बना और न ही अहीरवाल को भाजपा सरकार के मंत्रीमंडल में उचित विभाग व सम्मानजनक भागीदारी मिली। 

विद्रोही ने सवाल किया कि कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री व केन्द्र में मंत्री न बनाने के विरोध में कांग्रेस छोडकर भाजपा में शामिल होने वाले राव इन्द्रजीत सिंह भाजपा में रहकर अपमानजनक स्थिति सहने पर भी भाजपा में क्यों बने हुए है? भाजपा नेे उन्हे मुख्यमंत्री बनाना तो दूर, 10 सालों से केवल राज्यमंत्री बनाये रखा, केबिनेट मंत्री तक नही बनाया जबकि राजनीति में उनसे जूनियर व दरबारी नेता मोदी सरकार में केबिनेट मंत्री बने। वहीं हरियाणा में अहीरवाल के बने डेढ़ मंत्रीयों को कभी भी सम्मानजनक विभाग क्यों नही मिला? वहीं विद्रोही ने राव साहब से पूछा कि अहीरवाल के एकतरफा समर्थन के बल पर हरियाणा में दो बार बीजेपी सरकार बनने पर भी उन्हे मुख्यमंत्री नही बनाया तो उन्होंने अपना हक लेने के लिए संघर्ष करने की बजाय भाजपा की दासता क्यों स्वीकार की? विकास व जनहित के सरोकारों में भी अहीरवाल से भाजपा सरकार द्वारा भेदभाव करने भी उन्होंने भाजपा से बगावत क्यों नही की?   

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