टिकट बंटवारे को लेकर उलझन में फंसी : भाजपा और कांग्रेस ………. 

कांग्रेस भाजपा में उपेक्षित पंजाबियों के सम्पर्क में, पंजाबियों को रिझाने के लिए कांग्रेस राज बब्बर को आगे लायेगी,

भाजपा का तेजी से बदल रहा है स्वरूप, दूसरी पार्टी के नेताओं की भाजपा में भर्ती से अमित शाह नाराज, पुराने कार्यकर्ता उपेक्षा से नाराज

ईश्वर धामु

हरियाणा में विधानसभा टिकटों को लेकर कांग्रेस और भाजपा में मंथन चल रहा है। प्रत्याशियों के नाम फाइनल करने के लिए बैठकों के दौर जारी है। दोनों पार्टियां टिकटों के बंटवारें में कोई कोर-कसर नहीं छोडऩा चाहती है। हर नाम पर बार बार विचार किया जा रहा है। पार्टी सर्वे से प्रस्तावित नामों का मिलान किया जाता है। पर भाजपा और कांग्रेस में टिकटों को लेकर कलह चल रहा है।

भाजपा की कलह तो अब जगजाहिर हो चुकी है। भाजपा के पुराने कर्ताधर्ता इस बात को लेकर नाराज हैं कि उनकी टिकटों मेें उपेक्षा हो रही है। बाहर से आने वालों का मान सम्मान तो किया ही जाता है, साथ ही आसानी से टिकट भी दी जाती है। भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैरान हैं कि भाजपा का स्वरूप एकाएक कैसे बदल रहा है। एक दिन पहले भाजपा में आने वालों को टिकट देकर चुनाव लड़ाया जा रहा है। जिनको भाजपा का अर्थ और सिद्धांतों का पता नहीं, उनको राज्यसभा मेें भेेजा जा रहा है।

चर्चाकारों का कहना है कि भाजपा के शीर्ष नेताओं की इस मानसिकता का खामियाजा पार्टी को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। भाजपा मेंं जेजेपी के नेताओं को शामिल करवाया जा रहा है। हालांकि अब तो हालात यह बन चले हैं कि बाहरी नेताओं को भाजपा में शामिल करवाने से भाजपा के केंद्रीय नेता नाराज बताए जा रहे हैं। सूत्र बताते हैें कि जेजेपी के लोगों को भाजपा में थोक में लाने सेे नाराज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जींद रैली में नहीं आए। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि एक बैठक में तो केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल और अमित शाह इस मुद्दे पर आमने-सामने हो गए थे। तभी शाह ने मनोहरलाल के चेलों केे नाम पर कैंची चलाई थी।

इस बार कांग्रेस और भाजपा के पास टिकट के लिए अभी तक के सर्वाधिक आवेदन आए हैं। भाजपा को टिकट के लिए 2443 और कांग्रेस को 2556 आवेदन मिले हैं। इनमें से एक-एक नाम फाइनल करने में पार्टी नेताओं को बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। बताया गया है कि अभी दोनों दलों की पहली सूची तैयार है। अब तो पहले आप, पहले आप का इंतजार हो रहा है।

चर्चाकारों ने बताया है कि भाजपा की पहली सूची में 40 और कांग्रेस की पहली सूची में 45 प्रत्याशियों के नाम हैं। दोनों दलों को पाटी में बगावत होने का अंदेशा है, इसलिए प्रत्याशियों के नामों की सूची जारी करने में देरी की जा रही है। पहली सूची में वें नाम बताएं गए हैं, जो छंटनी के बाद एक ही रह गए थे। साथ ही वें नाम भी शामिल है, जो विधायक रहे हैं। दोनों दलो नेे उन सिटिंग विधायकों की टिकट काटी है, जिनका सर्वे मेंं रिपोर्ट कार्ड खराब है। इस बार टिकटें घोषित होने से पहले ही भाजपा का परम्परागत पंजाबी वोटर नाराज हैं। मुखरित पंजाबियों का कहना है कि उनकेे समाज से मनोहर लाल साढे 9 साल मुख्यमंत्री रहेे, इस दौरान पंजाबी समाज को कोई बड़ा मान-सम्मान नहीं मिला और निरंतर उपेक्षा होती रही। नगर परिषद के चुनाव में भी पंजाबियों की उपेक्षा की गई। अगर भाजपा समय रहते नहीं सम्भल पाई तो पंजाबी समाज भाजपा से बगावत कर सकता है।

यह भी जानकारी मिली है कि पंजाबी मतदाताओं को रिझाने के लिए कांग्रेस राज बब्बर को आगे लायेगी। वैसे भी शीर्ष कांग्रेसी नेता भाजपा से दुखी पंजाबी नेताओं से सम्पर्क साध रहे हैं। बताया गया है कि चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को उनके अपने गढ़ों में घेरने का मास्टर प्लान तैयार किया है। आलाकमान की स्वीकृति के बाद कांग्र्रेस इस मास्टर प्लान पर काम करना शुरू कर देगी। वहीं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बारे में मीडिया में विधानसभा चुनाव क्षेत्र बदलने की आ रही न्यूज ने कार्यकतार्आं को विचलित कर दिया है और उनका उत्साह कम हुआ है। देखना होगा कि चालू सप्ताह के अंत तक चुनावी राजनीति में क्या नया मौड़़ आता है?

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