चुनाव आयोग को धता बता रहे गुरुग्राम विधानसभा के संभावित उम्मीदवार

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम के जिला निर्वाचन अधिकारी निशांत कुमार यादव चुनाव की घोषणा के पश्चात से ही प्रतिदिन आदेश दे रहे हैं कि शहर में सार्वजनिक और निजी संस्थानों पर विधानसभा उम्मीदवार अपने बोर्ड/बैनर न लगाएं। आज तो उन्होंने 20 फ्लाइंग स्क्वाड टीम का गठन भी कर दिया है, जो शहर में निगरानी कर रहे हैं कि कहीं बोर्ड तो नहीं हैं।

लेकिन बाजार में सडक़ों पर निकलों तो बोर्डों की बहार खूब नजर आएगी। माना की रोडवेज की बसों से बैनर हटा दिए हैं लेकिन ऑटो रिक्शाओं पर लगातार बैनर लगे हुए हैं। इसी प्रकार चुनाव अधिकारी का कहना है कि निगम की प्रॉपर्टी से बैनर हटा दिए हैं लेकिन बिजली विभाग भी तो सरकार का ही है। और आज शायद वहीं ऐसा बिजली का कोई खंभा न मिले जिस पर बोर्ड न लगे हों। ऐसी अवस्था में हम कह सकते हैं कि चुनाव लडऩे के और टिकट लेने के जोश में ये भावी प्रत्याशी चुनाव आयोग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और समझ नहीं आता कि ये सब चुनाव अधिकारी को क्यों नहीं दिखाई दे रहा?

भारतीय संविधान में चुनाव आयोग को चुनाव घोषित होने के बाद सरकार से भी ऊपर माना जाता है। अत: आदेश उन्हीं के चलते हैं। अब याद आता है कि कल और परसों गुरुग्राम गुरूकमल में भाजपा के सभी शीर्ष नेताओं की मीटिंग थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, श्रीमती सुधा यादव शामिल थीं। तात्पर्य यह कि सभी वरिष्ठ और मुख्य नेताओं का गुरुग्राम में जमावड़ा था। अब हम यह कैसे मानें कि ये सब अधिकारी आंख से नैनसुख हो गए थे। इन्हें ये दिखाई नहीं दिए? क्या ये अपने संभावित उम्मीदवारों को चुनाव आयोग के आदेश का पालन करने का आदेश नहीं दे सकते थे? यह बात बड़े सवाल पैदा करता है।

वर्तमान में देखा लाए तो हरियाणा में भाजपा की सरकार है और जितने बोर्ड/बैनर लगे हुए हैं, उनमें 80-90 प्रतिशत केवल भाजपाईयों के ही हैं। कुछ कांग्रेसियों के और कुछ आप पार्टी के भी हैं लेकिन अधिकांश भाजपाईयों के ही हैं।

ऐसे में अनेक प्रश्न खड़े होते हैं कि क्या जिला चुनाव अधिकारी और उपायुक्त भाजपा के दबाव में इन बोर्डों को देखते हुए कार्यवाही नहीं कर रहे? या फिर चुनाव आयोग को धोखा देने के लिए इस प्रकार की विज्ञप्तियां प्रकाशित की जाती हैं, ताकि केंद्रीय चुनाव आयोग को यह विश्वास हो जाए कि हरियाणा चुनाव आयोग बड़ी तत्परता और जिम्मेदारी से अपना काम कर रहा है।

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