हरियाणा भाजपा क्यों चाहती है चुनाव की तारीख में बदलाव क्या हर का डर?

हरियाणा भाजपा की मांग चुनाव की तिथि बदले आयोग, बडोली ने चिट्ठी भेजी 

2 दिन की बैठक में भाजपा प्रत्याशियों को लेकर कड़ी मशक्कत,14 वर्तमान विधायकों की टिकट कट सकती है

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर तारीखों में फेरबदल का अनुरोध किया है। इसमें छुट्टी समेत दो बड़े कारण बताए गए हैं। इस संदर्भ में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडोली ने पत्र लिखा है। उधर पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नाम पर मोटे तौर पर मंथन कर लिया है। गुरुग्राम स्थित पार्टी कार्यालय गुरु कमलम में लगातार दो दिन- बृहस्पतिवार और शुक्रवार को हुई स्टेट इलेक्शन कमेटी की बैठक में सभी 90 हलकों के संभावित प्रत्याशियों को लेकर विचार-विमर्श किया गया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री व हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में बनाए गए पैनल अब केंद्रीय चुनाव समिति के पास जाएंगे। हालिया लोकसभा चुनाव लड़ने वाले पांच उम्मीदवार अब विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें से सोनीपत से चुनाव लड़ने वाले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली वर्तमान में भी राई से विधायक हैं। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस में पांच ऐसे पूर्व सांसद हैं, जो विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। इनमें से एक ने चार और एक ने तीन सीटों पर दावा ठोका है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इन सभी पांचों उम्मीदवारों को टिकट मिलने की पूरी संभावना है और इनके नाम भी पैनल में शामिल हैं।

हरियाणा में चुनाव आयोग ने 16 अगस्त को चुनाव का ऐलान किया था। जिसमें 1 अक्टूबर को वोटिंग और चार अक्टूबर को मतदान होना है। उन्होंने कहा कि 28 तारीख को शनिवार और 29 तारीख को रविवार है और 1 अक्टूबर को मतदान होगा, जबकि 2 अक्टूबर को गांधी जयंती की छुट्टी है तो 3 अक्टूबर को अग्रसेन जयंती का अवकाश है। ऐसे में 6 दिन का लंबा वीकेंड होने के कारण लोग छुट्टियों पर जा सकते हैं। 

प्रदेश अध्यक्ष ने लिखे अपने पत्र में कहा है कि चुनाव तारीख को बदला जाए क्योंकि इसके अलावा बिश्नोई समाज का भी धार्मिक अनुष्ठान है। इसका प्रभाव वोटिंग पर पड़ेगा। इससे मतदान के प्रतिशत गिरने का अन्देशा है। चुनाव आयोग की प्राथमिकता होती है कि 100% मतदान हो इसलिए चुनाव की तारीखों को आगे बढ़ाया जाए ताकि वोटिंग का प्रतिशत बढ़ सके। 

इस बार लोकसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत घटने से भाजपा को नुकसान हुआ है उसे पांच  सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। इस बार 65 फ़ीसदी वोटिंग हुई। 2019 के मुकाबले में 5.34 फीस दी कम मत पड़े। इसी वजह से लोकसभा के बाद हरियाणा में हार की आशंका से घबराई भाजपा ने अब चुनाव आयोग से तारीखों में बदलाव की गुहार की है।

गुड़गांव में स्टेट इलेक्शन कमेटी ने तीन-चार बिंदुओं पर अहम फैसले लिए हैं। कमेटी ने पार्टी के सभी मौजूदा 41 विधायकों के नाम पैनल में शामिल किए हैं। हालांकि इन सभी को टिकट मिल पाएगा, इसकी गारंटी नहीं है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी किस हलके से चुनाव लड़ेंगे, यह तय नहीं हुआ है। उनके लिए चार हलके- नारायणगढ़, करनाल, लाडवा और रादौर रिजर्व रखे गए हैं।

पूर्व सांसदों को भी चुनाव लड़वाने का फैसला लिया गया है। पूर्व सांसद व केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य डॉ. सुधा यादव, अशोक तंवर, संजय भाटिया, डॉ. अरविंद शर्मा व सुनीता दुग्गल आदि के नाम पैनल में शामिल हैं। 

सूत्रों की मानें तो अशोक तंवर को झज्जर से चुनाव लड़वाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को उनकी बेटी आरती राव के लिए टिकट का ऑफर दिया गया है। आरती के लिए कोसली और अटेली हलके को रिजर्व रखा गया है। इनमें से एक सीट चुनने का फैसला आरती पर ही छोड़ा जाएगा। केंद्रीय मंत्री व फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर के बेटे देवेंद्र चौधरी का भी नाम इलेक्शन कमेटी ने पैनल में शामिल किया है।

वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस में पांच ऐसे पूर्व सांसद हैं, जो विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। इनमें से एक ने चार और एक ने तीन सीटों पर दावा ठोका है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इन सभी पांचों उम्मीदवारों को टिकट मिलने की पूरी संभावना है और इनके नाम भी पैनल में शामिल हैं।

2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने सभी दस सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार भाजपा ने छह सीटों पर नये चेहरों को चुनाव लड़वाया था। वहीं चार मौजूदा सांसदों को ही टिकट दिया था। मौजूदा सांसदों में से गुरुग्राम से राव इंद्रजीत सिंह, फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर व भिवानी-महेंद्रगढ़ से धर्मबीर सिंह भाजपा टिकट पर जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे। वहीं रोहतक से डॉ. अरविंद शर्मा इस बार कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा के हाथों बड़े अंतर से चुनाव हारे।

छह नये चेहरों में से करनाल में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और कुरुक्षेत्र में नवीन जिंदल ने जीत हासिल की। बाकी चारों चेहरे चुनाव हारे। इनमें अंबाला से बंतो कटारिया, सोनीपत से मोहनलाल बड़ौली, हिसार से चौ. रणजीत सिंह व सिरसा से डॉ. अशोक तंवर शामिल हैं। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अशोक तंवर अब विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनकी कोशिश रतिया से चुनाव लड़ने की है। वे मूल रूप से झज्जर जिला के रहने वाले हैं। ऐसे में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित झज्जर सीट पर भी उनका नाम चर्चाओं में है।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली को भाजपा फिर से राई से चुनाव लड़वा सकती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री व अंबाला से सांसद रहे स्व. रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया मुलाना से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। हिसार से लोकसभा चुनाव हारने वाले प्रदेश के बिजली मंत्री चौ. रणजीत सिंह रानियां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। वे 2019 में भी कांग्रेस से टिकट कटने के बाद इसी हलके से निर्दलीय चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी। माना जा रहा है कि भाजपा इस पर उन पर भरोसा जता सकती है।

सिरसा से 2019 में भाजपा टिकट पर सांसद बनी सुनीता दुग्गल की इस बार टिकट कट गई। माना जा रहा है कि उन्हें विधानसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है। सुनीता दुग्गल को रतिया से चुनाव लड़वाए जाने की चर्चाएं हैं। भाजपा गलियारों में उनका नाम झज्जर और कलानौर से भी चर्चाओं में बना हुआ है। वहीं अरविंद शर्मा बहादुरगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनका नाम बेरी, गोहाना व असंध हलके से भी चर्चाओं में बना हुआ है। भाजपा की स्टेट इलेक्शन कमेटी की मैराथन बैठकें चल रही हैं। इन बैठकों में ही संभावित प्रत्याशियों के नाम के पैनल तैयार होंगे।

भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक 25 अगस्त को होनी है। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में जम्मू-कश्मीर पर चर्चा हो सकती है। 26-27 अगस्त को केंद्रीय चुनाव समिति की फिर से बैठक होगी, जिसमें हरियाणा पर मंथन संभव है। ऐसे में हरियाणा के प्रत्याशियों की पहली सूची इस माह के आखिर तक ही आने की उम्मीद है। पहली सूची में करीब 24 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान संभव है। सूत्रों का कहना है कि स्टेट इलेक्शन कमेटी ने तीन दर्जन के लगभग विधानसभा सीटों पर सिंगल नाम के पैनल बनाए हैं। बाकी हलकों में दो से तीन नेताओं के नाम पैनल में शामिल हैं।

गुरुग्राम के बाद दिल्ली में प्रधान के आवास पर हुई बैठक

बृहस्पतिवार को इलेक्शन कमेटी की बैठक में पांच जिलों- गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, नूंह व रेवाड़ी के अंतर्गत आने वाले हलकों को लेकर मंथन किया गया था। शुक्रवार को हुई बैठक में बाकी 17 जिलों के हलकों पर विचार-विमर्श किया गया। सुबह 11 से शाम 7 बजे तक मैराथन बैठकें चली। देर रात धर्मेंद्र प्रधान की नयी दिल्ली स्थित कोठी पर ‘छोटी टोली’ की बैठक हुई। इस बैठक में प्रधान के अलावा चुनाव सह-प्रभारी व त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लब कुमार देव, प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली, सीएम नायब सिंह सैनी, पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, हरियाणा मामलों के प्रभारी डॉ. सतीश पूनिया, सह-प्रभारी सुरेंद्र नागर व संगठन महामंत्री फणीन्द्र नार्थ शर्मा सहित चुनींदा नेता ही मौजूद रहे। वहीं, स्टेट इलेक्शन कमेटी की बैठक में प्रो. रामबिलास शर्मा, ओमप्रकाश धनखड़, सुधा यादव, अनिल विज, कैप्टन अभिमन्यु, राव इंद्रजीत सिंह, कृष्णपाल गुर्जर सहित कमेटी के अधिकांश सदस्य मौजूद रहे। 

भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि ‘छोटी टोली’ की बैठक में स्टेट इलेक्शन कमेटी की बैठक में तय किए गए पैनलों पर फिर से मंथन हुआ। कोशिश यह की जा रही है कि केंद्रीय चुनाव समिति के पास भेजे जाने वाले पैनल छोटे किए जाएं। माना जा रहा है कि शनिवार को पैनलों को अंतिम रूप देकर पार्टी नेतृत्व को सौंपा जा सकता है। भाजपा के कई मौजूदा मंत्रियों व विधायकों के टिकट पर तलवार लटकी है। दक्षिणी हरियाणा से नारनौल, अटेली, बावल, कोसली व पटौदी सहित प्रदेश के 14 वर्तमान विधायकों की टिकट कट सकती है।

भाजपा ने की मीटिंग, टिकट को लेकर मंथन

गौरतलब है कि भाजपा को कहीं ना कहीं आशंका है कि कम वोटिंग की वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। उधर, दिल्ली में शुक्रवार रात को हरियाणा बीजेपी की अहम बैठक हुई है। गुरुग्राम से मीटिंग खत्म कर वरिष्ठ नेताओं ने दिल्ली में आपस मे मंत्रणा की है। बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली और चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान मौजूद रहे और धर्मेंद्र प्रधान के निवास स्थान पर मीटिंग हुई है।

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