कुलदीप बिश्नोई का विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार, खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार बताया भाजपा में टिकट को लेकर माथापच्ची, आज भी जारी रहेगी बैठक हरियाणा भाजपा की पहली लिस्ट अगले हफ्ते तक, 31 अगस्त तक 40 उम्मीदवारों की लिस्ट हो सकती है जारी पांच जिलों में 300 दावेदार, 17 जिलों पर चर्चा आज अशोक कुमार कौशिक हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। टिकट के दावेदार अपने-अपने हिसाब से सियासी गोटी सेट कर रहे हैं। टिकट की सबसे ज्यादा माथापच्ची सत्ताधारी बीजेपी में है। वंशवाद की राजनीति का जोरदार विरोध करने के बावजूद भाजपा हरियाणा में अपने ‘एक परिवार, एक टिकट’ के फॉर्मूले से हटकर राज्य में अपने नेताओं के परिवार के सदस्यों को आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट देने के लिए अपवाद बना सकती है। पार्टी की प्रदेश इकाई ने विधानसभा सीटों के लिए 300 से अधिक नामों की प्रारंभिक सूची शीर्ष नेतृत्व के पास भेजी है। कुछ सीटों पर दो या तीन और कुछ पर पांच नाम तक शामिल हैं। पार्टी के सर्वे की सूची शीर्ष नेतृत्व के पास भेजी जाएगी। दिल्ली में पार्टी की चुनाव समिति नाम पर विचार करेगी। अब तक पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी सतीश पूनिया, चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान व सह प्रभारी विपुल देव विभिन्न वर्गों से लगातार बैठकर कर राय ले रहे हैं। उधर हरियाणा के पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मैं विधायक इसलिए बनना नहीं चाहता क्योंकि मेरा कद अब बड़ा है। मैं किसी अधिकारी के ऑफिस में फाइल लेकर नहीं जा सकता। यह मेरा घमंड नहीं बल्कि मेरा स्वाभिमान है। कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी में टिकट बंटवारा की प्रक्रिया दो फेज में पूर्ण होगा। हरियाणा बीजेपी प्रदेश चुनाव समिति की बैठक पहले दिन यानी गुरुवार को करीब 3 घंटे चली। शुक्रवार को भी बैठक जारी रहेगी। बैठक में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, हरियाणा मामलों के प्रभारी डॉ़ सतीश पूनिया, सह-प्रभारी सुरेंद्र नागर तथा पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर प्रमुख रूप से मौजूद रहे। बैठक में कमेटी सदस्यों के रूप में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व कृष्णपाल गुर्जर, भाजपा संसदीय बोर्ड की सदस्य व पूर्व सांसद डॉ़ सुधा यादव, पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो़ रामबिलास शर्मा, पूर्व कृषि मंत्री व राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़, पूर्व गृह मंत्री अनिल विज, विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, वित्त मंत्री जयप्रकाश दलाल, भिवानी-महेंद्रगढ़ सांसद धर्मबीर सिंह, पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु व पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई, रामचंद्र जांगड़ा, डॉ़ अरविंद शर्मा, सुनीता दुग्गल, प्रदेश संगठन महामंत्री फणीन्द्र नाथ शर्मा, प्रदेश महामंत्री व पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी, महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष उषा प्रियदर्शी तथा पटौदी विधायक व पार्टी के एससी मोर्चा के अध्यक्ष सत्यप्रकाश जरावता भी मौजूद रहे। सूत्रों का कहना है कि बैठक में फरीदाबाद, एनआईटी, बड़खल, बल्लबगढ़, तिगांव, पृथला, पलवल, होडल, हथीन, पुन्हाना, फिरोजपुर-झिरका, नूंह, कोसली, रेवाड़ी, पटौदी, बावल, गुरुग्राम, बादशाहपुर व सोहना विधानसभा सीट के प्रत्याशियों को लेकर विचार-विमर्श किया गया। बिप्लब कुमार देब और कुलदीप बिश्नोई भी हुए शामिल इसके साथ ही चुनाव सह-प्रभारी बिप्लब कुमार देब, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह, चुनाव प्रबंधन समिति संयोजक कुलदीप बिश्नोई, प्रदेश प्रभारी सतीश पूनिया, सह प्रभारी सुरेन्द्र नागर, राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़, सह-प्रभारी संगठन मंत्री फणीन्द्रनाथ शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडौली शामिल हुए। गुरुवार को हुई हरियाणा बीजेपी प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य सुधा यादव, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, पूर्व गृह मंत्री अनिल विज, सांसद धर्मवीर सिंह, कैप्टन अभिमन्यु, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल समेत अन्य कई नेता शामिल हुए। वहीं, इस बैठक में गुरुवार को पांच जिलों के पदाधिकारियों से उन जिलों की सीटों की स्थिति जानी गई। शुक्रवार को बाकी जिलों की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की जाएगी। बैठक में चर्चा हुई कि बीजेपी की कल्याणकारी नीतियों से होने वाले लाभों को जनता को चुनाव प्रचार के दौरान मजबूती के साथ बताया जाए। चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए भाजपा जीत हासिल करने की संभावना रखने वाले नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट देने से परहेज नहीं बरतेगी। इस क्रम में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पुत्री सहित कई नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट मिलेगा। एंटी इन्कम्बेंसी रोकने के लिए पार्टी ने कम से कम डेढ़ दर्जन विधायकों को बेटिकट करने का मन बनाया है। उम्मीदवारों के नाम पर मंथन के लिए पार्टी के केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक रविवार को होगी। पहले फेज में यह तय होगा कि विधायकों का टिकट कटेगा या नहीं और अगर कटेगा तो किसका? दूसरे फेज में टिकट किसे मिलेगा, यह तय होगा। हालांकि, बीजेपी में टिकट बंटवारे की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही कई दावेदारों को टिकट कटने का डर सताने लगा है। इन दावेदारों में कई दिग्गज नेता भी शामिल हैं। टिकट वितरण में युवा और महिलाओं पर खास फोकस रहेगा। बीजेपी ने गुरुग्राम में 2 दिन की बैठक में जिला वाइज तैयारी करने का निर्णय लिया है। गुरुवार को 5 जिलो पर चर्चा हुई, आज 17 दोनों पर होगी। पार्टी के बड़े नेताओं से पहले से चौथे नंबर तक की पसंद भी जानी जाएगी। इसके बाद रिपोर्ट पार्टी मुख्यालय तक जाएगी। इस रिपोर्ट पर पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति नई दिल्ली में विचार करेगी। इसके बाद पहली सूची जारी होने की संभावना है। गुरुग्राम की बैठक में प्रदेश के दिग्गज नेता शामिल हुए। फिलहाल पार्टी के पास जो 41 विधानसभा सीटे हैं। उन पर ज्यादा फोकस रहेगा, जो 2019 में हार गई थी उन पर विशेष फोकस रहेगा। पिछली बार हारी सीटों पर टिकटार्थियों ने कड़ी मेहनत की है। वहां भी पार्टी को अच्छे नतीजे मिलने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार पार्टी की ओर से चुनाव के लिए टिकट घोषणा करने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई जाएगी। सूत्रों का यह भी कहना है कि अगस्त के आखिरी सत्ता तक पहली सूची जारी हो सकती है। गुरुवार को गुरुग्राम में इस पर गहरा मंथन हुआ। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व तीन से चार बैठकें कर टिकटों अंतिम निर्णय लिया जाए। संभव है कि भाजपा कम से कम तीन सूची जारी करे। इनके टिकट पर संकट? 1. 75 साल से ज्यादा उम्र के विधायकों को टिकट कटने का सबसे ज्यादा डर सता रहा है। बीजेपी विधानसभा के कई चुनावों में 75 पार के नेताओं का टिकट काट चुकी है। वर्तमान में विधानसभा स्पीकर ज्ञान गुप्ता समेत कई ऐसे विधायक हैं, जो 75 साल से ज्यादा उम्र के हैं। 2. रानियां सीट से विधायक रंजीत चौटाला का भी मामला फंस गया है। सिरसा की यह सीट गोपाल कांडा की पार्टी मांग रही है। रंजीत सिंह हाल ही में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव में उतरे थे, लेकिन जीत नहीं पाए। रंजीत खट्टर सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। 3. लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी 5 सीटों पर हार गई। विधानसभा के जिन सीटों पर बीजेपी पिछड़ी, वहां के विधायकों का टिकट खतरे में है। उदाहरण के लिए- फरीदाबाद की हथीन और होडल सीट 2019 में बीजेपी जीती थी, लेकिन 2024 में इस सीट पर बीजेपी पिछड़ गई। इसी तरह का मामला सिरसा, सोनीपत और हिसार में देखा गया। 4. 2019 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 11 विधायकों के टिकट बदले थे। एंटी इनकंबैंसी की वजह से हालिया लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने 3 सीटों पर उम्मीदवार बदले थे। ऐसे में कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में भी पार्टी करीब एक दर्जन सीट पर उम्मीदवारों को बदल सकती है। 5. 2022 में गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कई दिग्गज नेताओं को घर बैठा दिया था। इनमें नितिन पटेल का नाम प्रमुख था। अगर इस तरह का फॉर्मूला हरियाणा में लागू होता है तो अनिल विज समेत कई बड़े नेताओं के टिकट कट सकते हैं। जीत के लिए बीजेपी की क्या है रणनीति? हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए बीजेपी इस साल के शुरुआत से ही रणनीति तैयार कर रही है। इसी के तहत पहले मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया। नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इसके बाद खट्टर सरकार के कई पुराने फैसले वापस लिए। बीजेपी राजनीतिक गोलबंदी भी कर रही है। इसके तहत ओबीसी के उन जातियों को आरक्षण देने की घोषणा की है, जो आबादी के हिसाब से हरियाणा में दबदबा रखते हैं। बीजेपी इस बार गठबंधन के तहत भी हरियाणा में आगे बढ़ना चाहती है। पार्टी ने गोपाल कांडा की पार्टी से अभी गठबंधन किया है। कांडा की पार्टी सिरसा और अंबाला में मजबूत पकड़ रखती है। परिवारवाद पर रुख रहेगा नरम बीजेपी ने कांग्रेस के भी उन नेताओं को अपने पाले में लाया है, जिनकी जमीन मजबूत है। हाल ही में किरण चौधरी की एंट्री इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। विस चुनाव में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व कांग्रेस से भाजपा में शामिल होकर राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनी पूर्व मंत्री किरण चौधरी अपनी-अपनी पुत्रियों, केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और सांसद धर्मवीर, कुलदीप बिश्नोई अपने-अपने पुत्रों के लिए तो रमेश कौशिक अपने भाई, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता अपने भतीजे के लिए टिकट मांग रहे हैं। रिश्तेदारों के लिए टिकट मांगने वाले ऐसे नेताओं की संख्या एक दर्जन से कुछ ज्यादा है। कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी में टिकट बंटवारा की प्रक्रिया दो फेज में पूर्ण होगा। हरियाणा बीजेपी प्रदेश चुनाव समिति की बैठक पहले दिन यानी गुरुवार को करीब 3 घंटे चली। शुक्रवार को भी बैठक जारी रहेगी। बैठक में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी शामिल हुए। बिप्लब कुमार देब और कुलदीप बिश्नोई भी हुए शामिल इसके साथ ही चुनाव सह-प्रभारी बिप्लब कुमार देब, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह, चुनाव प्रबंधन समिति संयोजक कुलदीप बिश्नोई, प्रदेश प्रभारी सतीश पूनिया, सह प्रभारी सुरेन्द्र नागर, राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़, सह-प्रभारी संगठन मंत्री फणीन्द्रनाथ शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडौली शामिल हुए। केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और कैप्टन अभिमन्यु हुए शामिल गुरुवार को हुई हरियाणा बीजेपी प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य सुधा यादव, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, पूर्व गृह मंत्री अनिल विज, सांसद धर्मवीर सिंह, कैप्टन अभिमन्यु, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल समेत अन्य कई नेता शामिल हुए। सीटों की स्थिति जानी गई वहीं, इस बैठक में गुरुवार को पांच जिलों के पदाधिकारियों से उन जिलों की सीटों की स्थिति जानी गई। शुक्रवार को बाकी जिलों की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की जाएगी। बैठक में चर्चा हुई कि बीजेपी की कल्याणकारी नीतियों से होने वाले लाभों को जनता को चुनाव प्रचार के दौरान मजबूती के साथ बताया जाए। चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए भाजपा जीत हासिल करने की संभावना रखने वाले नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट देने से परहेज नहीं बरतेगी। इस क्रम में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पुत्री सहित कई नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट मिलेगा। एंटी इन्कम्बेंसी रोकने के लिए पार्टी ने कम से कम डेढ़ दर्जन विधायकों को बेटिकट करने का मन बनाया है। उम्मीदवारों के नाम पर मंथन के लिए पार्टी के केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक रविवार को होगी। बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की लड़ाई 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 31 और बीजेपी को 40 सीटों पर जीत मिली थी। राज्य में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं, जहां सरकार बनाने के लिए कम से कम 45 सीटों पर जीतना जरूरी है। बीजेपी ने 10 विधायक वाली जेजेपी के साथ समझौता कर लिया। हालांकि, कांग्रेस चुनाव बाद भी यहां पूरी तरह सक्रिय रही। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हरियाणा की 10 में से 5 सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस और आप गठबंधन को राज्य की 46 सीटों पर बढ़त मिली, जबकि बीजेपी को 44 सीटों पर बढ़त मिली। इसी चुनाव परिणाम से हरियाणा में कांग्रेस का जोश हाई है। Post navigation भाजपा जो दावे करती है, वे जमीनी धरातल पर खरे क्यों नही उतरते ? 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