हरियाणा में किरण चौधरी व राजस्थान सेे रवनीत सिंह बिट्टू को टिकट देकर भाजपा ने खुद ही साबित किया है कि उनका परिवारवाद का विरोध एक ढोंग है : विद्रोही

भाजपा न तो अपनी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध है और न ही अपने कार्यकर्ताओं के प्रति वफादार है और न ही अपनी कहीं बाते व दावों पर खरी उतरती है : विद्रोही  

21 अगस्त 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान में आरोप लगाया कि भाजपा की कथनी और करनी में न केवल दिन-रात का अंतर है अपितु मोदीजी परिवारवाद के नाम पर जुमलेबाजी करके पूरे देश को ठगने का असफल कुप्रयास भी कर रहे है। विद्रोही ने कहा कि एक ओर भाजपा परिवारवाद व भ्रष्ट लोगों को आगे बढाती है, वहीं परिवारवाद व भ्रष्टाचार पर जुमलेबाजी करके जनता को ठगती भी है। भाजपा राज्यसभा में किसे उम्मीदवार बनाती है, यह उसका आंतरिक मामला है पर हरियाणा में किरण चौधरी व राजस्थान सेे रवनीत सिंह बिट्टू को टिकट देकर भाजपा ने खुद ही साबित किया है कि उनका परिवारवाद का विरोध एक ढोंग है। यदि मोदी जी को कांग्रेस व परिवारवाद से इतना ही विरोध है तो परिवारवादी राजनीति से आई कांग्रेस में रही किरण चौधरी व रवनीत सिंह बिट्टू को राज्यसभा उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार क्यों बनाया? मोदी जी ने किरण चौधरी व रवनीत सिंह बिट्टू को राज्यसभा चुनाव में उतारकर क्या खुद ही नही साबित कर दिया कि वे कितने बडे झूठे, ढोंगी, षडयंत्रकारी व अनैतिक व्यक्ति है जिनकी कथनी और करनी में दिन-रात का अंतर है। 

विद्रोही ने कहा कि भाजपा दोगली, ढोंगी व ऐसी अनैतिक पार्टी है जो सत्ता के लिए कुछ भी करने व किसी भी हद तक जाने को तैयार रहती है। भाजपा में परिवारवादवादी व भ्रष्टाचारियों की भरमार है फिर भी भाजपाई बेशर्मी से परिवारवाद व भ्रष्टाचार के नाम पर जनता को ठगते रहते है। वहीं भाजपा राग अलापती है कि वह विश्व की सबसे बडी पार्टी है व कार्यकर्ताओं पर आधारित कैडर बेस पार्टी है। लेकिन जब चुनाव लडवाने की बात आती है तो  भाजपा के पास संघ विचारधारा के उम्मीदवार तक नही होते और न ही स्वच्छ छवि के कार्यकर्ता है। तभी तो भाजपा को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार नही मिले, भाजपा ने हरियाणा की दस सीटों में से छह सीटे कांग्रेस पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों व 6 परिवारवादियों को दी। विद्रोही ने कहा कि रही-सही कसर अब राज्यसभा उपचुनाव में पूरी हो गई जब भाजपा ने सुरक्षित सीट भी अपने कार्यकर्ता को देने की बजाय कांग्रेस से दल-बदल करके भाजपा में शामिल हुई परिवारवादी किरण चौधरी को देकर खुद ही साबित कर दिया कि भाजपा न तो अपनी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध है और न ही अपने कार्यकर्ताओं के प्रति वफादार है और न ही अपनी कहीं बाते व दावों पर खरी उतरती है।    

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