-कमलेश भारतीय चुनाव निकट हैं और हमेशा की तरह बाबा लोग फरलो पर हैं। यह संयोग सातवीं बार घट रहा है। जब जब चुनाव निकट होते हैं, बाबा फरलो पर होते हैं । चुनाव और बाबा की फरलो का क्या कनेक्शन है, यह रहस्य हर कोई जानता है । यह जो पब्लिक है, सब जानती है ! अब तो बाबा का इशारा भी नहीं चलता । यदि ऐसा होता तो सिरसा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस की सुश्री सैलजा जीत न पातीं लेकिन जनता ने इशारे को नजरअंदाज कर सैलजा को लैकसभा में भेजा, वो भी भारी बहुमत से ! फिर भी सत्ताधारी दल का दिल है कि मानता नहीं ! ये फरलो क्यों दी जा रही है, वो जानता ही नहीं, अच्छी तरह जानता है , भाई ! क्या पता बाबा की करामात काम कर ही जाये, इस भरोसे, अच्छा चालचलन बता कर फरलो दी जाती है ! जबकि बाबा दुष्कर्म और हत्या के केस में सज़ा काट रहै पर चल चलन में कोई कमी नहीं ! यह कैसा जादू है मितवा ! अबकि बार बाबा का जन्मदिन है, भाई और कोर्ट ही तय करता है कि बाबा अपना जन्मदिन जेल में मनाये़ या उत्तर प्रदेश के बरनावा आश्रम में ! इन्हें वीडियो कार्यक्रम की भी छूट है और पौधारोपण अभियान चलाने की भी ! अपनी खेतीबाड़ी की देखभाल की भी पूरी छूट है, जैसे यही सारे काम करते हों ! इनके बिना कोई कुछ नहीं करता आश्रम में ! पत्ता भी नहीं हिलता ! चाहे जेल में रहें या फरलो पर ! मज़ेदार बात यह कि इस बार तो बाबा आसाराम भी एक सप्ताह की फरलो पा गये हैं । इस तरह देश में बाबा लोग फरलो पर हैं और चुनाव में आशीर्वाद देने आये हैं ! जिसके पुण्य प्रताप होगे, वे जीत जायेंगे ! सत्ता और बाबा साथ साथ हैं, सातवीं बार! क्या जेल, क्या आश्रम, कोई फर्क नहीं अलबत्ता ! जेल में भी वैसा ही जादू बरकरार है, जैसा आश्रम में ! यह तिलिस्म कब टूटेगा? यह भरम कब टूटेगा ?बाबा को फरलो कब मिलती है ?आपके चुनाव में !-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी। 9416047075 Post navigation हर घर तिरंगा अभियान ………….. रखें ध्वज का मान स्वतंत्रता दिवस के गानों में ……. ऐ मेरे वतन के लोगो और रंग दे बसंती