जुर्माना लगाने से नहीं, योजनाओं के संग बजट देने से होगा वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान – दीपेन्द्र हुड्डा

·        दुनिया के 50 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 42 शहर भारत में, जो बेहद चिंता का विषय – दीपेन्द्र हुड्डा

·        सरकार का सारा ध्यान जुर्माना वसूलने पर केंद्रित – दीपेन्द्र हुड्डा

·        पर्याप्त बजट आवंटन कर प्रोत्साहन योजनाएं लागू करने से वायु प्रदूषण की समस्या होगी दूर – दीपेन्द्र हुड्डा

·        दीपेन्द्र हुड्डा ने लोकसभा में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सरकार से बजट आवंटन और योजनाओं का ब्योरा मांगा

चंडीगढ़, 29 जुलाई। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने लोकसभा के प्रश्नकाल में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सरकार से बजट आवंटन और योजनाओं का ब्योरा मांगा। उन्होंने कहा कि एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या को दूर करने के लिए योजनाओं के संगपर्याप्त बजट आवंटन करके समस्या का समाधान करने की बजाय सरकार का सारा ध्यान किसानों पर पराली जलाने के नाम पर अर्थदंड लगाने, वाहन चालकों पर अर्थदंड लगाने, पुराने वाहनों पर जुर्माना थोपने, औद्योगिक प्रदूषण पर जुर्माना समेत अन्य तरह से जुर्माना वसूलने की कार्रवाई पर ज्यादा है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान जुर्माना लगाने से नहीं बजट आवंटन के जरिये प्रोत्साहन वाली योजनाएं लागू करने से होगा।

उन्होंने कहा कि सरकार ने नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम शुरु किया है। लेकिन सरकार द्वारा दिए गये जवाब में कहीं भी बजट आवंटन का जिक्र नहीं किया गया। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि आईक्यू एयर की इस वर्ष प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 50 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 42 शहर भारत में हैं, जो बेहद चिंता का विषय है। इस अति-गंभीर समस्या के प्रति केंद्र सरकार गंभीर दिखाई नहीं देती। इस पर केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सरकार 131 शहरों में वायु गुणवत्ता के सुधार के लिये काम कर रही है। उन्होंने एनसीआर में चल रही कई योजनाओं का जिक्र किया और बताया कि पराली के लिये किसानों को मशीनें दी जा रही है, इंडस्ट्री को सीएनजी पर डायवर्ट करने का प्रयास किया जा रहा है।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के तीन तरफ से लगे हरियाणा की बात करें तो यहाँ वायु प्रदूषण खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है, अधिकांश जिले गैस चेंबर में बन गए हैं। प्रदेश सरकार आम लोगों की सेहत से जुड़े इस महत्वपूर्ण मसले पर उदासीन रवैया अपनाए हुए है। उन्होंने कहा कि जिस तरह एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के तहत सड़कें, रेल, कॉलेज आदि के प्रोजेक्ट मिलते हैं और फंड भी मिलता है। उसी प्रकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए भी सरकार को पर्याप्त फंड की व्यवस्था के साथ योजनाएं बनानी चाहिए ताकि उनका प्रभावी क्रियान्वयन हो सके। जब तक ये नहीं होगा, प्रदूषण नियंत्रण धरातल पर आगे नहीं बढ़ेगा। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि अगर हम अपनी अगली पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण नहीं दे पाएंगे तो फिर सरकारें किस काम की हैं।

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