वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए प्रस्तुत बजट को जुमलों, दावों का ऐसा गुमराहपूर्ण बजट बताया जिससे किसी को कोई भी लाभ नही मिलने वाला : विद्रोही

वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण झूठ से शुरू किया। निर्मला सीमारमण का यह कहना कि किसानों को फसलों का एमएसपी लागत मूल्य से 50 प्रतिशत लाभकारी मूल्य दिया गया है जो सफेद झूठ व किसानों से ठगी है : विद्रोही

23 जुलाई 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए प्रस्तुत बजट को जुमलों, दावों का ऐसा गुमराहपूर्ण बजट बताया जिससे किसी को कोई भी लाभ नही मिलने वाला। यह बजट ऐसा यथास्थितिवादी बजट है जिससे न तो नये रोजगार सृजित होंगे और न ही महंगाई कम होने की संभावना है।

विद्रोही ने आरोप लगाया कि वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण झूठ से शुरू किया। निर्मला सीमारमण का यह कहना कि किसानों को फसलों का एमएसपी लागत मूल्य से 50 प्रतिशत लाभकारी मूल्य दिया गया है जो सफेद झूठ व किसानों से ठगी है। एक और वित्तमंत्री कहती है कि गरीबी कम हुई है, वहीं दूसरी सांस में कहती है कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रहे है। जब 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रहे है तो गरीबी घटी कैसे, इस हिसाब से गरीबी तो बढी है। वित्तमंत्री का यह दावा भी सफेद झूठ है कि महंगाई कम हो गई है जबकि जमीनी धरातल की वास्तविकता यह है कि महंगाई बढी है और लोगों को भरपेट भोजन के लिए भी जूझना पड़ रहा है। एक ओर सबके विकास का दावा किया जा रहा है, वहीं भाजपा के बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेन्दु अधिकारी व कई राज्यों के भाजपा नेता कह रहे है कि हम उन्ही का विकास करेंगे जिन्होंने हमे वोट दिया है। फिर सबका विकास कैसे संभव है? विद्रोही ने कांग्रेस के युवा न्याय की नकल करके युवाओं को प्रशिक्षण देने व पहली वेतन उनके खाते में भेजने का स्वागत करते हुए कहा कि काश प्रधानमंत्री मोदीजी व वित्तमंत्री निर्मला सीमारमण जी कांग्रेस युवा न्याय के वादे की आधी अधूरी नकल करने की बजाय इसे पूरा लागू करते ताकि कुछ तो बेरोजगारी कम होती। 

विद्रोही ने कहा कि डायरेक्ट टैक्स में मिडिल क्लास को ऊंट के मुंह में जीरा के समान राहत है। पुरानी आयकर स्कीम में टैक्स बदलाव नही है, वहीं नई टैक्स रिजिम में 17500 रूपये तक की मामूली राहत दी है। वित्तमंत्री का बजट एक साल का है, पर उन्होंने हर योजना को पांच साल के लिए रखी। इस वर्ष किस योजना में कितना बजट रखा है, इसका कोई उल्लेख नही। किसान आय बढाने का कोई विशेष प्रावधान नही किया। बजट के बाद सेंसक्स भी गिरा है, लगता है कि मोदी के पूंजीपति मित्र व निवेशक भी इस बजट से खुश नही है। जब बजट से कोई खुश नही है, तो फिर यह बजट किसके लिए है, किसी के समझ में ही आ रहा। विद्रोही ने कहा कि भाजपा ने इस बजट में अपने चुनावी वादे पूरी करने की दिशा में कोई कदम नही उठाया। 70 साल के बुजुर्गो को आयुष्मान स्कीम के तहत ईलाज करवाने की चुनावी घोषणा पर बजट चुप है। मेरी राय में यह यथास्थितिवादी बजट है जिससे न तो नये रोजगार बढने की संभावना है और न ही महंगाई कम होने की कोई उम्मीद है। वित्तमंत्री ने बेरोजगारी, महंगाई को कम करने की दिशा में कोई ठोस कदम नही उठाया है। वहीं हरियाणा को इस बजट से निराशा मिली है, बजट में प्रदेश में कोई नया प्रोजेक्ट नही मिला।

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