पेड़ लगाना पुण्य कार्य किंतु पेड़ काटने पर सजा क्यों नहीं?

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। वर्तमान परिवेश में पर्यावरण सारे विश्व के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है। हरियाणा भी इससे अछूता नहीं है और गुरुग्राम की बात करें तो यहां तो पर्यावरण का स्तर चिंताजनक है। ऐसे में यह प्रश्न शायद सबके मस्तिष्क में आएगा कि जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए क्या वह मानवता का शत्रु नहीं?

हरियाणा में मुख्यमंत्री के अतिरिक्त सभी मंत्री तथा पक्ष-विपक्ष के सभी राजनैतिक दल भी पेड़ लगाने के लिए निरंतर निवेदन करते रहते हैं। यहां तक कि जो पुलिस अपराधों की रोकथाम और सुरक्षा के लिए है, वह भी पेड़ लगाओ मुहिम का हिस्सा बनी हुई है। ऐसी स्थिति में यदि पेड़ काटने वाले को सजा नहीं होती तो विचारनीय प्रश्न नहीं?

गुरुग्राम के आयुष कार्यालय में सितंबर-2023 में पेड़ काटने का अपराध हुआ, उसकी शिकायत उस समय किसी ने नहीं की। शायद विभाग के अध्यक्ष का डर काम कर रहा था। मई-2024 में एक व्यक्ति की अंतरात्मा जागृत हुई और उसने इसकी शिकायत आयुष विभाग चंडीगढ़, आयुष मंत्री डॉ. कमल गुप्ता आदि-आदि को की। इसके परिणाम अभी तक दृष्टिगोचर हो नहीं रहे हैं।

हमने गत 13 जुलाई के अंक में इसके बारे में समाचार प्रकाशित किया था और मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को एक्स हैंडल पर ट्वीट भी किया था। इसके अतिरिक्त आयुष मंत्री, वन मंत्री और भाजपा के पर्यावरण सचिव आदि को भी प्रेषित की गई थी लेकिन अभी तक किसी की ओर से कोई उत्तर तो नहीं मिला है। कार्यवाही हुई है तो वह दिखाई नहीं दे रही, जो दिखाई दे रहा है वह यह है कि जहां पेड़ कटे थे, उस स्थान को समतल किया जा रहा है। वहां सीमेंट आदि का प्रयोग कर पेड़ कटने के निशानों को समाप्त किया जा रहा है। शायद यह कोई कार्यवाही हुई हो, उसी का परिणाम हो।

आयुष डायरैक्टर अंशज सिंह के फोन पर जब बात करते हैं तो गुरुग्राम में पेड़ कटने की बात सुनते ही वह फोन काट देते हैं।
सैक्टर-4 आरडब्ल्यूए प्रधान धर्मसागर ने जब पेड़ कटे देखे तो उन्होंने आयुष में मंजू बांगड से पूछा कि ये पेड़ कैसे कटे तो उन्होंने उत्तर दिया था कि अंकल जी परमिशन लेकर कटे हैं। उसके पश्चात धर्मसागर जी कई बार कार्यालय जा चुके परमिशन लैटर देखने के लिए लेकिन वहां उनकी अधिकारी से मुलाकात ही नहीं हुई।

बड़ा प्रश्न मन में यह खड़ा होता है कि जब सरकारी विभाग में ही पेड़ काटे जा रहे हैं और वह विभाग जो बना ही जनता के स्वास्थ की रक्षा के लिए है, फिर भी शासन-प्रशासन उसकी ओर त्वरित कार्यवाही करने से क्यों पीछे हट रहा है।

क्या ऐसे ही मोदी के सपने पूरे होंगे?

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