हाउसिंग बोर्ड के फ्लैटों में अस्थायी रूप से विस्थापित बिजली, पानी और सीवरेज को लेकर परेशान

हाउसिंग बोर्ड फ्लैटों को खाली कराने के लिए कभी भी भेज देता है नोटिस, बंद कर दी जाती है बिजली आपूर्ति
हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक स्थायी रूप से नहीं किया गया है विस्थापित

चण्डीगढ़ 12 जुलाई। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा लोकसभा क्षेत्र से सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार और प्रशासन दोनों ने मिलकर सिरसा थेड़ विस्थापितोंं का जीवन नरक सा बना दिया है, इन विस्थापित 730 परिवारों को अस्थायी रूप से हाउसिंग बोर्ड फ्लैटों में बसाया गया है। जहां पर वे मूलभूत सुविधाओं से वंचित है, वे आज भी बिजली, पीने का पानी और सीवरेज को लेकर परेशान है। कभी हाउसिंग बोर्ड फ्लैटों को खाली कराने के लिए भेज देता है। कभी उन्हें एक फ्लैट के 17.50 लाख रुपये जमा कराने को कहा जाता है, परेशान करने के लिए बिजली कनेक्शन काट दिए जाते है। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर कहा है कि पहले विस्थापित किए गए परिवारों को स्थायी आवास उपलब्ध करवाया जाए, हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश में स्थायी आवास उपलब्ध करवाने के लिए कहा था न कि अस्थायी।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक केंद्रीय संरक्षित स्मारक सिरसा का थेड़ है। जिसे केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। यह स्थल वर्तमान में पिछले कई वर्षों से लगभग 85 एकड़ क्षेत्र में 3000 से अधिक परिवारों के कब्जे में है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों के कारण जिला प्रशासन सिरसा ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से लगभग 31 एकड़ क्षेत्र में 750 से अधिक परिवारों को पहले ही हटाकर विस्थापित कर दिया है। इन 730 विस्थापित परिवारों को अस्थायी रूप से हाउसिंग बोर्ड  के सिरसा के फ्लैटों में पुनर्वासित किया गया है। जिला प्रशासन और एएसआई. शेष 2300 से अधिक परिवारों को लगभग 54 एकड़ क्षेत्र से हटाने पर तुला हुआ है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा है कि यह एक केंद्रीय संरक्षित स्मारक है और इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है, लेकिन विस्थापित 750 परिवारों द्वारा खाली की गई 31 एकड़ भूमि की खुदाई करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या ऐसा कोई स्मारक है जिसे संरक्षित करने की आवश्यकता है, बल्कि यह अभी भी शेष परिवारों को हटाने और शेष भूमि को खाली कराने के लिए दबाव बना रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा हैै कि  वे एएसआई को पत्र लिखे कि पहले 750 परिवारों को हटाने के बाद खाली की गई भूमि की खुदाई करवाएं और पता लगाएं कि क्या ऐसा कुछ है जिसे स्मारक के रूप में संरक्षित किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि लगभग 750 विस्थापित परिवार जिन्हें हाउसिंग बोर्ड के अस्थायी फ्लैटों में स्थानांतरित किया गया है, उनका उचित पुनर्वास नहीं किया गया है, उन्हें इन फ्लैटों में बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। इन फलैटस में बिजली, पानी और सीवरेज की समस्या से विस्थापित परेशान है। सीवर लाइन ब्लाक है, ये लोग नरक जैसा जीवन जी रहे हैं।  इनके बिजली जब मन करता है काट दिए जाते है। कभी हाउसिंग बोर्ड  इन्हें नोटिस जारी कर एक फ्लैट के बदले में 17.50 लाख रुपये जमा करवाने को कहता है ऐसा न करने पर खाली करने को कहा जाता है। इन विस्थापितों पर घर खाली कराने की तलवार हर समय लटकी रहती है जबकि प्रशासन ने उन्हें जल्द स्थायी आवास देने का वायदा कर उनसे मकान खाली करवाए थे पर आज तक उन्हें स्थायी आवास नहीं उपलब्ध करवाए गए है।

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में सरकार से कहा था कि पहले थेड़वासियों को स्थायी आवास का प्रबंध कर भूमि को खाली करवाया जाए पर सरकार ने ऐसा नहीं किया। आज भी शेष 54 एकड़ क्षेत्र में रह रहे परिवार इस दहशत में है कि न जाने कब उन्हें वहां से हटा दिया जाए। प्रशासन कई सालों से एक ही ड्रामा कर रहा है कि विस्थापितों को लिए फलां गांव में भूमि का चयन कर लिया गया है, कई सालों से ऐसा कहकर प्रशासन विस्थापितों के साथ साथ कोर्ट को गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार आने पर थेड विस्थापितों को सबसे पहले स्थायी रूप से रहने के लिए प्लाट या आवास उपलब्ध करवाए जाएंगे।

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