अमित शाह ने नायब सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो राव राजा ने भी अहीरवाल से सीएम बनाने की बात कही 

सैनी ही होंगे सीएम चेहरा राव इंद्रजीत सिंह बोले, खुद को बताया रेस से बाहरआज हिसार में कहा

अब हरियाणा यादव सभा राव इंद्रजीत सिंह के समर्थन में उतरी

रामपुरा हाउस के खिलाफ क्यों रहते हैं अहीर नेता?, अहीरवाल में तीन-चार परिवारों का वर्चस्व

राष्ट्रीय पार्टियों ने अहीर नेताओं के साथ किया भेदभाव

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पूर्व ‘सीएम कुर्सी’ को लेकर ‘सियासी घमासान’ की ‘सुगबुगाहट’ शुरू हो चुका है। हरियाणा में अक्टूबर नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। हरियाणा भाजपा के नेता और छह बार के सांसद राव इंद्रजीत सिंह को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाने की पहल तेज हो रही है। मोदी तीन सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार राव इंद्रजीत सिंह भी इन दिनों हरियाणा दौरे पर हैं। चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद ही उन्होंने दक्षिणी हरियाणा से सीएम होने की बात कह कर सबको चौंका दिया था। उनकी बढ़ती ‘सक्रियता’ और ‘उठती आवाजों’ ने हरियाणा की राजनीति को गर्मा दिया है। 

बोली और मिट्टी के आधार पर कई क्षेत्रों व जिलों में बंटा हरियाणा राजनीतिक दृष्टि से सात बेल्ट में बसा हुआ है। प्रदेश में बांगर, बागड़, खादर-नदरक, देशवाली बेल्ट (जाटलैंड), अहीरवाल, मेवाती और दक्षिण हरियाणा की बेल्ट है। 

अब ‘राव राजा’ अहीरवाल की राजनीति को आगे बढ़ाकर सत्ता पर ‘काबिज’ होने का रास्ता ढूंढ रहे हैं। जबकि गैर जाट और ओबीसी राजनीति में अमित शाह ने नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है। ऐसे में कोई बड़ा उलट फेर न हुआ तो सरकार बनने की सूरत में सैनी का सीएम कुर्सी पर मजबूत दावा रहेगा।

रामपुरा हाउस की नाराजगी के कई कारण है। उन्हें केंद्र में कैबिनेट मंत्री न बनाए जाने को लेकर भी समर्थकों के साथ विरोधी भी आवाज उठा चुके हैं। अलबत्ता राव इंद्रजीत सिंह के कोटे से राज्य मंत्री बने ओमप्रकाश यादव को हटाकर उनकी जगह अभय सिंह यादव को कैबिनेट में शामिल किया गया। राव इंद्रजीत सिंह के ‘बागी’ तेवरों ने अहीरवाल की राजनीति गरमा रखी है।

भिवानी महेंद्रगढ़ से सांसद चौधरी धर्मवीर तो खुलकर कह चुके हैं कि उन्हें इसका ‘मलाल’ है। रोहतक सम्मेलन में कमर दर्द के कारण गैर मौजूदगी चर्चा में रही। अब राव राजा को सीएम बनाने की मांग हिसार जिले की यादव सभा से आई है। बता दें कि 2014 से हरियाणा में भाजपा की सरकार बनने में राव इंद्रजीत सिंह का अहम योगदान रहा है। राव इंद्रजीत सिंह इंसाफ मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने पिछड़ो की राजनीति को आगे बढ़ाया। 

वह हिसार के दो दिन के दौरे पर हैं। हिसार जिले में 3 महीने में उनका यह दूसरा दौरा है। वह हिसार बार को भी संबोधित करेंगे। इसके अलावा यादव धर्मशाला में उनका कार्यक्रम है। वहां सभा के सदस्यों द्वारा उनका नागरिक अभिनंदन किया जाएगा। इसके बाद अगले दिन वह हांसी में यादव धर्मशाला का शिलान्यास करेंगें। 

राव इंद्रजीत सिंह दक्षिणी हरियाणा की राजनीति में पहचान रखते हैं। गुरुग्राम, फरीदाबाद, रोहतक (कोसली विधानसभा), भिवानी महेंद्रगढ़ सीट पर उनका पूरा वर्चस्व है। इसके अलावा दक्षिणी हरियाणा की 14 विधानसभा सीटों में उनका अच्छा प्रभाव है। दक्षिण हरियाणा के झज्जर और भिवानी में भी अहीर काफी संख्या में हैं, जो रोहतक लोकसभा सीट का चुनावी गणित प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। इन जिलों में अहीर (यादवों) का पूरा प्रभाव है। संख्या में भी और राजनीति में भी।

2014 से लेकर अब तक राव इंद्रजीत सिंह के चेहरे के कारण दक्षिण हरियाणा सहित प्रदेश में भाजपा को एकतरफा वोट मिले। भाजपा में एंट्री के बाद दक्षिणी हरियाणा में पार्टी बहुत मजबूत हुई और अपने बलबूते सत्ता तक पहुंची। इस बार भी राव इंद्रजीत सिंह के प्रभाव वाली फरीदाबाद, गुरुग्राम और भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा विजय हुई है । यही कारण है कि राव अब केंद्र में राज्य मंत्री के पद से संतुष्ट नहीं है और वह हरियाणा की राजनीति में बड़ा पद चाहते हैं।

ऐसे में दक्षिणी हरियाणा की जनता भी अब चाहती है कि राव इंद्रजीत सिंह को हरियाणा की कमान सौपी जाए। जनता ने यह भी कहा कि केंद्र में तीन बार से भाजपा सत्ता में है ऐसे में काम से कम दो बार में न सही, मगर तीसरी बार तो कैबिनेट मंत्री ‘राव राजा’ को बनाना चाहिए था। अगर कैबिनेट मंत्री भी नहीं बनाया जा रहा तो फिर उन्हें विधानसभा चुनाव के बाद हरियाणा की कुर्सी सौंपी जानी चाहिए। राव बीरेंद्र सिंह और अब राव इंद्रजीत सिंह ने न केवल अपने दम पर चुनाव जीते हैं, भले ही उन्हें किसी भी पार्टी ने मैदान में उतारा हो, बल्कि उनके पास अहीरवाल बेल्ट की अन्य विधानसभा सीटों से अपने समर्थकों को चुनाव जीताने की क्षमता भी है।

राव इंद्रजीत सिंह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री राव राजा बीरेंद्र सिंह के बेटे और राव तुलाराम के वंशज है। राव बीरेंद्र सिंह 241 दिन ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे। उनके बाद कोई अहीर नेता हरियाणा के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचा। हरियाणा की राजनीति में सदा राष्ट्रीय पार्टियों ने उनको दूर रखने का प्रयास किया। 

भाजपा ने 2014 से 2024 तक पंजाबी समाज से मनोहर लाल खट्टर और फिर ओबीसी चेहरा नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। यहां अहीर समुदाय के साथ दक्षिणी हरियाणा की जनता में दक्षिणी हरियाणा के नेतृत्व को अनदेखा करने पर नाराजगी है। 23 प्रतिशत जाट और 21 प्रतिशत वंचित के बाद हरियाणा में यादव लगभग 12 प्रतिशत, पंजाबी 8% गुर्जर 3.35 प्रतिशत तथा अन्य 15.91 प्रतिशत हैं। विधानसभा की करीब दो दर्जन सीटें अहीरवाल से आती हैं, जो किसी भी सरकार का समीकरण बनाने और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाती रही हैं। 

रामपुरा हाउस के क्षत्रप 1970 से लेकर 2014 तक कांग्रेस में रहे। कांग्रेस में भी मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर उनकी काफी जद्दोजहद रही। वहां भूपेंद्र सिंह के आगे जब उनकी दाल नहीं गली तो उन्होंने कांग्रेस को टाटा कह दिया। 

छठी बार लोकसभा सांसद बनाकर उन्होंने रिकॉर्ड बनाया है। मोदी सरकार के पहले व दूसरे टर्म में भी वह राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार थे। भाजपा में एंट्री के बाद 2014 के चुनाव में उनके साथ अनेक नेताओं को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया गया था। चुनाव परिणाम आने के बाद एकाएक नरेंद्र मोदी ने अपने संगठन साथी मनोहर लाल खट्टर को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया। ‘मन’ के अन्दर ‘कसक’ लिए राव राजा का मनोहर लाल खट्टर से ‘दिल’ नहीं मिला। मनोहर लाल खट्टर ने भी भूपेंद्र हुड्डा की भांति उनके विरोधियों को ज्यादा प्रश्रय दिया।

हरियाणा की राजनीति में जिस तरह देवीलाल, बंसीलाल, भजनलाल और राव बीरेंद्र सिंह के बाद मनोहर लाल का दबदबा माना जाता है, उसी तरह हरियाणा व राजस्थान की सीमाओं से सटे अहीरवाल क्षेत्र में तीन बड़े परिवारों का पूरा हस्तक्षेप आज भी बना है। हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र में गुरुग्राम, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिले आते हैं, जबकि लोकसभा क्षेत्रों की संख्या दो गुड़गांव और भिवानी-महेंद्रगढ़ हैं।

सैनी ही होंगे सीएम चेहरा राव इंद्रजीत सिंह बोले, खुद को बताया रेस से बाहर

हिसार बार एसोसिएशन के कार्यक्रम में पहुंचे केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने सीएम पद को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा है कि पंचकूला में अमित शाह द्वारा भाजपा का सीएम चेहरा घोषित हो चुका है। नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा। उन्होंने अपना भाषण अंग्रेजी में शुरू किया बाद में हिंदी में बोलना यह कर शुरू किया मैं अंग्रेजी में भाषण दूंगा तो भाजपा में मेरे खिलाफ शिकायत होगी। इसके बाद राव इंद्रजीत सिंह ने पूरा भाषण हिंदी में दिया। 

राव इंद्रजीत सिंह ने इंसाफ मंच के कार्यक्रमों पर कहा कि यह सामाजिक मंच है, राजनीतिक नहीं इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। इंसाफ मंच ने कोविड के दौरान भी काम किया। यह भविष्य में भी सामाजिक कार्य करता रहेगा। 

उन्होंने कैबिनेट मंत्री ने बनाए जाने पर पर कहा कि मैं सबसे पुराने राज्य मंत्री हूं, मैं पांच बार राज्य मंत्री रहा हूं जो शायद इतिहास में पहली बार हुआ है। इसी वजह से लोगों में नाराजगी है। गुटबाजी को लेकर उन्होंने कहा कि मैं 34 साल कांग्रेस में रहा वहां भी गुटबाजी थी और भाजपा में भी है। लेकिन बीजेपी हरियाणा की नई पार्टी है, समय के साथ बदलाव आएगा और यह कमियां दूर होगी।

भाजपा ने इन नेताओं को किया सक्रिय

केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, भाजपा ने यहां केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य डॉ. सुधा यादव, पूर्व पूर्व लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह, वर्तमान राज्य मंत्री डॉक्टर अभय सिंह यादव, पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव, रणधीर कापड़ीवास, पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव व अभिमन्यु सिंह यादव को सक्रिय कर रखा है, ताकि अहीरवाल की राजनीति में भाजपा का पूरा दखल बना रहे।

इस तरह बढ़ रही अहीरवाल के राजनेताओं की वंशवादी राजनीति

अहीरवाल में एक परिवार का वंश राव तुला राम से जुड़ा है, जिन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र के बेटे हैं। इनके दो भाई राव अजीत सिंह और राव यादवेंद्र सिंह हैं। राव अजीत सिंह के बेटे स्ध.राव अर्जुन सिंह कांग्रेस से जुड़े थे, दूसरे बेटे अभिजीत ने अभी किसी राजनीतिक दल को ज्वाइन नहीं किया है। जबकि राव इंद्रजीत की बेटी आरती भाजपा की तेजतर्रार नेता हैं। 

यूं तो रामपुरा हाउस का दामन पकड़ने वाले और छोड़ने वालों की फेहरिस्त लंबी है। दक्षिणी हरियाणा में रामपुरा हाउस समर्थन और उसके खिलाफत की राजनीति ही चल रही है। राव दान सिंह के बेटे अक्षत यादव का राव नरबीर सिंह की बेटी से विवाह हो रखा है। राव दान सिंह की रामपुरा हाउस से भी रिश्तेदारी है। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत रामपुरा हाउस के आशीर्वाद से की थी। अक्षत अक्षत रो भी राजनीति में सक्रिय है।

रामपुरा हाऊस के एक ओर समर्थक स्व.राव बंसी सिंह ने उनको छोड़ कांग्रेस का दामन पकड़ा। उनकी राजनीति को उनके पुत्र राव नरेंद्र यादव ने आगे बढ़ाया। अब तीसरी पीढ़ी कृष्ण राव राजनीति में भाग ले रहे हैं। अहीरवाल के एक ओर नेता जगदीश यादव ने साल 1996 में तत्कालीन कांग्रेस के दिग्गज नेता राव इंद्रजीत को हराया था। जगदीश यादव बंसीलाल की सरकार में मंत्री बने थे। इसके बाद से जगदीश यादव रामपुरा हाउस के विरोध की राजनीति करते आ रहे हैं। अब वह भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।

राव अभय सिंह के बेटे कैप्टन अजय सिंह यादव रेवाड़ी से छह बार विधायक रह चुके हैं। उनके पिता ने 1952 में रेवाड़ी से राव बीरेंद्र सिंह को हराया था। कप्तान अजय सिंह के बेटे चिरंजीव राव ने 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में रेवाड़ी से जीत हासिल की थी। उनका विवाह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी से हुआ है।

अहीरवाल क्षेत्र का तीसरा महत्वपूर्ण परिवार राव मोहर सिंह द्वारा स्थापित बूढ़पुर हाउस का है। मोहर सिंह को गुरुग्राम में विभाजन से पहले पहला सहकारी बैंक खोलने का श्रेय दिया जाता है। उनके पुत्र राव महावीर सिंह और राव विजयवीर सिंह विधायक बने थे। राव महावीर सिंह के बेटे राव नरबीर सिंह तीन बार के विधायक रह चुके हैं। उन्होंने 2014 में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में बादशाहपुर से अपनी आखिरी जीत दर्ज की थी लेकिन साल 2019 के चुनाव में उनका टिकट कट गया था। 

कभी कांग्रेस और बाद में भाजपा को मुफीद रहने वाले राव इंद्रजीत सिंह की नाराजगी भविष्य में हरियाणा की राजनीति में क्या गुल खिलाएगी इस पर सब की निगाहें टिकी हुई है।

error: Content is protected !!