जिन राज्यों में विधानसभा कानून बनाकर आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से ज्यादा किया गया, उन राज्यों के आरक्षण को संविधान की नौंवी सूची में डाला जाये ताकि ऐसे आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती न दी जा सके : विद्रोही

1 जुलाई 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने मांग की कि केन्द्र की एनडीए सरकार पिछडे, दलित, आदिवासी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई 50 प्रतिशत कैप को खत्म करने संविधान संशोधन करे ताकि एससी, एसटी, ओबीसी को उनकी आबादी अनुसार हर राज्य में आरक्षण दिया जा सके और जिन राज्यों में विधानसभा कानून बनाकर आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से ज्यादा किया गया, उन राज्यों के आरक्षण को संविधान की नौंवी सूची में डाला जाये ताकि ऐसे आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती न दी जा सके।

विद्रोही ने कहा कि अब समय आ गया है जब पिछडे, दलित, आदिवासियों को उनका वाजिब हक दिलवाने जातिगत जनगणना हो और हर नागरिक की सामाजिक, आर्थिक स्थिति क्या है, इसकी भी जानकारी ली जाये। सामाजिक न्याय की बात करना आसान है, लेकिन उसे जमीनी धरातल पर लागू करने पर ही इन वर्गो को यर्थाथ में सामाजिक न्याय मिल सकेगा। पिछडे, दलित, आदिवासियों को केन्द्र व राज्य सरकारों में सजावटी कठपुलतियों की तर्ज पर मंत्री बनाने से इन वर्गो को कोई लाभ नही होने वाला। भारत की राजनीति के आज के दौर मेें केन्द्र सरकार की सभी पावर प्रधानमंत्री व प्रधानमंत्री कार्यालय व राज्यों के मुख्यमंत्रीयों के कब्जे में है और सत्ता के केन्द्रीयकरण ने मंत्रीयों को केवल सजावटी कठपुतली में बदल दिया है। विद्रोही ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि वे इस दिशा में संविधान संशोधन करे, कांग्रेस-इंडिया गठबंधन एकजुटता के साथ पिछडे, दलित, आदिवासी आरक्षण पर संविधान संशोधन करने को तैयार है।   

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