कबीर के दोहों से गूंजी कला परिषद की शाम।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र 23 जून : हरियाणा कला परिषद द्वारा कला कीर्ति भवन में आयोजित दो दिवसीय संगीतमय संध्या का समापन कबीर गायन से हुआ। विश्व संगीत दिवस के अवसर पर जहां भिवानी के कलाकारों ने रागनियों और सारंगीवादन से समां बांधा। वहीं संत कबीर दास जयंती के अवसर पर अम्बाला की सुनीता दुआ सहगल और साथी कलाकारों ने संत कबीर की वाणी का वर्णन किया। कला कीर्ति भवन के लॉन में आयोजित की गई सांस्कृतिक संध्या में श्रोताओं ने संत कबीर के दोहों का जमकर आनंद उठाया। इस अवसर पर मंच संचालन विकास शर्मा द्वारा किया गया।

भजन एवं लोकगायिका सुनीता दुआ सहगल ने कार्यक्रम की शुरुआत मन लागो मेरा यार फकीरी में से की। संत कबीर की लेखनी और शब्दों के महत्व को समझाते हुए सुनीता दुआ ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी। इसके बाद क्या तन मांजता रे, इक दिन माटी में मिल जाना, भजो रे मन गोविंदा जैसी बेहतरीन प्रस्तुतियों के साथ कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

पानी में मीन प्यासी, देखत आवत हासी, जरा हल्की गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले जैसे विभिन्न भजनों के द्वारा सुनीता दुआ ने माहौल को भक्तिमय बनाए रखा। एक के बाद एक शानदार प्रस्तुति से जहां श्रोता मंत्रमुग्ध हो रहे थे, वहीं कलाकारों के साथ-साथ भजन गुनगुनाते भी नजर आए। मन फूला फूला फिरे जगत में कैसा नाता रे और कर गुजारा फकीरी में भाई रे जैसे पदों को जब सुनीता दुआ ने सुनाना शुरु किया तो श्रोताओं ने तालियों से भरपूर साथ दिया। इतना ही नहीं कव्वाली की तर्ज पर हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशयारी क्या, रुह आयाद या जग से हमन दुनिया से यारी क्या जैसे पदों को सुनाकर सुनीता ने माहौल को खुशनूमां बनाए रखा। अंतिम प्रस्तुति कबीरा कुआं एक है पानी भरे अनेक के माध्यम से कलाकारों ने कबीर वाणी का जमकर प्रचार किया।

कार्यक्रम में विनय कुमार ने कीबोर्ड पर, नरेश रहेजा ने तबला, गौरव ने ऑक्टोपैड और परमजीत पप्पू ने ढोलक पर संगत दी। वहीं पूजा और सिमरनदीप ने कोरस में सुनीता दुआ सहगल का साथ दिया। अंत में हरियाणा कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा ने कलाकारों को सम्मानित किया।

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