13 मार्च 2024 को विधायक न होने कारण नियमानुसार  नायब सैनी नहीं थे सदन के नेता

हालांकि एक दिन के विशेष विधानसभा  सत्र में मुख्यमंत्री ने  सदन के नेता के तौर पर ही  प्रस्तुत किया विश्वास-मत का प्रस्ताव 

एडवोकेट ने राज्यपाल और स्पीकर को लिखकर मामला उठाया 

चंडीगढ़ — ऐसे में जबकि हरियाणा में नायब सिंह सैनी  सरकार के नेतृत्व वाली  भाजपा सरकार, जिसने इसी  20 जून को ही अपने कार्यकाल के  100 दिन पूर्ण किये हैं, के बीते करीब डेढ़-दो  माह से पहले एक-एक कर  दो   विधायकों के त्यागपत्र, फिर  तीन विधायकों द्वारा समर्थन वापसी और तत्पश्चात एक विधायक के  निधन   फलस्वरूप   सदन में अल्पमत में आने  बारे प्रदेश की प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी द्वारा राज्यपाल को दो बार ज्ञापन सौंपकर राज्य सरकार को तुरन्त बर्खास्त करने की मांग की गई है, इसी बीच  मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा मुख्यमंत्री बनने  के अगले ही दिन  सदन में प्राप्त  किये गये विश्वास-मत के प्रस्ताव पर भी रोचक परन्तु महत्वपूर्ण  सवाल उठ गया है. 

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और संसदीय मामलों के जानकार हेमंत कुमार ने शनिवार 22 जून को प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और  विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) ज्ञानचंद गुप्ता को लिखा है कि  करीब सवा तीन माह पूर्व 13 मार्च 2024 को हरियाणा विधानसभा के एक दिन के  विशेष  सत्र में  नायब  सैनी, जो उससे एक दिन पूर्व  12 मार्च 2024 को ही प्रदेश के  मुख्यमंत्री बने थे, द्वारा  सदन के नेता के तौर पर विधानसभा  सदन में विश्वास-मत का  प्रस्ताव पेश किया गया  कि सदन मंत्रिपरिषद में अपना विश्वास व्यक्त करता है — जो अन्तोत्गत्वा ध्वनिमत से स्वीकृत हुआ.

 हरियाणा विधानसभा की 13 मार्च 2024 को सम्पन्न हुई समस्त कार्रवाही (कनफर्म्ड) का अधिकृत विवरण  हरियाणा विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर भी  उपलब्ध है जिसमें  नायब  सैनी, मुख्यमंत्री हरियाणा को सदन के नेता के तौर पर संबोधित एवं उल्लेखित किया गया है. 

हेमंत ने  हरियाणा विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन सम्बन्धी नियमावली के नियम 2 का हवाला देते हुए बताया कि उसमें   अन्य परिभाषाओं के साथ साथ सदन के नेता को भी परिभाषित किया गया है जिसके अनुसार सदन का नेता से अभिप्राय है मुख्यमंत्री, यदि वह सदन का सदस्य हो, अथवा कोई मंत्री, जो सदन का सदस्य हो और सदन के नेता के रूप में कार्य करने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा नाम-निर्दिष्ट किया गया हो.

अब चूँकि 13 मार्च 2024 को  नायब  सैनी हरियाणा विधानसभा सदन के सदस्य (विधायक) नहीं थे अत: इस कारण  उनके द्वारा उक्त दिवस को  सदन के नेता के तौर पर हरियाणा  विधानसभा में प्रस्तुत  किये गये विश्वास-मत के प्रस्ताव पर तकनीकी परन्तु गंभीर प्रश्न उठता है कि क्या अमुक विश्वास मत का प्रस्ताव उनके द्वारा  स्वयं सदन में प्रस्तुत किया जा सकता था जबकि वो सदन के नेता ही नहीं थे.

सनद रहे कि श्री नायब सिंह सैनी  इसी माह  4 जून 2024 को करनाल विधानसभा सीट के  उपचुनाव में निर्वाचित होकर विधायक बने जिसके बाद  उन्होंने 6 जून 2024 को मौजूदा 14वी हरियाणा विधानसभा के सदस्य के तौर शपथ ली, इस प्रकार उसी तिथि अर्थात 6 जून 2024 से ही वह हरियाणा विधानसभा सदन के नेता बने हैं. 

हेमंत ने यह भी बताया  कि 13 मार्च 2024

को हरियाणा विधानसभा के  एक दिन के विशेष  सत्र में  नायब  सैनी, मुख्यमंत्री द्वारा उनके मंत्रिमंडल के पांच तत्कालीन कैबिनेट मंत्रियों नामत: श्री कँवर पाल, श्री मूल चंद शर्मा, श्री रणजीत सिंह, श्री जय प्रकाश दलाल और डॉ. बनवारी लाल, जो सभी उपरोक्त दिवस को  अर्थात 13 मार्च 2024 को  मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा के सदस्य थे (एवं आज भी हैं)  में से किसी को भी सदन के नेता के तौर पर नॉमिनेट (नाम निर्दिष्ट) नहीं किया गया था. 

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