गंगा दशहरा पर ध्यान, स्नान व दान से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 16 जून : देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से हर वर्ष की भांति रविवार को गंगा दशहरा के अवसर पर सर्वकल्याण की भावना से विशेष पूजन एवं अनुष्ठान किया। इसी अवसर पर श्री जयराम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा. रणबीर भारद्वाज के मार्गदर्शन में प. पंकज पुजारी ने श्री रामेश्वर महादेव मंदिर में यजमान सुनील मौदगिल एवं परिवार के सदस्यों का विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ रुद्राभिषेक सम्पन्न करवाया। इसी अवसर पर साधु संतों को प्रसाद भी वितरित किया गया।

डा. रणबीर भारद्वाज ने बताया कि भारतीय संस्कृति में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है और राजा भगीरथ से इसका संबंध है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। उन्होंने बताया स्कन्दपुराण में कहा गया है कि गंगा दशहरे के दिन व्यक्ति को किसी भी पवित्र नदी अथवा तीर्थ में स्नान करना चाहिए। इस दिन ध्यान व दान करना चाहिए। इससे सभी पापों से मुक्ति मिलती है। डा. भारद्वाज ने विस्तार से बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन राजा भगीरथ गंगा को धरती पर लाए थे। इस दिन गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। इस अवसर पर लोग गंगा अथवा पवित्र में स्नान करते हैं और गरीबों को दान करते हैं। डा. रणबीर भारद्वाज ने बताया शास्त्रों में कहा गया है कि शिव की जटाओं में लिपटी गंगा के जल में डुबकी लगाने से मनुष्य को विष्णु और शिव का आशीर्वाद एक साथ प्राप्त होता है।

मान्यता है कि राजा भगीरथ के पूर्वजों को श्राप मिला था, जिसकी वजह से उन्होंने गंगा को धरती पर लाने के लिए घोर तप किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माता गंगा ने उन्हें दर्शन दिए।

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