स्वीमिंग पुल अलाटमेंट घोटाले की जांच फाइल कर डाली गायब, सूचना आयुक्त ने लिया कड़ा संज्ञान

-सूचना आयुक्त ने दिए भिवानी डीसी को तीन माह में जांच कर दोषी कर्मचारी व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट देने के निर्देश

-स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने स्वीमिंग पुल अलाटमेंट घोटाले में मांगी थी आरटीआई से जांच रिपोर्ट

-सूचना आयुक्त ने जांच के दौरान आरटीआई कार्यकर्ता को भी शामिल करने के दिए हैं निर्देश

भिवानी, 03 जून। भिवानी में जिला बाल कल्याण परिषद की भूमि पर स्वीमिंग पुल अलॉटमेंट घोटाले की जांच की फाइल ही अधिकारियों ने गायब कर डाली। जिस पर राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त ने कड़ा संज्ञान लेते हुए इस मामले में भिवानी उपायुक्त को तीन माह में मामले की जांच कर दोषी कर्मचारी व अधिकारियों के खिलाफ सेवा नियमों के तहत कार्रवाई की सिफारिश की रिपोर्ट देने के भी निर्देश दिए हैं।

दरअसल स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत भिवानी उपायुक्त कार्यालय से 23 सितंबर 2021 को जिला बाल कल्याण परिषद की भूमि पर स्वीमिंग पुल अलॉटमेंट घोटाले से जुड़ी जांच रिपोर्ट मांगी थी। उपायुक्त कार्यालय ने आरटीआई के जवाब में बताया था कि एसडीएम कार्यालय से इस कार्यालय में जांच रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। इस पर बृजपाल सिंह परमार ने भिवानी एसडीएम कार्यालय से 22 फरवरी 2022 को आरटीआई के तहत सूचना मांगी। जिस पर एसडीएम भिवानी कार्यालय ने भी अपने जवाब में बताया कि जांच रिपोर्ट डीसी आफिस में भेज दी है। उपायुक्त और एसडीएम कार्यालय के बीच जांच रिपोर्ट ही गायब कर दी गई।

जिस पर बृजपाल सिंह परमार ने 4 अगस्त 2022 को आरटीआई एक्ट के सेक्शन 18(1) के तहत शिकायत राज्य सूचना आयुक्त को दी। राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त डॉ कुलबीर छिक्कारा ने सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 25(5) के तहत 1 अप्रैल 2024 को सुनवाई की। सूचना आयुक्त डॉ कुलबीर छिक्कारा ने 28 मई 2024 को भिवानी उपायुक्त को सिफारिश की। जिसमें उपायुक्त द्वारा इस मामले में यह पता लगाया जाएगा कि एसडीएम भिवानी द्वारा डीसी कार्यालय को जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है। अगर जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई पाई जाती है तो दोषी उपायुक्त कार्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सेवा नियमों के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी और शिकायतकर्ता को भी जांच के दौरान अपना पक्ष रखने के लिए शामिल किया जाएगा। जांच 90 दिनों के अंदर पूरी करके 31 जुलाई 2024 तक आयोग को भी रिपोर्ट भेजी जाएगी।

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