अक्खड़, खुंदकी व तानाशाह थे बंसीलाल यही समानता है उनकी मोदी के साथ 

बंसीलाल ईमानदार पर मोदी की वाशिंग मशीन से निकल रहे हैं भ्रष्टाचारी बेदाग

बंसीलाल को लेकर कहावत ‘राजपूतों की मरोड़, हरियाणा में मोड़ नहीं छोड़ा’

क्या आपातकाल का रिवासा कांड भूल गए मोदी?

एक तरफ आपातकाल की निंदा दूसरी ओर आपातकाल के खलनायक की तारीफ

राव तुलाराम पर अपशब्द कहने वाले व शहीदी दिवस की छुट्टी रद्द करने वाले बंसीलाल की तारीफ पर क्यों चुप रहे ‘राव राजा’

मोदी के बंसीलाल पर कसीदों का राजपूत व अहीर मतदाताओं पर कितना रिएक्शन होगा 4 जून परिणाम तय करेगा

अशोक कुमार कौशिक 

पीएम नरेन्द्र मोदी ने 23 मई को महेंद्रगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार चौ धर्मवीर सिंह के लिए प्रचार करते हुए उन दिनों को याद किया जो उन्होंने राज्य में पार्टी संगठन के लिए काम करते हुए बिताए थे। मोदी ने कहा, “ऐसा नहीं हो सकता कि मैं हरियाणा आऊं और पुरानी यादें ताजा न करूं। यहां मुझे कई पुराने चेहरे नजर आते हैं। हरियाणा वर्षों तक एक तरह से मेरा घर रहा है। मैंने हरियाणा और पंजाब से राजनीति के बहुत सारे सबक सीखे हैं।” हरियाणा की 10 लोकसभा सीट के लिए शनिवार को मतदान हो रहा है। बता दें कि वर्ष 2019 में भाजपा ने राज्य की सभी 10 सीट पर जीत हासिल की थी।

– चौधरी बंसीलाल को किया याद 

मोदी ने स्वर्गीय चौधरी बंसीलाल को याद करके उनके समर्थकों को साधने की कोशिश की। पीएम मोदी ने संबोधन के दौरान भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल का नाम लेकर उनके समर्थकों को भी साधने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि किरण चौधरी अपनी पुत्री श्रुति चौधरी को टिकट न मिलने से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि हमने चौधरी बंसीलाल के साथ मिलकर सरकार चलाई। वह हरियाणा के विकास के लिए कटिबद्ध थे। वह अनुभवी नेता थे। पीएम ने कहा कि बंसीलाल से मेरी बहुत निकटता थी। उनके पास अनुभव की इतनी बातें हुआ करती थी कि कभी-कभी रात एक-एक बजे तक बातें करते थे। वह मुझसे बहुत प्यार करते थे। हम यहां उनकी बात का राजपूत और अहीर समुदाय में कितना असरकारक रहेगा इसका विश्लेषण करेंगे।

– बंसी लाल की चर्चा पर राजपूतों पर असर 

बात बहुत पुरानी है लेकिन राजपूत समाज के लिए बहुत संवेदनशील रही थी। बंसीलाल भिवानी की न्यायालय में ठाकुर चिरंनजीत सिंह के जूनियर थे। ठाकुर चिंरनजीत सिंह बड़े जमींदार और नामी वकील थे। किसी बात को लेकर ठाकुर चिंरनजीत सिंह ने बंसीलाल को थप्पड़ मार दिया था। कहते हैं कि जब बंसीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने ठाकुर चिंरनजीत सिंह को सरेआम हथकड़ी लगाकर भिवानी शहर में घुमाया और उनकी सारी सम्पत्ति बिकवा दी। यहां तक कि उनके बर्तन तक बिकवा दिए थे। 

– रिवासा कांड

1974 के रिवासा कांड ने हरियाणा के राजपूतों को ही नहीं देश के लोगों को बुरी तरह झंझकोर कर रख दिया था। आपातकाल के समय रिवासा गांव के एक भाई बहन को थाने में नंगा करके रात भर रखा गया था। किसके साथ बंसीलाल ने कभी राजपुत नेतृत्व को उभरने नहीं दिया।

उपरोक्त ये वाकये हैं जिसके चलते भिवानी महेंद्रगढ़ में 2 लाख राजपूत मतदाताओं का हमेशा बंसीलाल के साथ 36 का आंकड़ा रहा है। बंसीलाल को लेकर यह कहावत थी कि ठाकुरों की मरोड़ और हरियाणा में मोड़ नहीं छोडूंगा।

– बंसीलाल के साथ गठबंधन सरकार की बात तो कहीं पर गठबंधन क्यों कुटा इस पर मौन

मोदी ने उन दिनों को याद किया जब 1995 में वह पार्टी के लिए राज्य प्रभारी के रूप में काम कर रहे थे। उन्होंने कहा, “आम तौर पर राज्य प्रभारी दौरा करने आते हैं लेकिन मैं यहां रहता था। उस समय मनोहर लाल खट्टर पार्टी संगठन का काम देखते थे जबकि रमेश जोशी हमारी पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष हुआ करते थे।” मोदी ने कहा कि जोशी, खट्टर और वह खुद राज्य का दौरा करते थे। 

मोदी ने यह तो चर्चा की कि 1996 से 1999 में बंसीलाल सरकार के साथ उनका गठबंधन रहा था। पर उन्होंने इस बात पर प्रकाश नहीं डाला कि भाजपा ने वह गठबंधन क्यों तोड़ दिया? राजनीतिक क्षेत्र में यह चर्चा जोरों पर रही थी कि तत्कालीन संगठन मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिलने के लिए बंसीलाल ने इनकार कर दिया था और मनोहर लाल खट्टर इस बात से खुन्नस खाए हुए थे। समय आते ही उन्होंने रामबिलास शर्मा को मोहरा बनाकर बंसीलाल से गठबंधन तोड़कर ओमप्रकाश चौटाला से गठबंधन कर लिया था। 

– आपातकाल की निंदा दूसरी और खलनायक का महिमामंडन

नरेंद्र मोदी अक्सर अपने भाषणों में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए आपातकाल की बातें करते हैं। आपातकाल के दौरान (1975-1977) बंसीलाल को भी आपातकाल का एक खलनायक कहा जाता है। आखिर मोदी किस बिना पर इस खलनायक को लेकर कसीदें पढ़ रहे थे। क्या उनके जीवन में उपरोक्त बातें नहीं रही।

– धर्मवीर सिंह का भी रहा बंसीलाल से 36 का आंकड़ा

यहां यह भी बता दे कि भाजपा प्रत्याशी चौधरी धर्मवीर का भी बंसीलाल से 36 का आंकड़ा रहा है। 1987 में उन्होंने बंसीलाल को हराया था। कहा तो यह भी जाता है कि उन्होंने बंसीलाल को जबरन हराया था। तब बंसीलाल ने प्रदेश में अशांति ने फैले इस बिना पर हार को स्वीकार किया था। इसके बाद 1974 में बंसीलाल के पुत्र सुरेंद्र सिंह को भी हार का मुख देखना पड़ा था।

बंसीलाल का अहीरों से संबंध 

‘रामपुरा हाउस’ के ‘सिरमौर राव राजा’ इंद्रजीत सिंह अपने समक्ष मोदी द्वारा बंसीलाल के गुणगान पर मन मसोस कर रह गए। न जाने क्यों वह राव तुलाराम के अपमान को चुपचाप सहन कर गए। मोदी जी द्वारा बंसीलाल की प्रशंसा से अहीर बिरादरी में अच्छी खासा नाराजगी है।

कहते हैं कि 1970 की रेवाड़ी की जनसभा में बंसीलाल ने राव तुलाराम को लेकर अपमानजनक शब्द कहे थे। उस समय राव राजा इंद्रजीत सिंह वकालत करते थे। उन्होंने उनके खिलाफ मानहानि का दावा लोअर कोर्ट में दायर किया था जो तकनीकी कारणों से खारिज हो गया। उसके बाद सत्र न्यायाधीश और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भी दायर किया गया। वहां भी तकनीकी कारणों से वह खारिज हो गया।

1986 में कांग्रेस ने जब बंसीलाल को दोबारा से हरियाणा की कमान सौपी तब उन्होंने पहली कलम से ’23 सितंबर राव तुलाराम शहीदी दिवस’ की छुट्टी को रद्द किया था। राव तुलाराम का जितना अपमान बंसीलाल ने किया था शायद ही किसी राजनेता ने किया हो। रामपुरा हाउस उस अपमान पर कैसे चुप है, इससे अहीर समुदाय में काफी गुस्सा है। 

बंसीलाल और नरेंद्र मोदी में समानताएं 

यहां हम बंसीलाल और नरेंद्र मोदी का तुलनात्मक नजरिया दे रहे हैं। बंसीलाल बेहद खुदंकी और अक्खड़ किस्म के आदमी थे। जिसे एक बार खुदंक कर लेते थे उससे पीछे नहीं हटते थे। वह अपनी अकड़ के लिए भी प्रसिद्ध थे। यही समानता नरेंद्र मोदी में भी है। मोदी भी जिससे खुंदक कर लेते हैं उसे तबाह किए बिना पीछे नहीं हटते। अकड़ के मामले में वह बंसीलाल से कम नहीं है। दूसरी समानता बंसीलाल बेहद तानाशाह थे, यही प्रवृत्ति नरेंद्र मोदी में भी देखने को मिलती है। 

लेकिन इससे दीगर बात यह है कि बंसीलाल बेहद ईमानदार थे। वह किसी बेईमान को पनाह नहीं देते थे। यह बात नरेंद्र मोदी में देखने को नहीं मिलती। नरेंद्र मोदी की वाशिंग मशीन में अनेक भ्रष्टाचारी बेदाग हो चुके हैं। अडानी और अंबानी को लेकर उनके संबंधों पर भी उंगलियां उठ रही हैं।

बंसीलाल को लेकर नरेंद्र मोदी द्वारा पढ़े गए कसीदों का राजपूत व अहीर मतदाताओं पर कितना अच्छा या बुरा प्रभाव पड़ेगा इसका नतीजा 4 जून को आने वाले परिणाम तय करेंगे। कहा तो यहां तक जा रहा है कि रोहतक, गुड़गांव व भिवानी महेंद्रगढ़ सीटों पर फायदे की जगह नरेंद्र मोदी नुकसान कर गए। केवल किरण और श्रुति को साधने के चक्कर में वह कांग्रेस को ऑक्सीजन दे गए । उनका भाषण अपने आप में विरोधाभासी था। युवा पीढ़ी जिससे अनजान थी वह बात अब उसकी जानकारी में आ गई।

– नारनौल के सूरजभान हलवाई की तारीफ, संतानों में ‘ईडी का खौफ’

उन्होंने सभा में भाजपा की हरियाणा इकाई के वरिष्ठ नेता रामबिलास शर्मा की ओर इशारा करते हुए कहा, “मैंने प्रदेश की हमारी माताओं-बहनों के हाथ का बना खाना खूब खाया। मुझे नारनौल के सुरजा हलवाई तथा महेंद्रगढ़ की मिठाइयाँ याद हैं। हो सकता है कि इसी वजह से हमारे रामबिलास शर्मा को डायबिटीज हो गई हो।” मोदी ने कहा कि हर किसी के पास एक गिलास ‘राबड़ी’, एक ‘रोटी’ और एक प्याज होता था जो गर्मी के मौसम में उनकी भूख मिटाने के लिए पर्याप्त था। उन्होंने कहा, ”जित सीधा सादा खाना, वो मेरा हरियाणा।” 

हमने नारनौल में स्वर्गीय सूरजभान के पुत्रों से यह बताए बिना कि हम पत्रकार हैं, बातचीत की। हमने कहा प्रधानमंत्री ने आपको पूरे देश में प्रसिद्ध कर दिया है । तब उनका उत्तर था भाई साहब प्रधानमंत्री ने रातों की नींद खराब कर डाली। ‘अब हमें यह डर सताने लग गया कि कहीं हमारे यहां ईडी की रेड ना हो जाए।’ उनका कहना था कि प्रधानमंत्री की बात में बड़ा रहस्य रहता है।

पहलवान और सशस्त्र बलों में सैन्य बलों को लेकर क्षेत्र की तारीफ पर अग्निवीर व ओपीएस को लेकर चुप्पी

हरियाणा बड़ी संख्या में युवाओं को सशस्त्र बलों में भेजने वाला और देश को बड़ी संख्या में एथलीट तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ी देने वाले हरियाणा के स्पष्ट संदर्भ में मोदी ने कहा, “हरियाणा के घी और मक्खन का जोर आज पूरी दुनिया देख रही है।” वह हरियाणा के पहलवानों के साथ भाजपा सांसद ब्रिजभूषण द्वारा की गई बदसलूकी को लेकर चुप्पी साध गए।

मोदी ने बाजरे और घी से बनी खिचड़ी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “मैं एक गुजराती आदमी हूं। मैं इतना नहीं खा सकता था लेकिन मुझे अभी भी वह प्यार याद है, जो लोग देते थे।”

मोदी ने अपने भाषण में अग्निवीर को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा जबकि भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, रोहतक सहित अधिकांश हरियाणा देश को सर्वाधिक सैनिक देता है। नरेंद्र मोदी ने ओटीएस को लेकर भी एक भी शब्द नहीं कहा। इससे कर्मचारियों, पूर्व सैनिकों और युवाओं में काफी नाराजगी है। मोदी द्वारा उठाए गए मुद्दे कितना असर कारक रहें इसका 4 जून के आने वाले परिणामों में पता लगेगा।

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