युवाओं को अर्जित ज्ञान के साथ-साथ आज के दौर में चल रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट तथा नई-नई तकनीकों का करना होगा प्रयोग- राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय

साल 2047 तक भारत सुपर पावर बनेगा और इसमें आज के युवाओं की भागीदारी भी हो सुनिश्चित- श्री दत्तात्रेय

दीक्षांत समारोह में 1118 विद्यार्थियों को डिग्रियाँ की गई प्रदान

नई दिल्ली, 11 मई – हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने आज युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि युवाओं को ज्ञान अर्जित करने के साथ- साथ तकनीक के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए आज के दौर में चल रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट तथा नई-नई तकनीकों का प्रयोग करना होगा। इससे उनकी निपुणता, नवाचार और सोच में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि साल 2047 तक भारत सुपर पावर बनेगा और इसमें आज के युवाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित होनी चाहिए, इसलिए युवाओं को इस कार्य में बढचढ कर भाग लेना होगा।

राज्यपाल आज यहां एपीजे सत्या विष्वविद्यालय गुरूग्राम के तीसरे दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित विद्यार्थियों, शिक्षाविदों और अभिभावकों को संबोधित कर रहे थे। यह समारोह संस्था के दिल्ली पंचशील पार्क स्थित संस्थान में आयोजित किया गया था।

उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह में जब कोई विद्यार्थी कड़ी मेहनत व लग्न के साथ शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत उपाधि प्राप्त करता है तो वह पल उसके लिए बेहद गौरवशाली एवं उपलब्धि भरा होता है। आज का यह उपलब्धियों भरा गौरवमय क्षण आप विद्यार्थियों के अथक परिश्रम एवं सतत अध्ययन के साथ-साथ आपके आदरणीय माता-पिता के आपार त्याग, तपस्या और कठोर परिश्रम, गुरुजनों के सहयोग एवं मार्गदर्शन का परिणाम है।

नौकरी माँगने वालों की बजाए युवा नौकरी देने वाले बने – राज्यपाल

श्री दत्तात्रेय ने युवा विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि यह सही है कि आज आप उत्तीर्ण हुए हैं और डिग्री लेकर यहां से बाहर जा रहे हैं और इस डिग्री व ज्ञान से आपको नौकरी मिल जाएगी परंतु आपको इससे एक कदम और आगे बढकर सोचना चाहिए अर्थात नौकरी प्राप्त करना ही नहीं, बल्कि नवयुवकों को नौकरी देने वाले बने। इसके लिए आपको संकल्प करना होगा और कोई भी शंका नहीं रखनी चाहिए । उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में कुशल लोगों की कमी है इसलिए आपको नवाचार और अनुसंधान के साथ आगे बढ़ना होगा। दुनिया में साल 2030 तक तीन करोड़ नौकरियां सृजित होने वाली है जिनमें से दो करोड नौकरियां भारत के युवा प्राप्त कर सकते हैं यदि वे कुशल व योग्य हैं।

‘‘मनी इज नॉट पावर, नॉलेज इज पावर’’- राज्यपाल

राज्यपाल ने अंग्रेजी में ‘वनस ए स्टूडेंट-लाइफ लांग ए स्टूडेंट’ कहते हुए बताया कि ‘‘आज मैं राज्यपाल हूं लेकिन मैं आज भी विद्यार्थी हूं अर्थात मेरे अंदर आज भी सीखने की भावना रहती है’’। उन्होंने अपने जीवन और परिवार के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि मैं बहुत ही गरीब परिवार से आता हूं और मेरी माता जी प्याज बेचती थी और मेरे पिता जी की मेरे बचपन में ही मृत्यु हो गई थी। मैं अपनी माता जी की सहायता करने के लिए उनके साथ प्याज बेचता था परंतु मेरी माता जी सहायता करने के साथ-साथ पढने का संदेश भी देती थी। इसलिए आपको अपने जीवन में हमेशा आगे बढने के लिए सीखने की भावना रखनी होगी। उन्होंने कहा कि ‘‘मनी इज नॉट पावर, नॉलेज इज पावर’’ यानी नॉलेज बढ़ेगी तो आपकी रिकॉग्निशन बढ़ेगी और शिक्षा से चरित्र बनेगा तथा चरित्र आपको मजबूत बनाएगा।  

संकल्प लें और रोज उस संकल्प को प्राप्त करने के लिए मेहनत करें – राज्यपाल

इसी प्रकार, उन्होंने समाज के लिए कार्य करने का संकल्प लेने का संदेश देते हुए कहा कि एक बार उनके परिवारजनों ने कहा कि बैंक की परीक्षा दो, मैंने दी और मेरी बैंक में नौकरी लग गई परंतु मैंने नौकरी नहीं की क्योंकि मुझे समाज के साथ मिलकर काम करना था इसलिए जो कभी मैंने सोचा भी नहीं था वो आज मैं हूं अर्थात मैं सांसद बना, मंत्री बना और आज मैं आपके सामने राज्यपाल के तौर पर हूँ। कहने का भाव है कि संकल्प लें और रोज उस संकल्प को प्राप्त करने को मेहनत करें ।

भारत के युवा दुनिया के सबसे प्रतिभावान युवाओं में शामिल – राज्यपाल

राज्यपाल ने कहा कि वे समझते हैं कि भारत के युवा दुनियां के सबसे प्रतिभावान युवाओं में से एक हैं। भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा युवा जनशक्ति का है। 21वीं सदी में युवा ही भारत की सबसे बड़ी ताकत है। आज पूरी दुनिया भारत के युवाओं की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान, सामाजिक व आर्थिक विकास के क्षेत्र में भारत में जिस तरह के प्रयोग हो रहे हैं उससे पूरी दुनिया आश्चर्यचकित है। उन्होंने कहा कि आत्मविश्वास व योग्यता से भरे भारतीय युवा वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफल हो रहे हैं। भारतीय मानव संसाधन की मांग दुनियां में इसलिए बढ़ रही है, क्योंकि हमारे विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। भारत प्राचीन काल से ज्ञान व अनुसंधान का केन्द्र रहा है। हमारे युवा श्रेष्ठ ज्ञान अर्जित करें, अपनी क्षमताओं को समझें और दुनिया के सामने श्रेष्ठ जीवन के आदर्श स्थापित करके अपनी एक अलग पहचान बनाएं।

एपीजे सत्या विश्वविद्यालय नौ विषयों में चौबीस कैरियर उन्मुख कार्यक्रमों में शिक्षा प्रदान कर रहा – राज्यपाल

एपीजे सत्या विश्वविद्यालय हरियाणा राज्य विधानमंडल के अधिनियम द्वारा स्थापित और सभी नियामक निकायों द्वारा अनुमोदित एक युवा दूरदर्शी बहु-विषयक राज्य निजी विश्वविद्यालय है और यह भारत का पहला उद्योग-केंद्रित प्रौद्योगिकी और उदार कला विश्वविद्यालय है जो अनुसंधान और नवाचार पर केंद्रित है और जो आज नौ विषयों में यूजी, पीजी और डॉक्टरेट स्तर पर चौबीस कैरियर उन्मुख कार्यक्रमों में शिक्षा प्रदान करता है। विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद और यूजीसी ने अच्छी तरह से स्वीकार किया है, जिसने एएसयू को उसके मूल्यांकन के प्रथम चक्र में ए-ग्रेड के साथ मान्यता दी और 12 (बी) का दर्जा दिया, जिसके लिए विश्वविद्यालय बधाई का पात्र है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि स्टैनफोर्ड और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के जाने-माने शिक्षाविद एपीजे सत्या विश्वविद्यालय के सलाहकार बोर्ड में शामिल हैं। विश्वविद्यालय में निगमित संसाधन केंद्र (कॉर्पोरेट रिसोर्स सेंटर सीआरसी) मजबूत उद्योग इंटरफेस की सुविधा प्रदान करता है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को सार्वजनिक और निजी दोनों संस्थानों द्वारा अच्छी तरह से मान्यता दी गई है और कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया गया है।

डॉ. सत्या पॉल एक महान स्वतंत्रता सेनानी, उत्कृष्ट नेता, उद्योगपति, प्रमुख शिक्षाविद्, परोपकारी और महान विचारक थे – राज्यपाल

उन्हांेने कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि एपीजे सत्या विश्वविद्यालय डॉ. सत्या पॉल के दृष्टिकोण से निर्देशित है, जोकि एक महान स्वतंत्रता सेनानी, उत्कृष्ट नेता, एक उद्योगपति, प्रमुख शिक्षाविद्, परोपकारी और महान विचारक थे। वे एक आत्मनिर्भर औद्योगिक राष्ट्र के रूप में भारत के उद्भव के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे तथा वे एपीजे सत्या और स्वरान ग्रुप की स्थापना के पीछे अग्रणी दूरदर्शी वास्तुकार रहे हैं जो आज विविध व्यापार समूह का नेतृत्व कर रहे हैं। एपीजे एजुकेशन संस्थान की स्थापना उनकी दूरदृष्टिता का ही सफल प्रमाण हैं, जो आज देश भर में 26 शैक्षणिक संस्थान के साथ-साथ एपीजे सत्या विश्वविद्यालय संचालित कर रहे हैं, जिसमें 40 हजार से भी अधिक विद्यार्थीयों को गुणवत्तापूर्ण आधुनिक शिक्षा प्रदान की जा रही है। एपीजे एजुकेशन के पास प्रतिभा को पोषित करने और नवाचार को बढ़ावा देने की समृद्ध विरासत के रूप में दुनिया भर में पैसठ हजार से अधिक निपुण व्यक्तियों का पूर्व विद्यार्थी के रूप में एक विशाल नेटवर्क है जोकि बहुत बड़ी उपलब्धि है।

इस मौके पर भारत के 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष प्रो० अरविंद पनगढ़िया, यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह, एपीजे सत्या यूनिवर्सिटी की चांसलर, एपीजे एजुकेशन की अध्यक्ष एंड बिजनेस ओनर और चेयरमैन, एपीजे सत्या और स्वरान ग्रुप श्रीमती सुषमा पॉल बर्लिया,  विश्वविद्यालय की प्रो-चांसलर डॉ. नेहा बर्लिया,  विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० विजय वीर सिंह ने दीक्षांत समारोह में संबोधित किया और उपस्थित छात्रों को प्रेरणा संदेश दिया।

दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने उत्तीर्ण हुए विद्यार्थियों को उपाधियां देकर सम्मानित किया और दीक्षांत समारोह में कुल 1118 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल को विश्वविद्यालय की चांसलर श्रीमती सुषमा पॉल बर्लिया ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इससे पहले दीक्षांत समारोह में उन्होंने दीप प्रज्जवलन किया और चंपा का पौधा भी लगाया।

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