भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। तीसरे चरण के चुनाव के पश्चात हरियाणा पर भी परेशानियों के बादल छाये दिखाई दे रहे हैं। 3 निर्दलीय विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के पश्चात हरियाणा सरकार शायद अल्पमत में आ गई है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है और दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल को चिट्ठी लिख दी है कि विधानसभा में बहुमत साबित करे सरकार। उधर अभय चौटाला ने भी कहा है कि मैं भी सरकार के विरूद्ध मतदान करूंगा।

इतना ही नहीं संकट के बादल और भी दिखाई दे रहे हैं। भाजपा के बहुत बड़े राजपूत नेता सूरजपाल अम्मू ने भी भाजपा छोड़ दी है और चर्चा यह है कि कुछ अन्य भी अभी भाजपा को विदा कहने के इरादे में हैं।

आपको बता दें कि सूरजपाल अम्मू भाजपा के अतिविश्वस्त नेता रहे हैं और वह आरंभ से ही भाजपा में ही थे। किसी अन्य पार्टी में वह इससे पहले कभी नहीं रहे हैं।

मुख्यमंत्री नायब सैनी का कहना है कि दुष्यंत चौटाला को सत्र बुलाने की बहुत जल्दी लग रही है। दुष्यंत चौटाला ने सत्ता में रहकर सरकार में जो आनंद लिए हैं, वह सरकार से बाहर हो गए तो उन्हें अखर रहा है। अभी एक माह पहले जब कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी तो हमने बहुमत सिद्ध कर दिया था। जरूरत पडऩे पर फिर सिद्ध कर देंगे।

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि कांग्रेस और दुष्यंत चौटाला को हमारे बहुमत की चिंता छोड़ आगामी चुनाव की तैयारी करनी चाहिए। कुल मिलाकर स्थिति भाजपा के अनुकूल नजर आ नहीं रही।

मुख्यमंत्री का कहना कि उन्होंने एक माह पहले बहुमत साबित कर दिया था, गले उतरता नहीं, क्योंकि वह सरकार तो भंग हो गई थी, यह सरकार तो 13 मार्च को बनी है। अब देखना यह होगा कि राज्यपाल क्या कदम उठाते हैं? सुनने में यह भी आ रहा है कि यदि राज्यपाल का निर्णय हुड्डा और दुष्यंत को पसंद नहीं आया तो वे कोर्ट का रूख भी कर सकते हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा रहा है कि जब 11 मार्च को मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा गुरुग्राम में नरेंद्र मोदी की द्वारका एक्सप्रेस-वे के लिए रैली कराई थी तो उसमें लगा था कि मनोहर लाल जनता में अपना विश्वास खो चुके हैं लेकिन मनोहर लाल ने नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया लेकिन जनता में अब भी यही संदेश है कि सत्ता तो मनोहर लाल के हाथ में ही है। नायब सैनी तो मात्र उनकी कठपुतली हैं और शायद इसी कारण इस प्रकार की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं।

राजनीति में कब क्या हो जाए, यह तो समय के गर्भ में होता है परंतु यह अवश्य है कि इन स्थितियों का लोकसभा चुनाव पर जो असर होगा, उसमें भाजपा को नुकसान होने की पूरी संभावना है। देखिए, समय क्या रंग दिखाता है?

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