*‘‘श्रीराम जी और श्रीकृष्ण जी हमारे पथ प्रदर्शक हैं, यह हमें रास्ता दिखाते हैं और यह हमारे लाइट हाउस है’’ – अनिल विज*

*‘‘प्यार में कोई भी उच्च या नीच नहीं होती, प्यार की कोई जात-पात नहीं होती, प्यार तो प्रभु की कृपा से होता है’’- विज*

अंबाला, 2 अप्रैल-  हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि ‘‘जो लोग कहते हैं कि श्रीराम जी और श्रीकृष्ण जी काल्पनिक है उनका जवाब दिया जाने वाला है क्योंकि यही हमारे पथ प्रदर्शक हैं, यह हमें रास्ता दिखाते हैं और यह हमारे लाइट हाउस है’’।

श्री अनिल विज आज अंबाला में श्री बांके बिहारी मंदिर गोविंद नगर में चल रही 50वें स्वर्णिम वार्षिक उत्सव श्रीमद् भागवत कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वामी जी यहां आए हैं और इन्होंने बहुत ही अच्छे ढंग से वर्णन किया है और इस नगर का प्रतिनिधि होने के नाते मैं आप सब की ओर से और अपने नगर के सभी नागरिकों की तरफ से भी मैं आचार्य जी के चरणों में नमन करता हूं।

उन्होंने कहा कि मार्मिक दृष्टांत का वर्णन आज यहां होने जा रहा है सुदामा जी और श्री ष्ण के साथ बचपन में खेले थे और जब सुदामा जी के श्रीकृष्ण जी से  द्वारकाधीश में मिलने के लिए गए तो सुदामा जी के मन में बहुत सारे विचारों का मिश्रण चल रहा है। वे सोच रहे थे कि अभी पता नहीं यह राजा है मुझे पहचानेंगे या नहीं पहचानेंगे अर्थात उनके मन में ज्वार भाटा चल रहा होता है पंरतु जब दोनों का मिलन होता है तो आंखों से अश्रु की अविरल धारा बहती है। श्री विज ने कहा कि श्री कृष्ण जी कैसे अपने मित्र को गले लगाते हैं, यह अपने आप में एक मित्र की मित्रता को दर्षाता है क्योंकि प्यार में कोई भी उच्च या नीच नहीं होती, प्यार की कोई जात-पात नहीं होती, प्यार तो प्रभु की कृपा से होता है।

उन्होंने कहा कि मुझे हर वर्ष यहां आने का आप लोग मौका प्रदान करते हैं और मुझे बहुत अच्छा लगता है कि सनातन संस्कृति के वाहक श्री कृष्ण जी और श्री राम जी के जीवन के दृष्टांत यहां पर सुनाए जाते हैं। जो जीवन को सार्थक करने के लिए बहुत ही प्रेरणादायक होता है और श्री कृष्ण जी ने तो सभी प्रकार के रास्ते अर्थात भक्ति योग, ज्ञान योग इत्यादि सभी रास्ते बताएं हैं। उन्होंने उपस्थित लोगों से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि भगवान तक जाने के लिए कोई भी रास्ता अख्तियार कर ले, मंजिल अपने आप मिल जाएगी। श्री विज ने कहा कि हमारी बहुत पुरानी सभ्यता और संस्कृति है विश्व में सनातन का अर्थ ही होता है कि सबसे पुराना। जो कल भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी। यह हमारी संस्कृति है और हम अंधेरे में भटक नहीं रहे हैं यह हमारे पथ प्रदर्षक है।

श्री विज ने गीता के संदेष का जिक्र करते हुए कहा कि श्री भागवत गीता जी में जो उपदेश दिया गया उसमें श्री कृष्ण जी ने कहा कि ‘‘फक्त शास्त्र को बना रहनुमा, तुझे करना है क्या और तुझे ना करना है क्या’’। जब जिंदगी में किसी दोराहे पर अर्थात पता ना लगे कि तुझे कहां जाना है ठीक रास्ता कौन सा है, गलत रास्ता कौन सा ह,ै सुगम रास्ता कौन सा है, कठिन रास्ता कौन सा है, तो फक्त शास्त्र को बना रहनुमा अर्थात शास्त्र को अपना रहनुमा बना। इस मामले में हमारे शास्त्र भरे पड़े हैं और उन्होंने कहा कि गीता सफलता की कुंजी है। गीता को अपना रहनुमा बना उसमें हर रास्ता मिलेगा।

श्री विज ने कहा कि आयोजित की जा रही कथा के बारे में कहा कि मैं समझता हूं कि यहां पर रोजाना कई दृष्टांत बताए जाते हैं यह कथा ही नहीं हो रही, यह अमृत वर्षा हो रही है और न जाने कौन सी धुन किसके दिमाग में गिर जाए और वह पता नहीं क्या बन जाए। उन्होंने कहा कि मैं यहां की मैनेजमेंट को बहुत-बहुत साधुवाद देना चाहता हूं और यह संस्थाएं बहुत बड़ा काम कर रही हैं यह हमारी संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं। अगर ऐसी संस्थाएं गली मोहल्ला और शहरों में नहीं होती तो शायद हम यह चीज भूल गए होते तथा आज के बच्चे कहते यह राम कौन है यह कृष्ण कौन है लेकिन इस संस्थान ने कुछ समय निकालकर जनकल्याण के लिए लगा दिया ताकि जनता का कल्याण हो।  

श्री विज ने कहा कि जब से हमने होश संभाला है यही गीत और यही कथाएं हमें सुनाई जाती और हमारी दादी व मां भी यही गीत और कथाएं सुनाया करती थी और इनको सुन सुन कर ही हमारा यह समाज बना है। एक सच्चा और सुसंस्कृति समाज बनाए रखने के लिए यह आयोजन बहुत जरूरी हैं और इस प्रकार के आयोजनों को आयोजित करने के लिए इस प्रकार की मैनेजमेंट भी बहुत जरूरी है। हमारे समाज निर्माण में इनका बहुत बड़ा योगदान है।

उन्होंने कहा कि मैं द्वारका भी गया हूं और अभी हाल ही में हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भी पनडुब्बी में बैठकर द्वारकाधीश के दर्शन करके आए हैं और यकीनी तौर पर अगर मोदी जी वहां गए हैं तो समझो कि आगे का रास्ता कुछ ना कुछ बन गया।

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