हरियाणा में हुड्डा व एसआरके की गुटबाजी का ताप किसको देगा मात ……

हरियाणा में जाट समाज की राजनीति को खत्म करने का श्रेय भाजपा को नही हुड्डा को दे जाट समाज

ऋषिप्रकाश कौशिक

टिकट बटवारे में हुड्डा ने अपनी मनमानी चलाकर हरियाणा में गुटबाजी और अपने मुखर विरोधियों की धार को और पैना करने का काम कर दिया है। आज प्रदेश की कई सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया हुई और जिसमें कुमारी शैलजा ने अपना नामाकंन दर्ज करवाया। नामांकन में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा नही पहुंचे या कुमारी शैलजा ने हुड्डा का यह बताने का प्रयास किया कि वे उनकों बुलाकर अपना कद छोटा नही रखना चाहती। बात कुछ भी हो लेकिन अब हरियाणा में रोहतक व सिरसा सीट दोनों गुटों की प्रतिष्ठा का सवाल बनती जा रही है। शैलजा के नामांकन में रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी व बिरेंद्र सिंह की उपस्थिती व हुड्डा समर्थकों की दूरी ने साफ बता दिया है कि जहां सिरसा में शैलजा गुट को हुड्डा समर्थकों का साथ मिलने की संभावना कम है वहीं रोहतक लोकसभा में भी हुड्डा गुट को इस एसआरके गुट में नये नये शामिल हुए चौधरी बिरेंद्र सिंह के कोप का भाजन बनना पड़ेगा।

हुड्डा ने भले ही लोकसभा टिकटों में अपना वर्चस्व दिखाने के लिए मनमानी की हो लेकिन इस मनमानी करने के चक्कर में वे कई भूल कर बैठे। उन्होंनें चौधरी बिरेंद्र सिंह को खुड्डे लाईन लगाने के चक्कर में उन्होंनें अपने उन खास जाट समर्थकों को अपने विरोध में खड़ा करने का काम कर दिया जो रहबरे आजम छोटूराम की विचारधारा के समर्थक रहे है। बता दे कि रहबरे आजम छोटूराम का नाम का रोहतक लोकसभा में काफी बड़ा नाम है और चौधरी बिरेंद्र सिंह छोटूराम के नातिन है। अपनी राजनीति इच्छापूर्ति के लिए जिस प्रकार बिरेंद्र सिंह के बेटे की टिकट कटवा कर हुड्डा ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी नही अपितु अपना पैर ही कुल्हाड़ी पर मारने का काम कर दिया है। ऐसे में गढ़ी सांपला किलोई के गांवों में यह चर्चा होने लगी है कि भाजपा ने जाटों को खत्म करने का काम नही किया अपितु हुड्डा ने जाटों को खत्म करने का काम किया है। बिरेंद्र सिंह के समर्थक दबे स्वर में कहने लगे है कि वैसे तो हुड्डा का शुरू से रहबरे आजम के प्रति कोई खास आदर भाव नही रहा और अब उनके परिवार के लोगों की टिकट कटवाकर उन्होंनें साबित कर दिया की न तो उनकी विचार धारा छोटूराम की रही और न ही वे उनका सम्मान करना जानते।

भिवानी से पूर्व में सांसद रही जाट समाज के बड़े नेता चौधरी बंसीलाल की पौत्री श्रुति चौधरी की टिकट कटवाने को लेकर भी जाट समाज के साथ साथ किरण चौधरी के समर्थकों के निशाने पर आया हुड्डा परिवार को अब रोहतक सीट पर भी खतरा मंडराता नजर आ रहा है। जाट समाज के साथ किरण चौधरी समर्थक दीपेंद्र हुड्डा को लेकर तरह तरह की पोस्ट व कमेंट कर रहे है। समर्थक पोस्टों में लिख रहे है कि भूपेंद्र हुड्डा अपने बेटे के लिए जाट समाज के साथ साथ पूरी कांग्रेस की बलि देने को तैयार है। कांग्रेस के जाट समर्थक भी सोनीपत सीट से सतपाल ब्रहमचारी का विरोध कर रहे है। उनका कहना है हुड्डा को जाट समाज से कोई लेना देना नही है क्योंकि हुड्डा पहले भी यह स्पष्ट कर चुके है कि उनको सत्ता की भूख है।

शोशल मीडिया पर एक बार राजकुमार सैनी का साथ लेने को लेकर युवा दीपेंद्र के साथ साथ भूपेंद्र हुड्डा पर निशाना साध रहे है। युवाओं का कहना है जिस के कारण सैनी समाज के साथ पुराना भाई-चारे में विषमता का भाव पैदा हुआ उसी आदमी के साथ गठबंधन करना समाज की पीठ में छूरा घोपना है। किरण चौधरी ने भले ही राव दान सिंह को समर्थन देने की बात कही हो लेकिन राव दान भी भिवानी में अपने नामाकंन में हुड्डा को बुलाकर किरण चौधरी और उसके समर्थकों के घावों पर नमक छिडक़ने का काम कर रहे है। हुड्डा व एसआरके गुट के नेता अब आपस में एक दूसरे को जमीन दिखाने का काम करने वाले है। ऐसे में राजनैतिक जानकारों का कहना है कि सिरसा सीट पर एसआरके गुट और बिरेंद्र सिंह के चुनाव प्रचार में स्थिती भले ही संभाली जा सकती है लेकिन इस गुट के विरोधियों को संभालना हुड्डा गुट के दिनों-दिन मुश्किल होता जायेगा। राजनीति में नेता दूसरी पार्टी के विरोधी होते है और हराने या हरवाने का काम करते है लेकिन कांग्रेस में तो नेता ही एक दूसरे को हरवाने का काम कर भाजपा की राह आसान कर रहे है।

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