भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आजकल चुनावी मौसम है, इसमें धर्म की चर्चा अत्याधिक हो रही है। मैं किसी धर्म विशेष की बात नहीं करूंगा, मैं केवल और केवल एक बात जानना चाहूंगा कि कौन-से धर्म में परनिंदा को पाप नहीं माना? और दिवंगत की निंदा महापाप कही गई है।

वर्तमान राजनीति में तो केवल निंदा ही निंदा दिखाई दे रही है। ऐसे में क्या कहा जाए कि ये लोग धर्म का पालन कर रहे हैं या धर्म का मजाक उड़ा रहे हैं?

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