कांग्रेस ने जारी की सूची चौंकाने वाले नाम, विजेंद्र को नहीं मिला टिकट अशोक कुमार कौशिक हरियाणा में लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस ने सूची जारी कर दी है। अंबाला से वरूण चौधरी, सिरसा से कुमारी सैलजा, हिसार से जय प्रकाश को टिकट दिया गया है। करनाल से पूर्व सीएम के सामने दिव्यांशू बूद्धिराजा को मैदान में उतारा है। सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट दिया गया है। रोहतक से फिर से दीपेंद्र हुड्डा को प्रत्याशी बनाया है। भिवानी महेंद्रगढ़ से भी राव दान सिंह को टिकट दिया गया है। फरीदाबाद से महेंद्र प्रताप कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। गुरुग्राम से अभी टिकट फाइनल नहीं हुआ है। हिसार से हाल ही में भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए बृजेंद्र सिंह को टिकट नहीं मिला है। हिसार से जय प्रकाश को टिकट दिया गया है। भाजपा प्रत्याशी के मैदान में आने के बाद अब देर से ही सही लेकिन कांग्रेस ने दुरुस्त फैसला लिया है। भले ही राव दान सिंह महेंद्रगढ़ विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हैं, मगर भिवानी जिले के गांव प्रह्लादगढ़ से होने के कारण उनको इसका लाभ भी मिल सकता है। राव दान सिंह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नजदीकी हैं। ऐसे में उसका फायदा तो उनको मिलेगा लेकिन पूर्व सांसद श्रुति चौधरी का टिकट कट जाने का असर भी पड़ने का खतरा है। श्रुति और किरण चौधरी के समर्थकों का विश्वास हासिल करना उनके लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा। हालांकि दान सिंह के नाम के कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे क्योंकि श्रुति चौधरी की लगातार दो बार की हार का उनको नुकसान होना ही था। राव के लिए मजबूत पक्ष यह है कि लोकसभा क्षेत्र में बड़ा वोट बैंक अहीरवाल क्षेत्र में भी उसकी अच्छी पैठ है। भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा चुनाव की तस्वीर अब कुछ साफ होती नजर आ रही है, क्योंकि भाजपा से चौ. धर्मबीर सिंह और बसपा से कमांडर सुनील शर्मा को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद अब कांग्रेस ने भी अपना प्रत्याशी राव दान सिंह को बनाया है। जबकि जजपा से राव बहादुर सिंह भी चुनावी मैदान में हैं। मुख्य दलों के प्रत्याशी घोषित होने के बाद अब चुनावी माहौल भी गर्माने लगेगा और चुनाव की आहट के साथ अब बड़े नेताओं का चुनावी प्रचार भी जोर पकड़ने लगेगा। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर भाजपा प्रत्याशी धर्मवीर लगातार दो चुनाव जीत चुके हैं। राव दान सिंह 2000, 2005, 2009, 2019 महेंद्रगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रहे हैं। करनाल से पूर्व सीएम के सामने दिव्यांशु बुद्धिराजा करनाल से कांग्रेस ने युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष, एनएसयूआई के नेता और पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रधान दिव्यांशु बुद्धिराजा को टिकट दिया है। 31 वर्ष साल के दिव्यांशु बुद्धिराजा करनाल के रहने वाले हैं। टिकट का आधार दीपेंद्र हुड्डा, राहुल गांधी के नजदीकी होना माना जा रहा है। वह बीजेपी प्रत्याशी मनोहर लाल के खिलाफ खुलकर बोलते हैं।दिव्यांशु बुद्धिराजा युवा पंजाबी चेहरा है। उनके सामने भाजपा के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके मनोहर लाल बड़ी चुनौती होंगे। अंबाला से इन्हें मिला टिकट कांग्रेस ने अंबाला से वरूण चौधरी को टिकट दिया है। उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की है। वह मुलाना एससी सीट से कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं। उनको टिकट मिलने की वजह युवा चेहरा, हरियाणा विधानसभा में प्रश्नों को मजबूती से रखने वाले, पिता पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर फूल चंद मुलाना का भी प्रभाव माना जा रहा है। उनके सामने अपनी विधानसभा से बाहर एक्टिव न रहना एक चुनौती हो सकती है। भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया के साथ उनके पति दिवंगत रतन लाल कटारिया के प्रति लोगों की भावना भी हो सकती है। रोहतक से फिर से प्रत्याशी दीपेंद्र हुड्डा उम्र 46 शिक्षा बीटेक, एमबीए व लॉ क्यों मिला टिकट कांग्रेस के दिग्गत नेता भूपेंद्र हुड्डा के बेटे व रोहतक से तीन बार के सांसद चुनौती क्या : नॉन जाट का विश्वास जीतना राजनीति सफर : दीपेंद्र हुड्डा ने 2005 में 27 साल की उम्र में पहला चुनाव लड़ा और रोहतक से सांसद बने। साथ ही 2009 व 2014 में जीतकर हैट्रिक लगाई, लेकिन 2019 में भाजपा के अरविंद शर्मा से 7 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए। 2020 में दीपेंद्र हुड्डा राज्यसभा के सदस्य बने। कांग्रेस के टिकट पर वे अब पांचवीं बार रोहतक से लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे हैं। सोनीपत से कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी सतपाल ब्रह्मचारी की उम्र : 58 शिक्षा : स्नातक क्यों मिला टिकट : कांग्रेस के पास कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं। नए चेहरे पर खेला दांव चुनौती क्या है : हरियाणा में पहली बार चुनाव लड़ने के कारण लोगों को पहुंच बनाना राजनीतिक सफर : 2022 में हरिद्वार से विधानसभा चुनाव और शिकस्त मिली। कुमारी सैलजा को सिरसा से उतारा उम्र – 62 साल शिक्षा – पोस्ट ग्रेजुएट राजनीतिक सफर – कुमारी सैलजा 1991 में सिरसा लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनी गई थीं। इसके बाद 1996 में भी वह दोबारा सिरसा की सांसद बनीं। इसके बाद उन्होंने अंबाला संसदीय क्षेत्र का रुख कर लिया। अंबाला से भी 2 बार सांसद रही है। 2009 में वह केंद्रीय पर्यटन मंत्री बनी। इसके बाद 2012 में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री बनी। 2014 में अंबाला से लोकसभा चुनाव हारने के बाद वह राज्यसभा सांसद बनी। 2019 से 2022 तक हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं। टिकट मिलने का कारण कुमारी सैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह दिग्गज राजनीतिक थे। वे चार बार सिरसा से सांसद रहे थे। सैलजा भी वहां से सांसद रही हैं। पार्टी के हर सर्वे में सैलजा सबसे मजबूत दावेदार मानी गईं। मजबूत एससी चेहरा। सिरसा में उनकी पकड़ मजबूत है। सभी वर्ग के लोगों में उनकी पैठ है। केंद्रीय मंत्री रहते हुए सिरसा क्षेत्र में कई विकास कार्य भी उन्होंने करवाए हैं। करवाए हैं। ये रहेंगी चुनौतियां पिछले 20 साल से सिरसा में कम सक्रियता के कारण वोट दूसरी पार्टियों की तरफ खिसक गया है। उसे वापस लाने की चुनौती होगी। सिरसा व फतेहाबाद दोनों जिलों में कांग्रेस का लंबे समय संगठन नहीं है। इससे चुनाव प्रबंधन में दिक्कत आएगी। भाजपा के मुकाबले देरी से प्रत्याशी घोषित होना भी कमजोर पक्ष रहेगा। अब तक भाजपा प्रत्याशी सभी 9 विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। प्रचार का समय कम रहेगा। जयप्रकाश हिसार लोकसभा क्षेत्र से आठवीं बार मैदान में जयप्रकाश जेपी 8वीं बार हिसार लोकसभा क्षेत्र के चुनाव मैदान में उतर गए हैं। सात बार हिसार लोकसभा के चुनाव में उतरे जेपी तीन बार जीत दर्ज कर संसद भी पहुंच चुके हैं। वर्ष 2014 में कलायत से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते थे। हिसार लोकसभा के सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी अब मैदान में आ गए हैं। पहली बार रणजीत सिंह तथा जयप्रकाश आमने-सामने होंगे। 70 वर्षीय जयप्रकाश जेपी का मुकाबला 78 वर्षीय रणजीत सिंह से होगा। जेपी की शिक्षा स्नातक है। जयप्रकाश का एक बेटा और एक बेटी है। मजबूत पक्ष हिसार लोकसभा में 7 बार चुनाव लड़ने का अनुभव, तीन बार सांसद बन चुके। 2022 में आदमपुर उपचुनाव में बिश्नोई परिवार के सामने 51 हजार वोट हासिल किए। किसान आंदोलन में किसानों के पक्ष में खड़ा होना। हिसार जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी के तौर पर काम कर चुके। लोकसभा क्षेत्र के लोगों की समस्याओं, शिकायतों की जानकारी, नब्ज पकड़ने में माहिर। कमजोर पक्ष पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का करीबी होने के चलते सभी गुटों का सहयोग मिलना मुश्किल। हिसार जिले का निवासी न होना। कांग्रेस का संगठन न होना भी चुनौती बनेगा। फरीदाबाद से महेंद्र प्रताप सिंह कांग्रेस ने फरीदाबाद से पुराने दिग्गज नेता गुर्जर समुदाय से आने वाले महेंद्र प्रताप सिंह पर भरोसा जताया है। वह पांच बार विधायक व दो बार मंत्री रहे हैं। Post navigation भाजपा सरकार जान-जूझकर सरकारी शिक्षण संस्थानों को बदहाल बना रही है : विद्रोही लोकसभा चुनाव में इस बार दो पूर्व मुख्यमंत्रियों का परिवार चुनाव से गायब