न वाजपेयी सरकार ने किसानों की सुध ली, न मोदी सरकार ने मनमोहन सरकार ने हर बार एमएसपी बढ़ाया, खेती की लागत नहीं चंडीगढ़, 20 अप्रैल। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, उत्तराखंड की प्रभारी एवं कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य कुमारी सैलजा ने कहा कि केंद्र में बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकारें कांग्रेस के मुकाबले एक बार भी फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी नहीं कर सकी। किसानों की सुध न वाजपेयी सरकार ने ली और न ही 10 साल से सत्ता पर काबिज मोदी सरकार ने। डॉ मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने हर साल फसलों का एमएसपी बढ़ाकर किसान हितैषी होने का सबूत पेश किया। मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि साल 1999 से 2004 तक देश में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार थी। उक्त सरकार ने अपने कार्यकाल में धान के दामों में 14 प्रतिशत बढ़ोतरी की, जो सालाना 2.3 प्रतिशत ही रही। लेकिन, कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार के दौरान धान के एमएसपी में कुल 143 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई, जो सालाना 14.3 प्रतिशत दर्ज की गई। साल 2014 के बाद से अब तक भाजपा की मोदी सरकार ने धान के दाम में सिर्फ 54.1 प्रतिशत बढ़ोतरी की है, यानी सालाना बढ़ोतरी 6 प्रतिशत ही रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साल 1999 से 2004 के दौरान भाजपा गठबंधन की सरकार ने गेहूं के एमएसपी में कुल 10.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की, जो 1.7 प्रतिशत सालाना दर्ज की गई। इसके बाद कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार ने इसमें 12 गुणा ज्यादा यानी 126 प्रतिशत की बढ़ोतरी की, जो सालाना 12.7 प्रतिशत आंकी गई। जबकि, मोदी सरकार ने 10 साल में कांग्रेस के 126 प्रतिशत के मुकाबले सिर्फ 39.3 प्रतिशत ही बढ़ोतरी की। कुमारी सैलजा ने कहा कि कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार ने सिर्फ धान व गेहूं ही नहीं, प्रत्येक फसल के दामों में ढाई से तीन गुणा (150-200 प्रतिशत) की बढ़ोतरी की। लेकिन, मोदी सरकार में मुश्किल से 50 प्रतिशत का ही इजाफा हुआ है। जबकि, इस दौरान खेती की लागत में कई गुणा बढ़ोतरी हो चुकी है। खेती और खेती से जुड़े सामान, उपकरणों पर टैक्स थोप दिए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने खेती पर कभी कोई टैक्स नहीं लगाया। इसके विपरीत मोदी सरकार ने खाद के कट्टे का वजन 50 किलोग्राम से घटाकर 40 किलोग्राम कर दिया। इसमें नाइट्रोजन की मात्रा को घटा दिया। इससे किसानों को और अधिक खाद का प्रयोग करना पड़ेगा, जिससे उनका खर्चा बढ़ेगा। किसान को दी जाने वाली बिजली महंगी कर दी, क्रूड सस्ता होने के बावजूद डीजल के दाम न घटाने से फसल की लागत बढ़ी है। इससे पता चलता है कि भाजपा सरकार ने सदैव किसानों की जेब काटने का षड्यंत्र ही रचा है। मंडी में आने के बाद फसल की जिम्मेदारी ले सरकार कुमारी सैलजा ने कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार के सरसों व गेहूं खरीद व भुगतान के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं, जबकि अनाज मंडियां सरसों व गेहूं की फसल से भरी हुई है। फसलों का उठान व भुगतान नहीं हो रहा है। वहीं बरसाती मौसम के कारण किसानों व व्यापारियों को उनकी फसल खराब होने का भी भय बना हुआ है। किसान दोहरी मार झेल रहा है। एक ओर मंडियों में खुले आसमान के नीचे फसलों की बोरियां पड़ी है और खुले में अनाज के ढेर पड़े हैं। इसके अलावा मंडियों में बारदाने की भी भारी कमी है, किसानों व व्यापारियों को बारदाना भी उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है। सरकार द्वारा फसलों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब किसान फसल को मंडी में डाल देता है तो उसके बाद फसल की जिम्मेदारी सरकार की ही होनी चाहिए। Post navigation भाजपा कालाधन पानी की तरह बहा ले, हरियाणा की 10 लोकसभा सीट कांग्रेस-इंडिया गठबंधन जितेगा : विद्रोही सरकारी अनदेखी ने फेरा किसानों की मेहनत पर पानी, बारिश में भीगी फसल- हुड्डा