क्या कद्दावर नेताओं की वजह से प्रत्याशी उतारने में मिल रही है चुनौती 

अशोक कुमार कौशिक 

दो दिन बाद ही लोकसभा चुनाव शुरू हो रहा है। कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया है। हरियाणा की नौ लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित करना कांग्रेस हाईकमान के गले की फांस बन गया है। तीन लोकसभा सीट रोहतक, अंबाला और सिरसा को छोड़कर किसी भी लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों के नाम को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सैलजा-रणदीप-किरण (एसआरके) गुट में सहमति नहीं बन पा रही है।

वहीं हरियाणा में प्रत्याशियों का नाम फाइनल करने में देरी हो रही है। जबकि भाजपा इस मामले में आगे ह। दरअसल हरियाणा की लोकसभा सीटों को लेकर कुछ ऐसे नाम है जिनपर आपस में ही सहमति नहीं बन पा रही है। पार्टी के सीनियर नेता ही सुझाए गए नामों के विरोध में खड़े हो गए हैं। 14 अप्रैल को सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक में पार्टी के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और पूर्व सांसद कुमारी शैलजा ने भिवानी और गुरुग्राम सीट पर प्रस्तावित नामों को लेकर आपत्ति जताई थी। 

दो कांग्रेस नेताओं के मुताबिक सीईसी ने पार्टी के विधायक राव दान सिंह का नाम भिवानी सीट के लिए और पूर्व सांसद राज बब्बर का नाम गुरुग्राम सीट के लिए प्रस्तावित किया था। उन्होंने कहा, जब इन दोनों नामों पर विचार किया जा रहा था तो सुरजेवाला और शैलजा दोनों ने ही आपत्ति जाहिर की। उन्होंने कहा कि सीईसी को श्रुति चौधरी और कैप्टेन अजय यादव के नाम पर विचार करना चाहिए। ये दोनों भिवानी और गुरुग्राम की सीट के लिए बेहतर उम्मीदवार हो सकते हैं। 

वहीं बात करें राज बब्बर और दान सिंह की तो ये दोनों पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के करीबी बताए जाते हैं। वहीं जब सीईसी के दो महत्वपूर्ण सदस्यों ने आपत्ति जाहिर कर दी तो मामला सोनिया गांधी के सामने रखा गया। उन्होंने एक कमेटी का प्रस्ताव रखा जो कि सिफारिश करे। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तीन सदस्यों की कमेटी बना दी जिसमें महासचिव केसी वेणुगोपाल, मधुसूदन मिस्त्री और पर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद शामिल हैं। 

वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक सुरजेवाला और शैलजा पहले ही खुर्शीद से मुलाकात कर चुके हैं। वे चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर चौधरी और यादव को टिकट मिले। उन्होंने खुर्शीद से मुलाकात करके उन्हें जातिगत समीकरण भी समझाने की कोशिश की। 

कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं। वह दोनों गुटों को भरोसे में लेकर चल रहे हैं। उधर भिवानी से अपनी बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी का टिकट कटने की भनक लगने पर कांग्रेस विधायक दल की पूर्व नेता किरण चौधरी ने मंगलवार को नई दिल्ली में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। श्रुति चौधरी भी उनके साथ थी।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट के लिए महेंद्रगढ़ के विधायक राव दान सिंह का नाम टिकट के लिए आगे किया जा रहा है। लेकिन एसआरके गुट चाहता है कि श्रुति चौधरी को ही यहां से टिकट मिलना चाहिए।

श्रुति चौधरी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बंसीलाल की पौत्री हैं। हालांकि श्रुति लगातार दो चुनाव हार चुकी हैं, लेकिन फिर भी बंसीलाल और किरण चौधरी के प्रभाव के चलते एसआरके गुट श्रुति चौधरी की टिकट पर अड़ा हुआ है। करनाल लोकसभा सीट पर अलग से विवाद छिड़ा हुआ है।

आइएनडीआइए गठबंधन में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अपने नेता मराठा वीरेंद्र वर्मा के लिए कांग्रेस से यह सीट मांग रही है। मराठा ने कुछ दिन पहले नई दिल्ली में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी मुलाकात की थी। कांग्रेस हाईकमान यह सीट एनसीपी को देने के लिए तैयार बताया जाता है।

लेकिन हुड्डा गुट नहीं चाहता कि करनाल लोकसभा सीट एनसीपी को दी जाए। आइएनडीआइए गठबंधन के सहयोगी के नाते आम आदमी पार्टी को कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पहले ही दी जा चुकी है, जहां से आप के प्रदेश अध्यक्ष डा. सुशील गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं।

कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि नौ लोकसभा सीटों के उम्मीदवारों के नाम घोषित करने को लेकर पार्टी में जिस तरह सिर फुटौवल की स्थिति बनी हुई है, उससे टिकट घोषित होने के बाद उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार पर जबरदस्त विपरीत असर पड़ना तय है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद और मधुसूदन मिस्त्री के नेतृत्व ने पार्टी हाईकमान ने तीन दिन पहले एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर टिकटों का विवाद खत्म करने की पहल की थी, लेकिन खुर्शीद और मिस्त्री के नेतृत्व वाली कमेटी भी हरियाणा के कांग्रेसियों की गुटबाजी को खत्म करने में कामयाब नहीं हो सके हैं।

उन्होंने संभावित उम्मीदवारों की एक लिस्ट बनाकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सौंप दी है, जिस पर सहमति बनी थी कि यदि अध्यक्ष चाहेंगे तो बिना केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के ही इसे जारी किया जा सकता है। बताया जाता है कि मंगलवार को खरगे का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण इस लिस्ट पर कोई चर्चा नहीं हो सकी।

केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक भी इसीलिए टाल दी गई थी, लेकिन जब किरण चौधरी को यह भनक लगी कि लिस्ट में श्रुति चौधरी का नाम नहीं है तो वह सीधे दिल्ली पहुंच गई। किरण चौधरी की पुरानी हिस्ट्री है कि हुड्डा सरकार में जब मंत्रिमंडल से उनका मंत्रालय छीन लिया गया था को कुछ घंटों के बाद ही वह उसे वापस कराने में कामयाब हो गई थी।

कांग्रेस प्रत्याशियों की टिकटों पर कभी भी लग सकती मुहर

कांग्रेस की आपसी गुटबाजी के बावजूद पार्टी उम्मीदवारों के नाम पर किसी भी समय मुहर लग सकती है। कांग्रेस नेताओं ने दावा किया था कि नवरात्रों में टिकटों की घोषणा संभव है, लेकिन अब नवरात्रे भी बीत गए हैं। कांग्रेस आलाकमान सलमान खुर्शीद व मधुसूदन मिस्त्री की कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर टिकटों की घोषणा कर सकता है।

-अंबाला से विधायक वरुण मुलाना, सिरसा से पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, रोहतक से राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा के टिकट तय हैं।

-हिसार से पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह, सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी का नाम सबसे ऊपर।

– भिवानी-महेंद्रगढ में महेंद्रगढ़ के विधायक एवं पूर्व सीपीएस राव दान सिंह और पूर्व सांसद श्रुति चौधरी मजबूत दावेदार हैं।

-गुरुग्राम में फिल्म अभिनेता राज बब्बर और पूर्व सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव प्रबल दावेदारों में शामिल हैं।

– फरीदाबाद में पूर्व राजस्व मंत्री महेंद्र प्रताप व पूर्व मंत्री करण दलाल दौड़ में हैं।

-करनाल में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव वीरेंद्र राठौर, पांच बार के विधायक बलबीर पाल शाह के भाई बुल्ले शाह और पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा टिकट के दावेदार हैं।

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