कुवि में चल रहे 10 दिवसीय पाण्डुलिपि संरक्षण कार्यशाला का हुआ समापन।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 18 मार्च : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राच्य विद्या संस्थान व पाण्डुलिपि अनुभाग, जे.एल.एन पुस्तकालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित की गई 10 दिवसीय पाण्डुलिपि संरक्षण कार्यशाला का सोमवार को समापन समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन व छात्र हरमीत कौर द्वारा की गई सरस्वती वंदना से हुआ।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने सभी प्रशिक्षणार्थी छात्रों को प्रमाण पत्र वितरित करते हुये कार्यशाला के आयोजन हेतु बधाई व शुभकामनायें दी। प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने पं. स्थाणुदत्त जी के पांडुलिपियों के प्रति समर्पण व योगदान को सभी के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि पाण्डुलिपि संरक्षण के क्षेत्र में विशेषज्ञ लोगों की कमी है इसीलिए इस प्रकार की कार्यशालाओं के माध्यम से संस्कृृत व अन्य विभागों के छात्रों भी को पाण्डुलिपि के क्षेत्र से जोड़ा जा सकता है। पाण्डुलिपियां धरोहर है व उनमें छुपा हुआ ज्ञान छात्रों को रोजगार दिलाने में सहायक हो सकता है।
पाण्डुलिपि अनुभाग के समन्वयक डॉ. ललित गौड ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि संस्कृत एवं प्राच्य विद्या संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. रणवीर सिंह ने पाण्डुलिपि कैटलॉग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी।

पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. चेतन शर्मा ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को शुभकामनाएं दी व भविष्य में इस प्रकार की कार्यशालाओं के आयोजन को लेकर कार्य योजना बनाने हेतु बात कही। पांडुलिपि अनुभाग की वरिष्ठ संरक्षिका मीरा शर्मा व पीयूष ने कार्यशाला में छात्रों को दिए गए प्रशिक्षण को लेकर प्रेजेंटेशन प्रस्तुत की। अन्त में प्राच्य विद्या संस्थान की निदेशिका प्रो.कृष्णा देवी ने लिपि शास्त्र की कार्यशालाओं के अग्रिम आयोजन हेतु बात रखते हुए सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन प्राच्यविद्या संस्थान के सहायक आचार्य डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने किया।

कार्यक्रम में प्रो. अनामिका गिरधर, प्रो. भगत सिंह,डॉ विजयश्री, डॉ. कृष्ण आर्य, डॉ. तेलुराम, डॉ. नीलम, शोध छात्र, स्नातकोत्तर कक्षाओं के छात्र व प्रशिक्षणार्थी छात्र उपस्थित रहे।

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