चपरासी के सिर्फ 12 पदों के लिए करीब 9000 आवेदक लाइन में, इस भीड़ में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और एमएससी से लेकर एमटेक पास नौजवान भी मौजूद

रोजगार देने में नाकाम बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार, बेरोजगारों की लग रही कतार

कौशल रोजगार निगम के जरिए युवाओं का शोषण कर रही प्रदेश सरकार

चंडीगढ़,8 मार्च। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, उत्तराखंड की प्रभारी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र व प्रदेश सरकार ने पढ़े-लिखे युवाओं को बेरोजगारों की ऐसी कतार में बदल दिया है, जो हर जगह नजर आती है। चाहे पानीपत कोर्ट की चपरासी भर्ती हो, चाहे यमुनानगर चपरासी भर्ती या फिर युद्ध क्षेत्र इजराइल के लिए मजदूरों की मांग। हरियाणा के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं की कतार हर जगह देखने को मिल जाएगी। इस बार यह दुर्भाग्यपूर्ण नजारा अंबाला कोर्ट में देखने को मिला, जहां चपरासी के सिर्फ 12 पदों के लिए करीब 9000 आवेदक लाइन में खड़े थे।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की रोजगार विरोधी नीति के कारण बेरोजगारों की इस भीड़ में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और एमएससी से लेकर एमटेक पास नौजवान भी मौजूद थे। बेरोजगारी की चक्की में पिस रहे ये युवा सफाई कर्मी तक बनने को तैयार हैं। हरियाणा के सरकारी विभागों में 2 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। लेकिन उन पर पक्की भर्तियां करने की बजाय खट्टर-दुष्यंत सरकार हरियाणवी प्रतिभाओं को ऐसे कामों में झोंक रही है, जहां उनकी योग्यता और कौशल का पूरा इस्तेमाल ही संभव नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कौशल निगम के जरिए हो रही कच्ची भर्तियां भी ऐसा ही दलदल है। असल में कौशल निगम के तहत युवाओं को जो काम मिल रहा है, उसे न तो भर्ती कहा जा सकता है और न ही रोजगार। क्योंकि, खुद सरकार द्वारा जारी कौशल निगम की पूरी पॉलिसी में रोजगार या नौकरी जैसे किसी भी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया। न ही इसमें कहीं सैलरी का कोई जिक्र है। ये ठीक ऐसा ही है, जैसा हर शहर में एक लेबर चौक होता है। कौशल निगम भी एक डिजिटल लेबर चौक है, जिसमें पढ़े-लिखे योग्य युवाओं को दिहाड़ी पर रखा जाता है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि कौशल रोजगार में न उनको पूरी मजदूरी मिलेगी और न काम की गारंटी। बिना किसी नोटिस या पूर्व सूचना के किसी भी पल कौशल निगम के मजदूर को काम से बाहर किया जा सकता है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि युवाओं का शोषण करने वाली ऐसी नीति पर शर्मिंदा होने की बजाय खट्टर-दुष्यंत अपनी पीठ थपथपाते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चपरासी के इक्का-दुक्का पदों के लिए लगी हजारों युवाओं की कतार में सभी का चयन संभव नहीं है। चयन नहीं होने पर, सत्ताधारी लोग पढ़े-लिखे हरियाणवियों को अयोग्य करार देते हैं। जबकि अयोग्य हमारे प्रदेश का युवा नहीं, इस सरकार की नीतियां हैं, जो बेरोजगारी को मिटाने में नाकाम है। गठबंधन सरकार हरियाणा से पलायन रोकने की बजाए, उसे बढ़ावा देने के लिए पॉलिसी तैयार करती है। डबल इंजन की सरकार खाली पड़े 2 लाख पदों पर पक्की भर्तियां करने की बजाए हरियाणवियों को पोर्टल की दिहाड़ी और चपरासी के कामों तक सीमित करना चाहती है।

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