खाली पद होने के बावजूद बिना कारण बताए रोक रहे भर्ती प्रक्रिया

डॉक्टरों के 45 प्रतिशत से अधिक पद खाली, पैरा मेडिकल स्टाफ का भी अभाव

चंडीगढ़, 7 मार्चl अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव , उत्तराखंड की प्रभारी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार प्रदेश के सबसे पुराने और प्रसिद्ध चिकित्सा संस्थान पीजीआई रोहतक पर ताला लटकाने की साजिश रचने में जुटी हुई है। पीजीआई में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ व पैरा मेडिकल कर्मियों की संख्या घट रही है। खाली पदों की संख्या बढ़ने से मरीजों को तो दिक्कत हो ही रही है, साथ में एमबीबीएस समेत अन्य डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे छात्रों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि पीजीआई रोहतक में स्वीकृत पदों के मुकाबले डॉक्टरों के 45 प्रतिशत से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं। पीजीआई प्रबंधन ने 169 डॉक्टरों की भर्ती करने की अनुमति देने का आग्रह पत्र प्रदेश सरकार को भेजा हुआ है। लेकिन, इस पर लंबे अरसे से कोई फैसला नहीं लिया गया है। इससे यहां एमबीबीएस, एमडी/एमएस की पढ़ाई करने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बार-बार अनुरोध के बाद भी यूनिवर्सिटी बन चुके पीजीआई रोहतक को प्रदेश सरकार भर्ती प्रक्रिया चलाने की इजाजत नहीं दे रही है। इससे साफ है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की कोई नीयत ही नहीं है। एक तरफ खाली पड़े पदों को भरने की इजाजत नहीं मिल रही है और दूसरी तरफ यहां से विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा वीआरएस लेने का सिलसिला जारी है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि अपने अधीनस्थ 5 मेडिकल कॉलेजों के लिए पीजीआई रोहतक में 3 साल से नर्सिंग ऑफिसर्स की भर्ती प्रक्रिया चल रही है, जो आज तक पूरी नहीं हुई है। इसकी भर्ती परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को मंगलवार को पीजीआई में काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया, लेकिन उनकी बायोमेट्रिक हाजिरी लेने के बाद इसे निरस्त कर दिया गया। इससे साफ है कि जानबूझकर प्रदेश सरकार पीजीआई में होने वाली भर्तियों में रोड़ा अटका रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज प्रदेश में एक भी ऐसा सरकारी हेल्थ इंस्टीट्यूट नहीं है, जहां लोग विश्वास के साथ जाकर अपना इलाज करवा सकें। बड़ी और गंभीर बीमारी तो दूर, प्रदेश में साधारण बीमारियों के इलाज की भी पूरी व्यवस्था नहीं है। मजबूरी में लोगों को निजी अस्पतालों में महंगा इलाज करवाना पड़ता है, जबकि कितने लोग तो धन के अभाव में इलाज से भी वंचित रह जाते हैं।

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