चंडीगढ़, 29 फरवरी- हरियाणा सरकार ने विधानसभा में सदस्यों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर तैयार करने की प्रक्रिया में एकरूपता लाने के उद्देश्य से मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है।

मुख्य सचिव संजीव कौशल द्वारा सभी प्रशासकीय सचिवों को लिखे एक पत्र में कहा गया है कि चूंकि मंत्री आमतौर पर हिंदी में उत्तर देते हैं, इसलिए उत्तर आमतौर पर हिंदी में तैयार किया जाना चाहिए और फिर अंग्रेजी में अनुवाद किया जाना चाहिए। इसके अलावा, प्रश्न का उŸार सटीक और संक्षिप्त होना चाहिए। किसी भी प्रश्न का उत्तर सामान्यतः 50 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि उत्तर 50 शब्दों से अधिक लंबा बनता है, तो इसे सदन के पटल पर रखे जाने वाले वक्तव्य के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इसके अलावा, किसी भी उत्तर में सारणीबद्ध आंकड़े या कॉलम और पंक्तियाँ या ग्राफ/बार डायाग्राम नहीं होने चाहिए, जब तक कि उत्तर सदन के पटल पर रखे गए वक्तव्य में संलग्न न हो। यह तर्कसंगत है क्योंकि हरियाणा विधानसभा में प्रश्न का उत्तर देते समय संबंधित मंत्री द्वारा तालिका की सामग्री को नहीं पढ़ा जा सकता। एस.ओ.पी. के अनुसार नोट फाॅर पैड चार भागों में होना चाहिए। पहले भाग में हिंदी तथा दूसरे भाग में अंग्रेजी में उत्तर की विषयवस्तु, तीसरे भाग में बैकग्राउंड नोट्स और चैथे भाग में संभावित पूरक प्रश्न तथा उनका मसौदा होना चाहिए। 

एस.ओ.पी. में आगे कहा गया है कि कई प्रश्न दो भागों में होते हैं, जहां सदस्य द्वारा किसी विशेष कार्य या परियोजना पर पहला भाग (भाग-ए) पूछा जाता है कि क्या सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है। उसके बाद भाग-बी पूछा जाता है, ‘यदि हां, तो विवरण दें’। ऐसे प्रश्न का उत्तर, यदि नकारात्मक है, तो ‘ए और बी’ को एक साथ जोड़कर और केवल ‘नहीं श्रीमान जी’ कहकर तैयार किया जा सकता है। कई बार उत्तरों को भाग-ए में ‘नहीं, श्रीमान जी’ के रूप में और फिर भाग-बी में ‘प्रश्न नहीं उठता’ के रूप में लिखा जाता है। यह दूसरा उत्तर असभ्य लगता है और परिणामतः सदस्य को पसंद नहीं आता। ऐसे में भाग ‘ए’ और भाग ‘बी’ को एक साथ जोड़कर और ‘नहीं, श्रीमान जी’ कहकर उत्तर का मसौदा तैयार किया जा सकता है।

error: Content is protected !!