गुरुग्राम निगम में 180 करोड़ के विज्ञापन घोटाले में नहीं कोई कार्रवाई

अदालत के आदेश के बाद भी घोटालेबाजों पर कोई कार्रवाई नहीं

सीएम मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग

फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम। हरियाणा का सबसे अमीर नगर निगम गुरुग्राम में किस तरह से घोटाले होते हैं और घोटालों में दोषियों का कुछ नहीं बिगड़ता, यह नगर निगम में हुए 180 करोड़ रुपये के विज्ञापन घोटाले से पता चलता है। शिकायतों के बाद भी, अदालत के आदेश के बाद भी घोटालेबाजों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। आरटीआई एक्टिविस्ट एवं मानव आवाज संस्था के संयोजक अभय जैन एडवोकेट ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भेजी है। 

दो साल एक महीने में कोई जांच नहीं 

अभय जैन एडवोकेट के मुताबिक नगर निगम में 180 करोड़ रुपये के विज्ञापन घोटाले की शिकायत उन्होंने वर्ष 2015 में लोकायुक्त लोकायुक्त न्यायमूर्ति नवल किशोर अग्रवाल को शिकायत की थी। लोकायुक्त की ओर से कहा गया था कि एक रिटायरर्ड जज और दो ऐसे अधिकारियों की जांच कमेटी गठित की जाए, जो कभी गुरुग्राम नगर निगम में कार्यरत ना रहे हों। चार जून 2021 को लोकायुक्त ने ऑर्डर जारी करके कहा कि इस मामले में भ्रष्टाचार साफ झलक रहा है। इसलिए इसकी जांच के लिए सरकार एसआईटी बनाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे। अभय जैन ने बताया कि नियमानुसार सरकार को तीन महीने में कमेटी बनानी थी, लेकिन इस मामले में कुछ नहीं किया गया। उन्होंने फिर से शिकायत भेजी। तब जाकर जनवरी 2022 में स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को जांच सौंपी गई। यह कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन था। क्योंकि लोकायुक्त ने तो एसआईटी बनाने के आदेश दिए थे। सरकार ने मामले को ठंडे बस्ते में डालने के लिए स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को जांच सौंपी। अब ब्यूरो का नाम बदलकर एंटी क्रप्शन ब्यूरो कर दिया गया है। इस ब्यूरो ने भी दो साल एक महीने में कोई जांच आगे नहीं बढ़ाई।

यह कोर्ट के आदेशों की अवहेलना 

अभय जैन एडवोकेट ने कहा कि विजिलेंस को जांच सौंपे भी 25 महीने हो गए हैं। इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सरकार को इस विषय पर कार्रवाई करनी चाहिए। सीएम को भेजी शिकायत में उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टोलरेंस नीति के तहत नगर निगम गुरुग्राम में हुए इतने बड़े भ्रष्टाचार की त्वरित जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि ऐसे घोटाले करके अधिकारी एक तरह से सरकार की छवि को भी धूमिल कर रहे हैं। ऐसे अधिकारियों पर नजर रखने के लिए भी सरकार अलग से कोई कमेटी गठित करे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस पर संज्ञान नहीं लेती है तो वे हाईकोर्ट की भी शरण लेंगे। क्योंकि यह कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है।

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