चण्डीगढ, 24 फरवरी:- हरियाणा रोङवेज कर्मचारी एकता युनियन ने आरोप लगाया है कि सरकार रोङवेज कर्मचारीयों के हितों की लगातार अनदेखी कर रही है, जो बर्दाश्त नही की जा सकती। युनियन के प्रान्तीय प्रधान बलवान सिंह दोदवा,महासचिव संजय गुलाटी,कैशियर अशोक कुमार, आडिटर चन्द्रभान सोलंकी, चेयरमैन गुरदीप सिंह, मुख्य सलाहकार अनील कुमार, कानूनी सलाहकार गगनदीप सिंह ढिल्लो व प्रदेश प्रवक्ता पवन कुमार संहारण ने संयुक्त ब्यान जारी करते हुए बताया कि रोङवेज कर्मचारीयों की बहुत सी जायज व ज्वलंत समस्याऐं जैसे कि परिवहन के निजीकरण पर रोक लगाना, किलोमीटर स्कीम की बजाय सरकारी बसों का बेङा बढाना,कई साल के बकाया पङे बोनस का भुगतान करना,सभी कैटेगरी के खाली पङे पदों पर स्थाई भर्ती व प्रमोशन करना, परिचालक के पे-ग्रेड को अपग्रेड करना,वर्ष 2016 में लगे चालको को रैगुलर करना,रिटायर्ड कर्मचारी के पहचान पत्र से (Not For Traveling) शब्द को हटाकर फ्री यात्रा की सुविधा देना,पॉलिसी-2 के तहत हैल्पर पद पर दादरी डिपो में कार्यरत 52 कर्मचारीयों को रैगुलर करना,वर्ष 2002 में लगे कर्मचारीयों को पुरानी पेंशन के अन्तर्गत लाना व वर्कशाप के सभी कर्मचारीयों पर तकनीकी स्केल समान रूप से लागू करना आदि कई सालों से लम्बित पङी हुई हैं। परिवहन के उच्च अधिकारी युनियन नेताओं से बैठक करते हैं, सभी मांगो को जायज मानते हैं लेकिन मनमानी करते हुए उनको लागू नहीं करते। ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई बार हो चूका है। परिवहन के उच्च अधिकारीयों के ढुलमुल रवैए से कर्मचारीयों में भारी रोष है।

राज्य प्रधान बलवान सिंह दोदवा ने बताया कि सरकार लम्बित मांगो को लागू करने की बजाय हर रोज कोई न कोई कर्मचारी विरोधी पत्र जारी करके लगातार कर्मचारीयों का शौषण व भयभीत करने का काम कर रही है। सरकार ऐसा करके रोङवेज कर्मचारीयों को आन्दोलन करने पर भी मजबूर कर रही है। युनियन ने चेतावनी दी है कि सरकार किसी भी तरह से रोङवेज कर्मचारीयों को कमजोर न समझे और लम्बित सभी मांगो को लागू करे। दोदवा ने बताया कि रोङवेज कर्मचारीयों की सभी मांगे जायज हैं तथा लम्बित मांगो को लागू करवाने को लेकर रोङवेज के तमाम संगठन एकमत है। इसलिए सरकार से अपील है कि तुरन्त रोङवेज संगठनों की बैठक बुलाकर बातचीत के माध्यम से सभी समस्याओं का समाधान करे। अगर इसके बाद भी सरकार व परिवहन के उच्च अधिकारियों ने अपना अङियल रवैया नहीं बदला तो रोङवेज के तमाम संगठन एक मंच पर आकर मजबूती के साथ तीखा व बङा आन्दोलन करेगें। जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार व परिवहन के उच्च अधिकारियों की होगी।

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