कुल मिलाकर यह जुमलों, वादों, दावों, गपोडों का ऐसा बजट है जिससे न तो प्रदेश का विकास होने वाला और न ही आम आदमी की आर्थिक स्थिति सुधरने वाली : विद्रोही

रोजगार के अवसर पैदा नही होनेे और न ही सामाजिक सुरक्षा के लिए पर्याप्ते धन की व्यवस्था होगी : विद्रोही

23 फरवरी 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर द्वारा वर्ष 2024-25 के बजट को आकंडों की बाजीगिरी, दावों, वादों, जुमलों का ऐसा बजट बताया जिसमें न तो प्रदेश का समुचित विकास संभव है और न ही नये रोजगार अवसर पैदा होंगे। विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री ने लोककल्याण के नाम पर मुंगेरीलाल के हसीन सपने तो दिखाये, पर उन्हे पूरा करने के लिए पर्याप्त बजट धन राशी कहां है?

विगत वर्षे की तुलना में बजट में मात्र 6 हजार करोड़ रूपये की बढोतरी है। वर्ष 2023-24 का 1.83 लाख करोड़ रूपये का था जबकि वर्ष 2024-25 का अनुमानित बजट 1.89 लाख करोड़ रूपये का है। इस तरह पूर्व वर्ष की तुलना में बजट के लिए मात्र 6 हजार करोड़ रूपये की वृद्धि की है जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। बढ़ती मंहगाई, बढ़ते सरकारी खर्चे व बढती निर्माण कार्यो की राशी के अनुरूप भी यह बजट नही है। फिर नये विकास कार्य कहां से होंगे और उनके लिए धन कहां से आयेगा?  

विद्रोही ने कहा कि प्रदेश की सबसे ज्यादा जरूरत रोजगार के नये अवसर पैदा करने व आमजनों के लिए आर्थिक विकास की कोई संभावना नही है। किसानों का सहकारी समितियों के फसली ऋण में ब्याज राशी की छह माह में कुछ माफी दी है, पर सवाल उठता है कि कांग्रेस राज में अल्पावधि फसली ऋण पर जो ब्याज राशी शून्य थी, वही आज 3 से 4 प्रतिशत क्यों है? एक ओर किसान हित की बात की जाती है, वहीं मुख्यमंत्री यह भी बताये कि जब देश के किसानों पर प्रति किसान 78 हजार रूपये का ऋण है, तब हरियाणा के किसानों पर प्रति किसान 182922 रूपयें क्यों है?

विद्रोही ने कहा कि बजट अनुसार 116638.90 करोड़ रूपये राजस्व के रूप में आय होगी, वहीं केन्द्रीय कर से 13332.11 करोड़ रूपये मिलेंगे व केन्द्र से 9512.11 करोड़ रूपये अनुदान के रूप में हरियाणा को मिलेंगे। इस तरह हरियाणा की कुल मिलाकर सभी स्त्रातों से आय लगभग 139483 करोड़ रूपये होगी। इसका मतलब 50 हजार करोड़ रूपये का आय-व्यय में अंतर रहेगा। फिर 50 हजार करोड़ रूपये की पूर्ति के लिए क्या तो कर्ज लेना होगा या सरकार टैक्स लगाएगी। दोनो ही स्थितियों में प्रदेश के नागरिकों को भारी बोझ वहन करना होगा।  

विद्रोही ने कहा कि कुल मिलाकर यह जुमलों, वादों, दावों, गपोडों का ऐसा बजट है जिससे न तो प्रदेश का विकास होने वाला और न ही आम आदमी की आर्थिक स्थिति सुधरने वाली। रोजगार के अवसर पैदा नही होनेे और न ही सामाजिक सुरक्षा के लिए पर्याप्ते धन की व्यवस्था होगी। वहीं भाजपा सरकार ने यमुना बाढ का पानी राजस्थान में भेजने का तो प्रबंध कर दिया, लेकिन उसी पानी को अहीरवाल की प्यासी धरती व लोगों की प्यास मिटाने के लिए प्रयोग न करके एक तरह से अहीरवाल के प्रति सौतेला भेदभावपूर्ण व्यवहार का प्रमाण दिया है।    

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