रणदीप सुरजेवाला ने आंकड़ों व तथ्यों के आधार पर सदन में प्रस्तुत किए सवाल और किसान, गरीब, एससी, एसटी व ओबीसी के हकों को किया बुलंद

कैथल, 10 फरवरी 2024 – गतदिवस राज्यसभा के सत्र के दरम्यान सदन में विपक्ष की तरफ़ से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव एवं सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने किसानों, एससी-एसटी व ओबीसी के पक्ष को लेकर आवाज उठाई। सुरजेवाला ने कहा कि सरकार की नीतियों, बजट और रास्ते को लेकर एक गरीब किसान ने साफ तौर पर कहा कि प्रचार की चौतरफा भरमार, रोजी-रोटी की मारोमार, जीवन हुआ है दुश्वार!’अंधेरों’ को ‘चांदनी’ बताकर बेच रहे ‘Entire Political Science’ की ‘नॉलेज’ वाली सरकार की नीतियों का सार दुष्यंत कुमार जी की दो पंक्तियों में है। मैं बेपनाह अंधेरों को सुबह कैसे कहूँ ? मैं इन नज़ारों का अंधा तमाशबीन नहीं हूँ!!

सुरजेवाला ने कहा कि ‘Appropriation Bill’ हो या बजट, यह “मेहनतकशों” के लिए नहीं। यह “पेट और पीठ” एक कर देश का पेट भरने वालों के लिए भी नहीं। यहाँ “ईमानदारी की रोटी कमाने और देश संवारने” वाले लोगों के लिए भी कुछ नहीं। ऐसा लगता है कि सरकार ने “महात्मा गांधी के भारत” से मुँह मोड़ लिया है।

सुरजेवाला ने कहा कि 64 करोड़ किसानों को पहले दिन ही बाहर कर दिया, और अब 3.80 करोड़ किसान और निकाल दिए यानि 7.40 करोड़ या 7.50 करोड़ किसानों को एक फूटी कौड़ी नहीं। शायद अब यह संख्या और कम करनी है, इसीलिए PM किसान निधि का पैसा, जो साल 2020-21 में ₹75,000 करोड़ था, वह साल 2024-25 के बजट में घटकर ₹60,000 करोड़ रह गया है।

उन्होंने कहा कि एक कमाल की बात और है। 2024-25 के बजट में कहा है कि यह ₹60,000 करोड़ अब 12.50 करोड़ किसानों को देंगे। अब अगर यह सच है, तो फिर यह ₹6,000 सालाना नहीं, यह घटकर ₹4800 सालाना हो जाएगा। तो क्या चुनाव के बाद पीएम किसान की राशि आधी करनी है, या फिर बिल्कुल बंद ।

उन्होंने कहा कि खेती का बजट ही काट दिया, जो दिया, वह खेती पर खर्च नहीं किया। साल 2020-21 में देश में कृषि विभाग का बजट कुल केंद्रीय बजट का 4.41% था। 2023-24 के बजट में कृषि का बजट कुल देश के बजट का मात्र 2.57% रह गया है।

पिछले पाँच साल में मोदी सरकार ने कृषि विभाग के बजट से लगभग ₹100,000 करोड़ खर्च ही नहीं किया। उल्टा इसे वापस लौटा दिया। प्रतिवर्ष कृषि विभाग की सरेंडर्ड बजट राशि का आँकड़ा देखें तो इस प्रकार हैः

2018-19 ₹21,044 करोड़
2019-20 ₹34,518 करोड़
2020-21 ₹23,825 करोड़
2021-22 ₹429 करोड़
2022-23 ₹19,762 करोड़

सुरजेवाला ने कहा कि किसान को MSP की गारंटी का कानून क्यों नहीं? कोई सरकार इतनी निर्दयी कैसे हो सकती है कि खेती विरोधी तीन काले कानूनों के खिलाफ लाखों किसान दिल्ली के दरवाजे पर एक साल तक दस्तक देते रहें, सिसकते रहें, आंधी-तूफान बारिश, सर्दी-गर्मी में बैठे रहें, न्याय मांगते रहें, 700 किसान तड़प-तड़प कर मर जाएं। किसानों को एमएसपी का कानून बनाने की गारंटी तो दी जाए, पर उसे भी बट्टे खाते में डाल दिया जाए। क्या हुक्मरानों की जुबान की कोई कीमत है, या नहीं? क्या किसान के आँसू पोंछने की मंशा है या नहीं?

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में MSP अब “Maximum Suffering for Producer (Farmer)” बन गया है, क्योंकि MSP के कोई मायने नहीं बचे। सच यह है कि भाजपा सरकार किसान की फसल MSP पर खरीदती ही नहीं।साल 2022-23 में ‘फसल उपज’ व ‘फसल खरीद’ के तथ्य मोदी सरकार की इस किसान विरोधी कपटी नीति को उजागर कर देते हैं।

उन्होंने कहा कि देश का पेट भरने वाले किसान से यह भद्दा मजाक यहीं खत्म नहीं होता। आपने “Market Intervention Scheme” – Price Support Scheme” भी बड़े प्रचार से चलाई। खूब तालियाँ पीटीं कि अगर किसान की फसल की कीमत गिरेगी, तो बीज की सारी कीमत का भुगतान होगा। अखबार और TV में full publicity हुई।

सुरजेवाला ने कहा कि ‘PM फसल बीमा योजना’ भी “Private Insurance Company मुनाफा योजना” बन गई है। 23 जुलाई, 2022 को संसद में सरकार ने बताया कि खरीफ 2016 से खरीफ 2022 के बीच बीमा कंपनियों ने ₹40,000 करोड़ कमाया। शायद इसीलिए गुजरात सहित ज्यादातर राज्यों ने PM फसल बीमा योजना से ही कन्नी काट ली।

उन्होंने कहा कि देश की सच्चाई यह है कि एक तरफ लगभग आधे किसानों को हर साल प्रति किसान परिवार ₹6,000 देने की दुहाई देते हैं, तो किसान पर लगभग ₹25,000 प्रति हेक्टेयर का ‘टैक्स का बोझ’ डाल दिया है।

किसान का ईंधन ‘डीज़ल’ है। डीज़ल पर May 2014 में कांग्रेस के समय Excise Duty 3.46/Litre थी। 8 साल बाद डीज़ल पर म्गबपेम क्नजल 15.80 / Litre है। यानि 357 प्रतिशत अधिक । क्या आप जानते हैं कि अकेले पेट्रोल-डीज़ल पर Excise Duty बढ़ाकर इस सरकार ने 9 साल में ₹30,00,000 करोड़ कमाए हैं? जेब हमारी कटी और मजा आपको आया।

  1. खेती पर “गब्बर सिंह टैक्स” यानि GST लगा दिया गया। फर्टिलाइजर पर 5%, पेस्टीसाइड पर 18% व ट्रेक्टर पर 12% टैक्स लगा दिया। इसके अतिरिक्त खाद व Fertilizer की बढ़ी कीमतों ने तो “किसान की कमर तोड़ दी। डीएपी का बैग ₹1,200 से ₹1350 कर दिया। यूरिया की कीमत वही पर 50 किलो से पहले 5 किलो खाद कम की, और अब 10 किलो खाद कम कर दी। पोटाश खाद साल 2014 में ₹450 बैग थी अब इसे ₹850 बैग कर दिया। सुपर खाद साल 2014 में ₹260 थी अब अब ₹340 प्रति बैग कर दिया और इस बजट में तो “Fertilizer Subsidy” ₹25,447 करोड़ काटी।

यूरिया पर सब्सिडी काटी सब्सिडी काटी 15,300 करोड़ व एनपीके पर ₹10,147 करोड़ काट दिए।

सुरजेवाला ने कहा कि बजट में गरीब के साथ ‘भेदभाव’ और ‘भावनाओं से खिलवाड़’ यहीं खत्म नहीं होता। आपने ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ चला 80 करोड़ लोगों को हर महीने 5 किलो चावल, या गेहूँ देने की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जो “राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून” लेकर आई थी, उसका नाम बदलकर “PM गरीब कल्याण योजना” रख दिया। इसे कहते हैं, “नाम बड़े और दर्शन छोटे”। NFSA में पहले से ही हर व्यक्ति को 5 किलो अनाज हर महीने देने का प्रावधान है ₹३ प्रति किलो पर चावल व ₹2 प्रति किलो पर गेहूँ। आजकल 75 प्रतिशत चावल और 25 प्रतिशत गेहूँ दिया जाता है। 60 करोड़ लोगों को 5 किलो चावल ₹३ प्रति किलो पर यानि 900 करोड़ । 20 करोड़ लोगों को 5 किलो गेहूँ ₹2 प्रति किलो पर, यानि 200 करोड़ । यानि कुल छूट दी ₹1100 करोड़ और दिखाया ऐसे कि सब कुछ मुफ्त दे दिया हो। इसे कहते हैं, ‘गरीब के अधिकार छीनकर भी मार्केटिंग करना’। उन्होंने कहा कि असलियत में मोदी सरकार ने खाद्य सुरक्षा की सब्सिडी ही इस साल ₹7082 काट दी।

मोदी सरकार SC/BC कल्याण की बात तो बहुत करती है, पर करती उसके उलट है। साल 2023-24 में SC समाज की पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के ₹6,359 करोड़ का बजट दिया, पर दिए केवल ₹5,400 करोड़, यानि ₹959 करोड़ की कटौती।

उन्होंने कहा कि PM AJAY यानि प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना में ₹2050 करोड़ के बजट की घोषणा की, पर दिया सिर्फ ₹450 करोड़, यानि ₹1600 करोड़ की कटौती।

Free coaching for SC/BC विद्यार्थियों के लिए 2023-24 में बजट की घोषणा की ₹47 करोड़ पर बजट दिया ₹14.82 करोड़ । यानि 32 करोड़ की कटौती। ओबीसी व ईबीसी के लिए श्रेयास योजना में 2023-24 में बजट था 150 करोड़, जो 2024-25 में कम करके कर दिया 80 करोड़ । यानि 70 करोड़ की कटौती। डीएनटी ट्राईब्स के उत्थान की स्कीम में 2023-24 में बजट की घोषणा हुई 40 करोड़ पर दिया केवल 15 करोड़ ।

उन्होंने कहा कि मैला ढोने वाले सफाई कर्मचारियों के लिए साल 2023-24 और 2024-25 में एक फूटी कौड़ी नहीं दी। नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाईज्ड सैनिटेशन सिस्टम नमस्ते मे साल 2023-24 में बजट की घोषणा हुई 98 करोड़, पर दिया सिर्फ 30 करोड़, यानि 68 करोड़ की कटौती। अब तो बाबा साहेब डॉक्टर अंबेडकर फाउंडेशन का बजट भी 10 करोड़ काट दिया। साल 2023-24 में 40 करोड़ से घटाकर अब 30 करोड़ कर दिया।

रणदीप सुरजेवाला ने शायराना अंदाज में मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि घोर अंधियारे की स्याही में अब, सूरज का आगाज़ नजर नहीं आता,तेरा अहंकारी आकार तो नज़र आता है, तेरा इंसानी किरदार नज़ नहीं आता। भूखे पेट, खाली जेब, महंगी ज़िंदगी अब तेरी पहचान है, बेरोज़गार जवानी के टूटते अरमानों का सबब तेरे नाम है।