भारतीय चुनाव आयोग नहीं बल्कि केंद्र सरकार नियमों में संशोधन कर तय करती है अधिकतम सीमा — एडवोकेट हेमंत
चंडीगढ़ - आज से दो वर्ष पूर्व 6 जनवरी 2022 को केंद्र सरकार के विधि ( कानून) एवं न्याय मंत्रालय के अंतर्गत पड़ने वाले विधायी ( लेजिस्लेटिव) विभाग द्वारा भारत सरकार के गजट में प्रकाशित एक नोटिफिकेशन मार्फत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा अपने प्रचार-प्रसार आदि करने पर होने वाले व्यय (खर्चे ) की अधिकतम सीमा को बढ़ा दिया गया था जो आज तक लागू है.
इस सम्बन्ध में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने केंद्र सरकार से प्राप्त आधिकारिक जानकारी के आधार पर बताया कि हरियाणा सहित देश के अधिकांश राज्यों में लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार द्वारा अधिकतम मौजूदा तौर पर अधिकतम 95 लाख रुपये जबकि विधानसभा चुनाव के लिए अधिकतम 40 लाख रुपये खर्च किये जा सकते हैं.
हालांकि देश के तीन राज्यों अरुणाचल प्रदेश, गोवा और सिक्किम एवं एनसीटी दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के अतिरिक्त शेष 6 केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार द्वारा किया जाने वाले खर्च की अधिकतम सीमा 75 लाख है. वहीं कुछ राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा एवं यूटी पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हेतु चुनावी खर्च की अधिकतम सीमा 28 लाख रुपये है.
हेमंत ने आगे बताया कि सवा तीन पूर्व 19 अक्टूबर 2020 को एक ऐसा ही नोटिफिकेशन जारी कर केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों हेतु अधिकतम खर्चे की सीमा को हालांकि तत्कालीन 70 लाख रूपये से बढ़ाकर 77 लाख रुपये जबकि विधानसभा चुनाव के लिए तत्कालीन 28 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख 80 हज़ार रुपये तय की थी जिसे बाद में जनवरी, 2022 में संशोधित कर दिया गया. अब यह देखने लायक होगा कि क्या आगामी अप्रैल-मई, 2024 में निर्धारित 18 वी लोकसभा आम चुनाव से पूर्व चुनावी खर्च की मौजूदा लागू अधिकतम सीमा को 95 लाख रुपये से बढ़ाया जाता है अथवा नहीं ?
करीब 5 वर्ष पूर्व मई, 2019 में जब मौजूदा 17 वी लोकसभा आम चुनाव करवाए गए थे और अक्टूबर, 2019 में जब वर्तमान 14वीं हरियाणा विधानसभा के चुनाव हुए, तो उस समय उपरोक्त चुनावी खर्चे की सीमा लोक सभा के लिए अधिकतम 70 लाख रुपये और विधानसभा हेतू 28 लाख रुपये थी जिसे 16वी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी, 2014 में निर्धारित किया गया था.
बहरहाल, हेमंत ने कानूनी प्रावधानों के आधार पर बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में खर्च की अधिकतम सीमा भारतीय चुनाव आयोग द्वारा नहीं बल्कि केंद्र सरकार द्वारा लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की प्रासंगिक धाराओं के अंतर्गत प्राप्त शक्ति के आधार पर चुनाव संचालन नियमावली, 1961 में संलग्न सारणी में समय समय पर संशोधन कर निर्धारित की जाती है. हालांकि रोचक एवं कटु सत्य यह है कि आज के समय में लोकसभा और विधानसभा की एक सीट का चुनाव लड़ने के लिए वास्तव में करोड़ों रुपये का खर्चा होता है एवं नियमानुसार निर्धारित अधिकतम सीमा एक औपचारिकता मात्र ही होती है.