विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता के आदेश पर सदन में बनेगी सुरक्षा वॉल।

फर्श से 8.5 फुट की ऊंचाई तक एसएस की फ्रेमिंग में लगेगा सिक्योरिटी ग्लास।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

चंडीगढ़, 3 फरवरी : गत 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में हुई चूक से हरियाणा विधान सभा ने बड़ा सबक लिया है। विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता के निर्देश पर सदन की सुरक्षा को अभेद्य बनाया जा रहा है। इसको लेकर विस अध्यक्ष ने वास्तुकला विभाग और हरियाणा लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की है। बैठक में तय हुआ कि सदन की दर्शक दीर्घा और प्रेस दीर्घा के सामने सिक्योरिटी ग्लास स्थापित किया जाएगा। फर्श से सिक्योरिटी ग्लास की ऊंचाई करीब 8.5 फुट रहेगी।
यहां बनने वाली दीवार पूरी तरह से अभेद्य होगी। दीवार को बनाने के लिए 13.5 एमएम की मोटाई वाले सिक्योरिटी ग्लास का प्रयोग होगा। इसके लिए दो टफन्ड शीशों को आपस में जोड़ा जाएगा। इसकी बनावट इस प्रकार से होगी कि 6 एमएम की मोटाई वाले दो टफन्ड शीशों के बीचोंबीच 1.5 एमएम का कैमिकल रहेगा। बीच में केमिकल की परत इसलिए लगाई जाएगी कि अगर किसी बहुत भारी वस्तु से उस पर प्रहार भी किया जाएगा तो भी ग्लास के टुकड़े नीचे नहीं गिरेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि टफन्ड ग्लास सामान्य शीशे से 5 गुणा ज्यादा मजबूत होता है।

इस ग्लास को 9-9 फुट की दूरी पर स्टेनलेस स्टील के ब्लॉकों से स्थापित किया जाएगा। एसएस के ब्लॉकों का साइज 3 गुणा 1.5 इंच रहेगा तथा इसमें 304 ग्रेड के स्टेनलेस स्टील का प्रयोग किया जाएगा। दर्शक दीर्घा के सामने का हिस्सा गोलाई में करीब 80 फुट लंबा है, वहीं प्रेस दीर्घा के सामने 60 फुट की लंबाई बनती है। यहां 9-9 फुट की दूरी पर एसएस ब्लॉकों में 3 फुट की चौड़ाई वाले 3-3 फुट चौड़े ग्लास लगेंगे। सिरे वाले ग्लास को एसएस ब्लॉक से जबकि बीच वाले ग्लास को आस-पास के ग्लास के सहारे स्पाइडर फिटिंग के साथ जोड़ा जाएगा।

विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को निर्देश दिए कि 20 फरवरी से विधानसभा का बजट सत्र शुरू होगा। इसलिए यह कार्य 18 फरवरी से पहले पूरा करना होगा। उन्होंने कहा कि विधान भवन लोकतंत्र का मंदिर है, इसलिए इसकी सुरक्षा के लिए हर प्रकार के एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। बैठक में हरियाणा के मुख्य वास्तुकार अनिल कुमार वालिया, वरिष्ठ वास्तुकार अमन जैन, वास्तुकार तरुण कुमार, लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियन्ता अरुण सिंहमार, एसडीई जगजीत सिंह मौजूद रहे।

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