अग्निपथ योजना लागू होने से पहले सेना में चयनित सभी 1.5 लाख युवाओं की तत्काल ज्वाइनिंग हो – दीपेन्द्र हुड्डा

·        अग्निपथ योजना खत्म कर सेना में रेगुलर भर्ती शुरू करे सरकार – दीपेन्द्र हुड्डा

·        कांग्रेस सरकार बनने पर अग्निवीरों को रेगुलर सैनिक के तौर पर बदल देंगे और पहले की तरह फौज में रेगुलर भर्ती शुरू करेंगे – दीपेन्द्र हुड्डा

·        मैने संसद में बार बार अग्निपथ योजना की खामियों और अग्निवीरों की पीड़ा को उठाया, लेकिन सरकार ने इस पर चर्चा भी नहीं होने दी – दीपेन्द्र हुड्डा

·        फ़ौज में हर साल 60-80 हज़ार पक्की भर्तियों की बजाय 10-11 हजार भर्ती होने से न केवल बेरोजगारी बढ़ेगी अपितु फौज भी कमजोर होगी – दीपेन्द्र हुड्डा

चंडीगढ़, 1 फरवरी। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ‘जय जवान’ अभियान के तहत आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर कांग्रेस पार्टी के पूर्व सैनिक विभाग द्वारा आयोजित धरने पर पहुंचे और अग्निपथ योजना लागू होने से पहले सेना में चयनित 1.5 लाख युवाओं को तुरंत नियुक्ति दिए जाने की मांग का समर्थन किया। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार अग्निपथ योजना को तुरंत खत्म कर सेना में रेगुलर भर्ती शुरू करे। यह योजना न तो देश की सेना के हित में है, न देश के हित में है और न ही देश के युवाओं के हित में है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने पर अग्निवीरों को रेगुलर सैनिक के तौर पर बदल देंगे और पहले की तरह फौज में रेगुलर भर्ती शुरू करेंगे। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि रेवाड़ी की वीर भूमि से वन रैंक वन पेंशन का नारा लगाने वाली भाजपा दिल्ली की सत्ता पर बैठते ही नो रैंक, नो पेंशन ले आयी।

अग्निवीर स्कीम के जरिए बीजेपी सरकार ने देश की सेना को 2 हिस्‍सों में बांटने का काम किया है – नियमित सैनिक और अग्निवीर सैनिक। सरकार शहीद और शहीद में फर्क कर रही है और साथ ही, देश की सेना को कमजोर बना रही है। अग्निवीर योजना देश की फौज को खोखला करने की योजना है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हम देश भर में अग्निपथ योजना को समाप्त करने की लड़ाई लड़ेंगे। जय जवान अभियान देश के युवाओं के साथ हुए अन्याय के खिलाफ न्याय की लड़ाई है।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि मैने संसद में बार-बार अग्निपथ योजना की खामियों और अग्निवीरों की पीड़ा को उठाया, लेकिन सरकार ने इस पर चर्चा भी नहीं होने दी। अग्निपथ योजना में अग्निवीरों को दिये जाने वाली सुविधाओं और अर्हता में गंभीर विसंगतियाँ सामने आ रही हैं। इस योजना द्वारा शहीद के बलिदान में भी भेदभाव हो रहा है।

चिंता का विषय है कि एक अग्निवीर सैनिक व एक नियमित सैनिक की शहादत होने पर शहीद के परिवार को मिलने वाली अनुग्रह राशि में भारी अंतर है और अग्निवीर शहीद को सरकार शहीद का दर्जा भी नहीं दे रही है। शहादत होने पर उनके परिवार को पेंशन या सैन्य सेवा से जुड़ी कोई और सुविधा भी नहीं मिल रही है। अग्निवीर सैनिक को ड्यूटी के दौरान ग्रेच्युटी व अन्य सैन्य सुविधाएं और पूर्व सैनिक का दर्जा व पूर्व सैनिक को मिलने वाली सुविधाएं मिलने का भी कोई प्रावधान नहीं है। यही कारण है कि भर्ती हुए अग्निवीरों में इतनी निराशा, हताशा और रोष है कि एक तिहाई अग्निवीर मायूस होकर ट्रेनिंग बीच में ही छोड़कर वापस घर लौट रहे हैं। यही नहीं देश भर के युवा अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं। धरनारत युवाओं ने बताया कि देश की वायुसेना, थल सेना में वर्ष 2020/2021/2022 में फ़िज़िकल, मेडिकल व लिखित परीक्षा तक पास कर चुके थे। लेकिन केंद्र सरकार ने जून 2022 में अग्निवीर योजना लाकर इनको सेना में जाने से रोक दिया और देश सेवा के इनके सपने को तोड़ दिया।

उन्होंने कहा कि अभी तक हर साल फ़ौज में 60 से 80 हज़ार पक्की भर्तियाँ होती थीं, अग्निपथ योजना लागू होने के बाद ये भर्ती घटकर करीब 40-50 हज़ार रह जाएगी, जिसमें से 75% अग्निवीरों को 4 साल बाद निकाल दिया जायेगा इस हिसाब से अगले 15 साल में हिन्दुस्तान की करीब 14 लाख की फ़ौज का संख्याबल घटकर आधे से भी कम रह जायेगा। वहीं, हरियाणा से होनी वाली करीब 5000 पक्की भर्ती अग्निपथ योजना में घटकर सिर्फ 963 रह जायेगी, इसमें भी 4 साल बाद सिर्फ 240 होंगे पक्के, 722 बाहर होंगे। ऐसा करने से दुनिया की सबसे ताकतवर फौज में से एक भारतीय फौज न सिर्फ कमजोर होगी बल्कि बेरोजगारी और ज्यादा बढ़ेगी। ऐसी हालत में जहां देश के चारों तरफ दुश्मन बैठे हों वहाँ फौज का कमजोर होना राष्ट्र हित में नहीं है।

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