विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता बोले – पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में 5 संकल्प सर्वसम्मति से पारित। पंचायत और शहरी निकायों से सुदृढ़ होगी लोकतांत्रिक व्यवस्था। विधायी कमेटियों की क्षमता बढ़ाने का भी लिया गया संकल्प। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक चंडीगढ़, 30 जनवरी : देशभर के विधान मंडलों के पीठासीन अधिकारियों ने विधायी कमेटियों की क्षमता बढ़ाने और पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कमर कस ली है। मुबंई में 27-28 जनवरी को आयोजित 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) में इस प्रकार के 5 संकल्प पारित किए गए हैं। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला और समापन समारोह को उपराष्ट्रपति जगदीप सिंह धनखड़ ने संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। हरियाणा की ओर से सम्मेलन में शामिल हुए विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मंगलवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के साथ इन संकल्पों की जानकारी साझा की। विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि देश भर के विधान मंडलों के प्रक्रिया एवं कार्य संचालन संबंधी नियमों की समीक्षा की जाएगी। इस संबंध में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सम्मेलन में प्रस्ताव रखा था, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए हमारे संविधान के शब्दों और भावना के अनुसार विधायी निकायों का कामकाज प्रभावी करना होगा। इसके लिए प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियमों की समीक्षा और समन्वय जरूरी है। गुप्ता ने कहा कि इस प्रकार पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया है। इस संबंध में प्रस्ताव पेश करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि हमारे देश के जीवंत और प्राचीन लोकतांत्रिक लोकाचार को मजबूत करना होगा। इसके लिए जमीनी स्तर के पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों की क्षमता बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने के लिए संसद, राज्य व केंद्र शासित प्रदेश के विधानमंडलों को प्रोत्साहित करेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को प्रोत्साहित करने का संकल्प भी पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में पारित किया गया। इस संकल्प में कहा गया है कि देश में विधायी निकायों की दक्षता में सुधार, पारदर्शिता, उत्पादकता और नागरिकों के साथ जुड़ाव के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सहित उभरती प्रौद्योगिकियां काफी कारगर साबित होंगी। इसको खुले दिल से स्वीकार कर बढ़ावा देना होगा। चौथा संकल्प संसद और राज्य विधान मंडलों की विधायी समितियों को प्रभावी करने से संबंधित रहा। सम्मेलन में विधायी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना गया। इसमें कहा गया कि कार्यपालिका की जवाबदेही को लागू करने में उनकी प्रभावशीलता में सुधार करने के तरीकों और साधनों का पता लगाया जाएगा। सम्मेलन में ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ पर गहन मंथन हुआ। एआईपीओसी ने संकल्प किया कि विधानमंडलों के बीच संसाधन और अनुभव साझा करने व नागरिकों के साथ घनिष्ठ सार्वजनिक जुड़ाव बनाने के लिए ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ को लागू करने के लिए सक्रिय कदम उठाए जाएंगे। सम्मेलन में विस उपाध्यक्ष रणवीर गंगवा और सचिव राजेंद्र कुमार नांदल भी शामिल हुए। Post navigation फरीदाबाद में 2 फरवरी से शुरू होने वाले 37वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले की तैयारियाँ पूरी : पर्यटन मंत्री विधायक नीरज शर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को पुनः पत्र लिखकर मांगा समय