कृषि विभाग की संसद की स्टैडिंग कमेटी की स्क्रूटनी मेें यह तथ्य उजागर हुआ है कि विगत पांच सालों में कृषि बजट के लिए आवंटित एक लाख करोड़ रूपये जान-बूझकर खर्च नही किया गया : विद्रोही मोदीजी किसान आय दोगुना करने का जुमला उछालकर किसानों को ठगते है, वहीं उनकी आय बढ़े नही, इसके लिए सुनियोजित रणनीति के तहत कृषि बजट राशी को खर्च नही करते : विद्रोही 17 जनवरी 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाण प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि विगत पांच सालों में कृषि के लिए बजट में आवंटित एक लाख करोड़ रूपये को खर्च न करके मोदी-भाजपा सरकार ने फिर साबित किया है कि वह जुमलेबाजी से किसानों को ठगती है और पर्दे के पीछे कृषि बजट में आवंटित धन को भी जान-बूझकर खर्च न करके किसानों के साथ धोखाधडी करती है। विद्रोही ने सवाल किया कि विगत पांच सालों का कृषि बजट का एक लाख करोड़ रूपये कहां चला गया? स्वभाविक है कि पर्दे के पीछे कृषि बजट में कटौती करके किसानों के हिस्से का एक लाख करोड़ रूपये मोदी जी ने सत्ता दुरूपयोग से अडानी-अम्बानी जैसे अपने पूंजीपति मित्रों की तिजौरियां भरने में लगा दिया। यह मोदी सरकार की किसान विरोधी मानसिकता की पराकाष्ठा है। एक ओर सरकार किसानों के साथ धोखाधडी करके कृषि बजट में आवंटित धन को कृषि कार्यो के लिए खर्च करने की बजाय अन्य मद में खर्च करती है और ऊपर से इस धोखाधडी को छुपाती भी है। विद्रोही ने कहा कि कृषि विभाग की संसद की स्टैडिंग कमेटी की स्क्रूटनी मेें यह तथ्य उजागर हुआ है कि विगत पांच सालों में कृषि बजट के लिए आवंटित एक लाख करोड़ रूपये जान-बूझकर खर्च नही किया गया। एक ओर मोदीजी किसान आय दोगुना करने का जुमला उछालकर किसानों को ठगते है, वहीं उनकी आय बढ़े नही, इसके लिए सुनियोजित रणनीति के तहत कृषि बजट राशी को खर्च नही करते। मोदी-भाजपा सरकार की धोखाधडी का ही यह दुष्परिणाम है कि वर्ष 2022-23 की जीडीपी में कृषिे की 20 प्रतिशत ग्रोथ करने वाले किसानों की विगत पांच सालों मेें आय बढऩे की बजाय घटी है। कृषि लागत बढी है, पर उसके अनुपात में न तो किसान को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिला है और न ही उनकी आय बढी है। उल्टा किसानों पर कर्ज बोझ और बढ़ गया है जिसके कारण विगत 8 सालों में एक लाख से ज्यादा किसानों को आत्महत्या करने को मजबूर होना पडा है। विद्रोही ने देश के अन्नदाता किसानों से आग्रह किया कि वे मोदी-भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीति व सोच को समझे और खेती, किसानी के हितों की रक्षा के लिए मोदी-भाजपा के झांसों व जुमलों में फंसकर अपने पैरों पर कुल्हाडी मारने की बजाय वोट की चोट से लोकसभा चुनाव 2024 में करारा सबक सिखाकर खेती व किसानी की रक्षा करे। Post navigation मोदी-मनोहर की नीतियों को घर-घर पहुंचाएं, फिर से होगी ऐतिहासिक जीत: नायब सैनी अयोध्या के अलावा भारत में मशहूर हैं ये ‘राम मंदिर’