क्या मंदिर संचालक को ज्ञान नहीं कि धार्मिक स्थल साफ होता है?

जो श्रद्धालु मंदिरों में आते हैं क्या उन्हें भी ध्यान नहीं कि धार्मिक स्थलों की सफाई होनी चाहिए?

क्या एक दिन मंदिरों फोटो खिंचवाने से रोजाना मंदिरों की सफाई हो जाएगी?

भारत सारथी

गुरुग्राम। हमारे राम हमारे तन-मन और समाज में इस तरह घुले-मिले हैं कि उनके न होने की कल्पना ही बहुत दुखदायी हैं। माना हर्ष की बात है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है लेकिन क्या इस भव्यता कि नीचे जो मनों में भगवान हैं वह छिप जाएंगे? भगवान की मूर्ति प्रतीक है हमारी श्रद्धा-विश्वास की। इससे अंतर नहीं पड़ता कि वह मिट्टी की है, पत्थर की है, सोने की है या हीरे की है।

वर्तमान में कुछ नेता मंदिरों में जाकर सफाई करते हुए फोटो खिंचवा रहे हैं। तो मन में सवाल आया कि वे अपनी छवि बनाने के लिए इन धर्म स्थानों के संचालकों और वहां आए भक्तों का अपमान तो नहीं कर रहे हैं? हमारे समाज में जब बच्चा नर्सरी स्कूल जाने लायक होता है, उससे पूर्व ही बच्चे को समझाया जाता है कि पूजा-गृह साफ होता है, पूजा-गृह में गंदगी नहीं होती, पूजा गृह में स्नान करके जाते हैं तो क्या इन मंदिरों की सफाई करके यह दर्शाना चाहते हैं कि इन सभी को इस चीज का ज्ञान नहीं, मुझे तो ऐसा ही लगता है आप सोचें कि मैं गलत हूं या सही।

इसके आगे पंकज डावर ने कहा कि यदि वह वास्तव में राम का सम्मान दिल से करते हैं तो राम जो मर्यादा पुरूषोत्तम कहे जाते हैं, उनकी तरह मर्यादाएं निभाएं और समाज को भी मर्यादाएं निभाने का संदेश दें।

याद आया कि आजकल भारत विकसित विकास यात्रा में भारत को विकसित करने के लिए आम नागरिकों को शपथ दिला रहे हैं। क्या ही अच्छा हो कि प्रथम तो ये नेतृत्व करने वाले स्वयं शपथ लें कि वे राम की मर्यादाओं का निष्ठापूर्वक पालन करेंगे और फिर जनता को भी उनकी मर्यादाओं का पालन करने का संदेश दें।

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