उपाध्यक्ष बने जीएल शर्मा संतोष यादव से 36 का आंकड़ा सूची में नारनौल को नहीं मिला स्थान अहीरवाल में धुर विरोधी सुधा यादव भारी पड़ी, भूपेंद्र यादव से भी दूरी विगत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी राव राजा को अनदेखा किया अशोक कुमार कौशिक नारनौल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी ने प्रदेश के पदाधिकारी व जिला अध्यक्षों की बुधवार को नियुक्ति की। आखिरकार प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी ने कुर्सी संभालने के 69 दिनों बाद अपनी नई टीम की घोषणा की। भाजपा हाई कमान ने हरियाणा की नई टीम में दक्षिणी हरियाणा यानी अहीरवाल क्षेत्र के जातीय समीकरणों का तो पूरा ख्याल रखा गया, लेकिन यहां के बड़े ‘क्षत्रप राव राजा’ को व्यक्तिगत तौर पर ‘दरकिनार’ कर दिया है। गुरुग्राम से भाजपा के मौजूदा सांसद राव राजा एवं केंद्रीय राज्य मंत्री इंद्रजीत सिंह के किसी समर्थक को हरियाणा भाजपा की नई टीम में महत्व नहीं दिया गया। ओमप्रकाश धनखड़ के हटने और नायब सैनी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद संगठन में राव विरोधी नेताओं को बड़ी भूमिकाएं देकर उनको सन्देश दिया गया। दूसरी और अहीरवाल क्षेत्र में राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी और भाजपा संसदीय बोर्ड की सदस्य डॉक्टर सुधा यादव की पसंद का पूरा ख्याल रखा गया है। अहीरवाल क्षेत्र के चार में से दो जिलों में डॉक्टर सुधा यादव के खेमे से संबंध रखने वाले नेताओं को जिला अध्यक्ष बनाया गया है। इनमें गुरुग्राम के कमल यादव और रेवाड़ी के प्रीतम चौहान शामिल है। भाजपा सूत्रों के अनुसार नायब सैनी से पहले प्रदेश अध्यक्ष रहे ओमप्रकाश धनखड़ की टीम के जिन सदस्यों की छुट्टी तय मानी जा रही थी उनमें प्रीतम चौहान का नाम भी था। लेकिन डॉक्टर सुधा यादव की पसंद के चलते रेवाड़ी जिला इकाई के अध्यक्ष के तौर पर उन्हें फिर से तवज्जो दी गई है। इसी तरह गुरुग्राम में भी डॉक्टर सुधा यादव भाजपा के पुराने कार्यकर्ता और अपने वफादार कमल यादव को जिला अध्यक्ष बनवाने में सफल रही। इतना ही नहीं हरियाणा की प्रदेश कार्यकारिणी में भी राव विरोधियों को महत्व मिला है। प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए जीएल शर्मा और संतोष यादव दोनों ही राव विरोधी गुट से संबंध रखते हैं । इनमें से संतोष यादव नारनौल जिले की अटेली सीट से भाजपा विधायक और राज्य की डिप्टी स्पीकर रह चुकी है। जीएल शर्मा भी हरियाणा सरकार में बोर्ड और निगम के अध्यक्ष रहे हैं। वर्ष 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में अटेली सीट से संतोष यादव की टिकट कट गई थी । संतोष यादव ने इस मुद्दे पर कभी खुलकर तो कुछ नहीं कहा। लेकिन वह टिकट काटने का ज़िम्मेदार राव इंद्रजीत सिंह को मानती रही है। यह दीगर बात है कि वह भी भाजपा में चौटाला परिवार को छोड़कर शामिल हुई थी। उनका टिकट काटकर भाजपा की पृष्ठभूमि से जुड़े वर्तमान विधायक सीताराम यादव को टिकट दिया गया था। उस समय अपनी पुत्री व समर्थकों को मनचाहे इलाकों से टिकट न मिलने से नाराज होकर हिमाचल प्रदेश में कोपभवन में चले गए थे। उनकी इस प्रतिक्रिया से भाजपा हाई कमान असहज हो गया था। तब भाजपा के कुछ नेताओं ने बड़ी मिन्नत के बाद उन्हें खुश किया। हरियाणा की अहीरवाल क्षेत्र में विधानसभा की कुल 14 सीटें आती है। इनमें गुरुग्राम, सोहना, बादशाहपुर, पटौदी, रेवाड़ी, बावल, कोसली, नारनौल, अटेली, महेंद्रगढ़, नांगल चौधरी, फिरोजपुर झिरका, पुन्हाना और नूंह शामिल है। इन सीटों पर व्यक्तिगत जन आधार के मामले में राव इंद्रजीत सिंह की पकड़ सबसे मजबूत है। पर यह भी सत्य है कि उनके न चाहते हुए भी कुछ सीटों पर उनके विरोधी काबिज हुए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस पार्टी में थे। तब पूरे अहीरवाल क्षेत्र में उनका एक छत्र साम्राज्य था। कांग्रेस में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मतभेद के चलते 2014 के चुनाव से पहले राव इंद्रजीत सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। उनके भाजपा में शामिल होने के बाद दक्षिणी हरियाणा में भाजपा को प्रबल बहुमत मिला था। फलस्वरुप नरेंद्र मोदी की रेवाड़ी सैनिक रैली के बाद देश में भाजपा की धूम मच गई थी। उनको पहले कार्यकाल में और दूसरे कार्यकाल में केन्द्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का दर्जा देकर मंत्री बनाया गया। पर भाजपा के पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने कभी राव राजा को आत्मसात नहीं किया। इसके बाद से ही उन्हें अहीरवाल क्षेत्र में भाजपा के अंदर से चुनौतियां मिलती रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण विगत नारनौल नगर परिषद की सीट पर उनके चेहते बाबूलाल यादव की पत्नी को शिकस्त का सामना करना पड़ा। जजपा छोड़ कर निर्दलीय चुनाव लड़ी कमलेश सैनी को राव विरोधियों ने एकजुट होकर ताज पहना दिया था। गुरुग्राम के ही रहने वाले और राजस्थान से भाजपा के राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव को इस इलाके में राव इंद्रजीत सिंह का सबसे बड़ा राजनीतिक विरोधी माना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी भूपेंद्र यादव केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। जबकि पांच बार के लोकसभा सांसद राव इंद्रजीत सिंह मोदी सरकार में दोनों योजनाओं में सिर्फ राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार की भूमिका तक ही सीमित रहे। याद रहे गत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में राव राजा को कोई दायित्व नहीं दिया गया। यहां तक हरियाणा के साथ लगते राजस्थान की किसी सीट पर उनको चुनाव प्रचार के लिए नहीं भेजा गया। राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम से लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं जबकि दो बार वह महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं। इसके अलावा वह हरियाणा की जाटुसाना सीट से चार बार विधायक भी रहे। बाद में नए परिसीमन के दौरान जाटुसाना सीट खत्म कर दी गई। इसका कुछ क्षेत्र कोसली में और कुछ क्षेत्र अटेली विधानसभा में समाहित कर दिया गया। भाजपा हाई कमान ने पिछले साल डॉक्टर सुधा यादव को पार्टी की सबसे ताकतवर बॉडी कहे जाने वाले संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बनाया गया। भाजपा के संसदीय बोर्ड में जगह पाने वाली सुधा यादव इकलौती महिला है। संसदीय बोर्ड में उन्हें जगह मिलना एक तरह से राव इंद्रजीत सिंह के लिए ‘गुढ़सन्देश’ था। सुधा यादव महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर राव इंद्रजीत सिंह को कारगिल लहर में महेंद्रगढ़ लोकसभा चुनाव में पराजित कर चुकी है। आपको याद दिला दे कि उसे समय कारगिल युद्ध में उनके पति की शहादत हो गई थी और उनको टिकट देने की रणनीति के पीछे नरेंद्र मोदी का दिमाग था। उस समय नरेंद्र मोदी हरियाणा के प्रभारी थे। कारगिल की हवा ने भाजपा को खासा जन समर्थन दिलाया। राव इंद्रजीत सिंह की मौजूदा सीट गुरुग्राम से वह चुनाव लड़ने की कितनी ज्यादा इच्छुक है इस बारे में सभी जानते हैं। ऐसे में डॉक्टर सुधा यादव की पसंद के दो नेताओं को अहीरवाल क्षेत्र के दो सबसे अहम जिलों गुरुग्राम व रेवाड़ी में पार्टी इकाई की कमान सौंपना काफी अहम है। गुरुग्राम और रेवाड़ी के अलावा महेंद्रगढ़ में दयाराम यादव और नूंह में नरेंद्र पटेल को भाजपा ने अपना जिला अध्यक्ष बनाया है। जहां इस सूची में राव इंद्रजीत सिंह के खासमखास प्रदेश सचिव मनीष मित्तल को दोबारा शामिल नहीं किया गया। वहीं भाजपा जिला अध्यक्ष दयाराम यादव की कुर्सी बरकरार रही। दयाराम यादव को वर्ष 2023 में भाजपा जिला अध्यक्ष की कमान मिली थी। वहीं इनसे पहले राकेश शर्मा भाजपा जिला अध्यक्ष थे। कुर्सी जाने के पीछे नारनौल नारनौल भाजपा कार्यालय प्रकरण रहा। राकेश शर्मा को जिला अध्यक्ष से हटाकर प्रदेश में जगह दी गई थी। पिछले दो कार्यकाल से प्रदेश सचिव के पद पर मनीष मित्तल को नियुक्त किया जा रहा था, लेकिन उन्हें भी कार्यकारिणी में शामिल नहीं किया गया। दयाराम यादव को दोबारा से महत्व दिया गया है। दयाराम यादव को नांगल चौधरी के विधायक डॉ अभय सिंह के इशारे पर जिला अध्यक्ष बनाया गया था। Post navigation प्रदेश अध्यक्ष नायब सैनी ने ली नवनियुक्त महामंत्रियों की बैठक, आगामी कार्य योजना पर मंथन राम मंदिर आंदोलन के गुमनाम नायकों की जिनके बारे में आप बहुत कम जानते हैं ……