राम मंद‍िर पर‍िसर में होंगी तमाम सुव‍िधाएं, बुजुर्गों-द‍िव्‍यांगों के ल‍िए खास इंतजाम, नजर आएगी ‘आत्मनिर्भर’ की झलक

प्राण प्रतिष्ठा से पहले सरकार हर जिले में कराएगी रामकथा, जारी हुए निर्देश

अशोक कुमार कौशिक 

श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहा मंदिर कई मामलों में अद्भुत होगा। इसे न सिर्फ आर्टिफिशियल चट्टान पर बनाया जा रहा है, बल्कि मंदिर के लिए मिले करीब 70 एकड़ जमीन में से 50 एकड़ भूभाग पर पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। खाली परिसर को 600 पेड़-पौधों से हरा भरा किया जाएगा। अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर परिसर सीवेज और जल उपचार संयंत्रों के साथ-साथ अपने तरीके से ‘आत्मनिर्भर’ होगा। मंद‍िर पर‍िसर में बुजुर्गों, द‍िव्‍यांगों और असहाय लोगों की आवाजाही को सुगम बनाने के भी बड़े प्रयास क‍िए गए हैं। कई खास सुव‍िधाएं इन सभी लोगों के ल‍िए पर‍िसर में मुहैया करवाने पर काम क‍िया जा रहा है। उधर अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि पर बन रहे राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले सरकार ने प्रदेश भर में भगवा माहौल बनाने की तैयारी की है। मकर सक्रांति से 22 जनवरी तक सभी जिलों में राम कथा, रामचरित मानस और सुंदरकांड के पाठ कराए जाएंगे।

मंदिर निर्माण के शुरुआती दौर में नींव खड़ा करने के लिए जमीन नहीं मिल रही थी। खुदाई वाले स्थान पर केवल बालू था और इस पर नींव खड़ी करना चुनौती था, लेकिन देश के अनेक आईआईटी का सहयोग मिलने के बाद इसके निर्माण की राह आसान हुई। मंदिर की नींव को नमी से बचाने की कोशिशों पर भी गौर किया गया। अंततः ग्रेनाइड का इस्तेमाल कर 14 मीटर मोटा आर्टिफिशियल चट्टान (रॉक) तैयार हुआ और तब निर्माण कार्य शुरू हो सका। इस कार्य में सिर्फ 2.50 प्रतिशत सीमेंट का उपयोग हुआ है। कंक्रीट और मोरंग बालू का उपयोग न के बराबर हुआ है। 

आर्टिफिशियल चट्टान तैयार करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। नींव के लिए हो रही खुदाई में पहले 14 मीटर गहराई तक बालू हटाया गया। वजह, जमीन के नीचे मिट्टी थी ही नहीं। फिर, इसे स्टोन डस्ट और कोयले की राख से भरा गया। इसमें सीमेंट का महज 2.5 प्रतिशत ही उपयोग हुआ है। भराई का यह कार्य 64 लेयर में पूरा हुआ है। जमीन से पानी निकालकर नमी कम करते हुए हर लेयर को रोलर से दबाया गया है। 

गोवा से आये एक वालंटियर के रूप में मंदिर निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियर गिरीश सहस्र भोजनी ने बताया कि मंदिर निर्माण में 14 फिट चौड़े परकोटे का निर्माण इसकी विशेषताओं में से एक है। इसके चारों दिशाओं की कुल लंबाई 800 मीटर होगी। यह अपने आपमें अद्भुत है। इसके चारों किनारों पर बनने वाले चार मंदिर इसे द्रविण शैली का लुक देंगे। डबल स्टोरी में बनने वाले इस परकोटे के निचले हिस्से में सीसी टीवी कैमरे, पूजा सामग्री और अन्य सामान रखे जाने की व्यवस्था होगी तो ऊपरी हिस्से का उपयोग परिक्रमा मार्ग के रूप में किया जाएगा। इस परकोटा के ऊपरी हिस्से पर बनने वाले 6 मंदिर, आदि शंकराचार्य के पंचायतन कान्सेप्ट की गवाही देंगे। 

न्यास ने मंदिर क्षेत्र में होने वाले जल के उपयोग का भार नगर निगम पर न पड़े इसका पूरा ख्याल रखा है। सीवरेज सिस्टम को यह बहुत ही मजबूत रखेगा। सीवर के पानी को साफ कर फिर से उपयोगी बनाने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट तो लगेगा ही, दो वाटर प्लांट और एक पावर हॉउस की स्थापना भी की जाएगी। सड़क के किनारे वाले क्षेत्र में ही वाटर ग्राउंड रिजर्व स्थापित करने का कार्य भी होगा। 

श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ पेयजल की भी व्यवस्था-

यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों की प्यास मिटाने और उनके स्वास्थ के अनुकूल रहने का पूरा प्रबंध रहेगा। सभी दर्शानार्थियों को पीने का स्वच्छ जल मुहैया कराने के लिए 400 फिट अंदर का भूजल 24 घंटे विभिन्न प्वाइंट्स पर उपलब्ध रहेंगे। जनरेटर की भी व्यवस्था की जाएगी। तकनीकी युग में तकनीकी से लैस दर्शनार्थियों के लिए चार्जिंग प्वाइंट्स भी स्थापित होंगे। 380 फुट लंबे और 250 फुट चौड़े श्रीराम मंदिर परिसर में आने वालों को मोबाइल, लैपटॉप आदि इंस्ट्रूमेंट चार्ज करने में भी कोई दिक्कत नहीं होगी। अनेक स्थानों पर आसानी से चार्जिंग प्वाइंट्स मिलेंगे। बुजुर्ग और द‍िव्‍यांगों के ल‍िए दो रैंप भी बनाए गए हैं ।इस सुव‍िधा से इन सभी को क‍िसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।

अयोध्या में नवनिर्मित श्रीराम मंदिर का निर्माण समाज व देश में जन जन तक श्रीराम के संस्कारों, आदर्शों, प्राचीन परंपराओं और नैतिक मूल्यों की स्थापना की ओर अग्रणी कदम है। श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे मंदिर से प्रदेश की जनता का बेहद लगाव है। उन्होंने 14 से 22 जनवरी तक प्रदेश के सभी राम मंदिरों, हनुमान मंदिरों, वाल्मीकि मंदिरों में रामकथा, रामायण पाठ, भजन कीर्तन सहित धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने वाल्मीकि रामायण में दिए गए श्रीराम के आदर्श, मानव मूल्यों और सामाजिक मूल्यों का प्रचार प्रसार कर उससे जनता को जोड़ने, मंदिरों में दीपदान के कार्यक्रम भी करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी नगरीय निकायों में कीर्तन का आयोजन करने, स्थानीय भजन मंडलियों को शामिल कर राम मंदिर रथ और कलश यात्रा निकालने के भी निर्देश दिए हैं। 

सभी जिलों में वाल्मीकि मंदिर, श्रीराम मंदिर, हनुमान मंदिर और रामायण से संबंधित मंदिरों का पूरा पता, फोटो, जीपीएस लोकेशन और मंदिर प्रबंधक का नाम व संपर्क नंबर भी संस्कृति विभाग के पोर्टल पर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। प्रत्येक कार्यक्रम स्थल पर साफ-सफाई, पेयजल, सुरक्षा, दरी बिछाने, लाइट एवं साउंड भी व्यवस्था भी करने के निर्देश दिए हैं।

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